संघर्ष की कहानी

एक दिन की बात है जब एक आदमी बाग मे घूम रहा था वही उसे तीतली का कोकून दिखाई पढ़ता है, तब से वो आदमी रोज उस कोकून को देखता है। एक दिन वह देखता है की उस कोकून मे छोटा सा छेद बन गया है। वह कोकून के पास बैठ जाता है और उसे ध्यान से देखता रहता है। कुछ देर बाद वह देखता है की उस कोकून मे एक छोटा सा छेद बन गया है। फिर वह देखता है की तितली उस छेद से बाहर आने का प्रयास कर रही है। कई देर तक प्रयास करने के बाद भी जब वह उस छेद से बाहर नहीं आ पा रही थी और बिलकुल शांत हो गयी थी। उसने सोचा की तितली ने हार मान ली है अत: उसने सोचा की वह उसकी कुछ मदद कर दे। उसने एक कैंची से उस कोकून के छेद को थोड़ा और बड़ा कर दिया और तितली उसमे से बाहर निकल आई। पर उसने देखा की उसका शरीर सूजा हुआ है और पंख सूखे हुए है। आदमी ने सोचा की तितली उड़ेगी पर ऐसा न हो सका। दरअसल वह बिना संघर्ष के ही उस कोकून से बाहर निकल आई जिससे उसके शरीर का तरल उस तक ना पाहुच सका और वह अपंग हो गयी।

इस से सीख

प्राणी के जीवन मे संघर्ष का बहुत महत्व है। बिना संघर्ष के वह उड़ना नहीं सीख पाएगा, कहने का मतलब है की अगर वह कुछ पाने के लिए मेहनत और संघर्ष नहीं करेगा तो वह बेकार हो जाएगा। और कठिन परिस्थितियो का सामना नहीं कर पाएगा। यहा इस व्यक्ति से भी सीख लेने की जरूरत है जो तितली के साहयता करके उसका काम आसान करना चाहता था। कई बार हम किसी की मदद कर उस इंसान को उसकी काबिलियत को पहचानने और उसे मेहनत करके कुछ सीखने से वंचित कर देते है. जिससे उसे विकसित होने मे कठिनाई पहुच सकती है। हमे ये याद रखना चाहिए की कई बार हमे जरूरत होती है कठिन परिस्थितियो की ताकि हम संघर्ष कर अपने को उन्नत और विकसित बना सके

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