हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
परिस्थितिनुसार बोल

परिस्थितिनुसार बोल

by हिंदी विवेक
in कहानी
0

   ‘हमेशा सच बोलना चाहिये, झूठ कभी ना बोले’ यह हम हमेशा से सुनते आये हैं, परंतु परिस्थिति, समय की नजाकत को देखते हुए सच या झूठ बोलना चाहिये। मरणासन्न व्यक्ति को भी हम कहते हैं कि तुम ठीक हो जाओगे जब की हम जानते हैं कि वह अब ठीक नही होगा।

जहां आवश्यक नही वहां सच बोलने का क्या परिणाम होता है, इस संदर्भ की यह इसापकथा है।

दो मित्र विश्व भ्रमण पर निकले। उनमें एक सत्यवादी था परंतु दूसरा व्यवहारी था। समय को पहचानकर वह सच झूठ बोलता था।

घूमते घूमते वे बंदरो के देश में पहुंचते हैं। जैसे ही वहां के राजा को पता चलता है, वह दोनों को राजदरबार में बुलवाता है। वे दोनों आते हैं। अब वानरों की गणना सुंदर प्राणियों में तो नहीं होती। जाहिर है, राज्य वानरों का था तो यकीनन राजा भी वानर (बंदर) ही होगा।

सामने उपस्थित दोनों व्यक्तियों में से जो व्यवहारीक व्यक्ति था, उससे राजा पूछता है, “आप बहुत सी जगहें घूम आये हैं तो बताईये कि मै कैसा दिखता हूं? मेरे दरबारी कैसे दिखते हैं?”

व्यवहारीक व्यक्ति कहता है, “महाराज, आप एक महान राजा हैं। आपके रूप का मै क्या वर्णन करूं, आप तो अति सुंदर हैं और आप के दरबारी भी एक से बढ़कर एक हैं।”

हम दूसरे राज्य में हैं, एवं यहां सच बोलने से हम पर संकट आ सकता है इतनी समझ उसमें थी। इसलिये वह परिस्थिति को समझकर बोला। उसके उत्तर से राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उसे ढ़ेर सारे इनाम दिये। इसके बाद वही प्रश्न उसने सत्यवादी से पूछा।

सत्यवादी बोला, “महाराज आप वानरों के राजा है जैसे बंदर दिखते हैं वैसे ही आप भी दिखते हैं और आपके दरबारी भी आपके अनुरूप ही हैं।”

सत्यवादी का उत्तर सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आता है एवं वह सोचता है कि यह मेरे राज्य में आकर मेरी ही बदनामी कर रहा है। अब राजा का गुस्सा कैसा होता है हम सब जानते ही हैं, सत्यवादी को अपने प्राणों से हाथ धोने पड़े।

  जहां आवश्यक नही वहां भी सत्य बोलने की सजा सत्यवादी को भोगनी पड़ी।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: arthindi vivekhindi vivek magazineinspirationlifelovemotivationquotesreadingstorywriting

हिंदी विवेक

Next Post
समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज हेतु…

रमेश पंतगे जी का सम्मान

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0