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मनोहर ,धर्मचंद और नींम का  पेड

मनोहर ,धर्मचंद और नींम का पेड

by हिंदी विवेक
in कहानी
1

एक गांव में मनोहर और धर्मचंद नामक दो दोस्त रहते थे. वे परदेस से धन कमाकर लाये तो उन्होंने सोचा कि धन घर में न रखकर कहीं और रख दें, क्योंकि घर में धन रखना खतरे से खाली नहीं है. इसलिए उन्होंने धन नींम के पेड की जड में गड्ढा खोदकर दबा दिया.

दोनों में यह भी समझौता हुआ कि जब भी धन निकालना होगा साथ-साथ आकर निकाल लेंगे. मनोहर भोला,  इमानदार और नेक दिल इंसान था जबकि धर्मचंद बेईमान था. वह दूसरे दिन चुपके से आकर धन निकालकर ले गया, उसके बाद वह मनोहर के पास आया और बोला – कि चलो कुछ धन निकाल लाये. दोनों मित्र पेड के पास आये तो देखा कि धन गायब है.

धर्मचंद ने आव देखा न ताव फौरन मनोहर पर इल्जाम लगा दिया कि धन तुमने ही चुराया है. दोनों मे झगडा होने लगा. बात राजा तक पहूंची तो राजा ने कहा – कल नींम की गवाही के बाद ही कोई फैसला लिया जायेगा. ईमानदार मनोहर ने सोचा कि ठीक है नीम भला झूठ क्यों बोलेगा ?

धर्मचंद भी खुश हो गया. दूसरे दिन राजा उन दोनों के साथ जंगल में गया. उनके साथ ढेरों लोग भी थे.  सभी सच जानना चाहते थे. राजा ने नीम से पूछा – हे नीमदेव बताओं धन किसने लिया है ?  मनोहर ने!! नीम की जड से आवाज आई.

यह सुनते ही मनोहर रो पडा और बोला – महाराज! पेड झूठ  नहीं बोल सकता इसमें अवश्य ही कुछ धोखा है. कैसा धोखा ? मैं अभी सिद्ध करता हूं महाराज. यह कहकर मनोहर ने कुछ लकड़ियाँ इकट्ठी करके पेड के तने के पास रखी और फिर उनमें आग लगा दी.

तभी पेड़ से बचाओ बचाओ की आवाज़ आने लगी.  राजा ने तुरंत सिपाहियों को आदेश दिया कि जो भी हो उसे बाहर निकालों.  सिपाहियों ने फौरन पेड़ के खों में बैठे आदमी को बाहर खिच लिया. उसे देखते ही सब चौंक पडे. वह धर्मचंद का पिता था. अब राजा सारा माजरा समझ गया.

उसने पिता-पुत्र को जेल में डलवा दिया और उसके घर से धन जब्त करके मनोहर को दे दिया. साथ ही उसकी ईमानदारी सिद्ध होने पर और भी बहुत सा धन दिया.

 

शिक्षा : विपरीत परिस्थितियों में  हमेशा शान्ति और सोच समझकर काम करना चाहिए.  अगर मनोहर अपनी समझ से पेड़ के तने में आग न लगाता तो वही असली चोर माना जाता. लेकिन मनोहर ने अपनी समझ-बुझ से काम लिया और धर्मचंद का भांडा फोड़ दिया. इसलिए जब भी आपको लगे की आप कठिन परिस्थिति में है तो डरने की बजाय उसका सामना करने की हिम्मत करें और शांत होकर अपने दिमाग से फैसले लें.

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Tags: arthindi vivekhindi vivek magazineinspirationlifelovemotivationquotesreadingstorywriting

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Comments 1

  1. Surekha varghade says:
    6 years ago

    ????

    Reply

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