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रफाल पर राहुल से 7 सवाल

रफाल पर राहुल से 7 सवाल

by प्रशांत बाजपेई
in देश-विदेश, राजनीति, वन्य जीवन पर्यावरण विशेषांक 2019
2

रफाल पर राहुल काफी बोल चुके हैं। अब राहुल से सवाल पूछने का समय है। ये महत्वपूर्ण सवाल हैं, क्योंकि मामला देश की रक्षा से जुड़ा है। इन सवालों को जानने से पता चल जाएगा कि राहुल झूठ का गरल उगल कर देश की जनता को किस तरह बेवकूफ बना रहे हैं।

शक और आरोपों की बिना पर मुकदमा अदालत पहुंचा। अदालत ने मामला देखा और कहा कि कोई कि ‘कोई सबूत नहीं है’, और सिर्फ आरोप के आधार पर मुकदमा नहीं चल सकता, मामला खारिज। लेकिन जिन्हें हुडदंग की आंच पर राजनीति की रोटियां सेंकनी हैं, वो ‘घोटाला-घोटाला’ चिल्लाकर देश की इज्जत उछालने में लगे हैं। बात राहुल गाँधी की हो रही है।

बात उन मीडिया वीरों की भी है जो राहुल के उन्हीं ‘तीन-चार’ बयानों को सवाल बना कर दोहराए जा रहे हैं। जो कभी पलट कर, कांग्रेस अध्यक्ष से नहीं पूछते कि ‘आपके आरोपों के प्रमाण कहां हैं? किस प्रमाण के आधार पर आप देश के प्रधानमंत्री को ‘चोर’ कहते घूम रहे हैं? अदालत में आपने प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई सबूत पेश क्यों नहीं किया? सर्वोच्च न्यायालय ने मामला खारिज कर दिया, क्या अब आप सर्वोच्च न्यायालय को चुनौती दे रहे हैं? और,
सर्वोच्च न्यायालय से बड़ी कौनसी ंअदालत है जिसका प्रमाणपत्र नरेंद्र मोदी को पेश करना होगा?’

सवाल बहुत सारे हैं, जो राहुल गाँधी से पूछे जाने चाहिए।

पहला सवाल: ध्यान भटकाना चाह रहे हैं क्या?

राहुल जी! नेशनल हेराल्ड मामले में आप और आपकी माता जमानत पर हैं।  आप पर अनेक दूसरे घोटालों की भी छाया है। ऑगस्टा वेस्टलैंड हंलिकॉप्टर घोटाला आपकी यूपीए सरकार के समय हुए अनेक घोटालों में से एक था। इस खरीद में 250 करोड़ की घूस खाए जाने के गंभीर आरोप हैं। मार्च 2013 में तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने मीडिया के सामने स्वीकारा था कि ऑगस्टा वेस्टलैंड खरीद में रिश्वत ली गई है। दिसम्बर 2018 में इस घोटाले का मुख्य गवाह क्रिश्चियन मिशेल भारत की जांच एजेंसियों के  हाथ आ गया है । और मिशेल ने जांच एजेंसियों के सामने राज़ उगलने शुरू कर दिए हैं। उसके बयानों में ‘इटली, इतालवी महिला का बेटा जो पीएम बनने वाला है…आदि का जिक्र आ रहा है। क्या इस कारण आप और आपकी पार्टी मोदी सरकार के विरुद्ध एक काल्पनिक घोटाला खड़ा करना चाह रहे हैं?

दूसरा सवाल: क्या इसलिए लटकाया रफाल को?

राहुल जी! रफाल विमान या उसके जैसी क्षमता वाले विमान खरीदने का फैसला अटल सरकार ने साल 2001 में किया था। प्रक्रिया शुरू हो गई थी। फिर आपकी सरकार आ गई जो अगले 10 साल मामले को लटकाए रही। वह भी तब, जब रफाल हमारी वायुसेना के लिए सब प्रकार से उपयुक्त है, ऐसा सभी समितियों ने निष्कर्ष दे दिया था। इस बीच (यूपीए के दस सालों में, 2004 से 2014) चीन ने अपनी वायुसेना में 400 नए विमान जोड़ लिए और पाकिस्तान ने अपनी वायुसेना को दोगुना कर लिया। वायुसेना नए विमानों की खरीद के लिए आपसे मिन्नतें करती रही और आपकी सरकार रफाल की फाइल को इधर से उधर घुमाती रही। अब क्रिश्चियन मिशेल, जिसने आपकी सरकार के दौरान कई मामलों में कमीशन खाया, के बारे में नया खुलासा हुआ है कि वह रफाल सौदा निरस्त करवाने में लगा हुआ था, और रफाल की जगह दूसरे विमान ‘टायफून’ के लिए लॉबिंग कर रहा था। इस सौदे में भगोड़े हथियार व्यापारी संजय भंडारी का भी नाम आ रहा है जो आपके जीजा रॉबर्ट वाड्रा का मित्र है और वाड्रा के लिए विमान यात्रा के मंहगे टिकट खरीदता रहा है। अक्सर उनके साथ देखा गया है। क्या इसलिए आपकी सरकार द्वारा रफाल खरीद को लटकाया गया?

तीसरा सवाल: कीमत का सच आपको नहीं पता?

राहुल जी! आप बार-बार दोहराए जा रहे हैं कि हमारी डील मोदी सरकार की डील से अच्छी थी। आप किस डील की बात कर रहे हैं? क्योंकि आपने डील की ही नहीं थी। एक भी कागज़ मौजूद नहीं है जो ये बतलाए कि आपने कोई सौदा तय कर लिया था। तिस पर आप कहते हैं कि हमने 526 करोड़ का विमान खरीदना तय किया था। यह 526 करोड़ का आंकडा आप कहां से लाए? आप जनता को कीमत को लेकर गुमराह कर रहे हैं। आप विमान के बेस प्राइस (याने सिर्फ विमान की कीमत बिना हथियार, बिना गारंटी, बिना रखरखाव या मेंटेनेंस, बिना हमारी वायुसेना की जरूरतों के हिसाब से विमान को ढाले या मॉडिफाई किए) को बता कर सशस्त्र विमान की कीमत को घोटाला बतला रहे हैं। जबकि 16 सौ करोड़ सशस्त्र विमान की कीमत है।

वास्तव में आपकी तथाकथित डील के अनुसार क्या हमारे लड़ाकू पाइलट हथियार या मिसाइल के बिना रफाल विमान पर सवार होकर सैर करने पाकिस्तान जाएंगे? यदि आपके द्वारा कहे जा रहे 526 करोड़ के आंकडे को ही सही मान लिया जाए तो भी आज रफाल का बेस प्राइस 737 करोड़ होती। क्योंकि रक्षा सौदों में एस्केलेशन प्राइस या वृद्धि मूल्य की शर्त पर सौदा होता है। अर्थात हर साल विमान की कीमत बढती जाती है।

राहुल जी! यदि आपने 2007 में सौदा कर लिया होता तो आज खाली विमान की कीमत बढ़ते-बढ़ते 737 करोड़ हो गई होती। जबकि मोदी सरकार ने जो नया सौदा 2016 में किया उसमें बेस प्राइस 670 करोड़ है। इस पर आप कुछ नहीं बोलते।

चौथा सवाल:  एच.ए.एल और 126 पर भ्रम क्यों फैला रहे हैं?

राहुल जी! आप और आप की पार्टी कह रहे हैं कि हम तो 126 विमान ला रहे थे आप 36 क्यों खरीद रहे हैं। सच ये है कि यदि आप सौदा कर भी लेते तो आप सिर्फ 18 खाली विमान खरीदते, जबकि मोदी सरकार 36 सशस्त्र विमान खरीद  रही है।

आप ‘हाल’ (एच.ए.एल.) को लेकर बयान दे रहे हैं कि मोदी सरकार ने एच.ए.एल. को इस सौदे से बाहर करके देश का बड़ा नुक्सान किया है और देश के युवाओं का रोजगार छीना है। सच यह है कि एच.ए.एल. की हालत आपकी पूर्ववर्ती सरकारों ने इतनी खराब करके रखी है कि दसौं कम्पनी हमारे एच.ए.एल. के साथ साझेदारी करने को तैयार ही नहीं हुई। उसने तो मनमोहन सरकार के समय ही एच.ए.एल. के साथ सौदा करने से मना कर दिया था। और यह भी कहा था कि यदि भारत सरकार ज्यादा जोर देगी तो एच.ए.एल. के बनाए गए रफाल विमानों की जिम्मेदारी (गारंटी) दसौं नहीं लेगी। फिर भी आपमें इतना साहस/दुस्साहस है कि आप एच.ए.एल. के कर्मचारियों के बीच जाकर भाषण देते हैं कि रफाल आपका हक़ है।

आपको तो एच.ए.एल. की बेहाली पर उत्तर देना है। एच.ए.एल. रफाल विमान बनाने के लिए दसौं कंपनी से ढाई गुना ज्यादा (वास्तव में 2.7 गुना) समय क्यों मांग रही थी? रफाल कंपनी क्यों उसके साथ सौदा करने को अनिच्छुक थी? 1940 में स्थापित एच.ए.एल. से अपेक्षा थी कि वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता का सामना करने योग्य बनेगी परन्तु वह भारतीय वायुसेना की जरूरतें पूरी करने में ही पिछड़ती रही। वायुसेना अध्यक्ष के शब्दों में जहां तक विमानों के निर्माण की बात है, ‘हाल’ थोड़ी पीछे है। एच.ए.एल. की समीक्षा के लिए बनी स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया कि ‘कमिटी इस बात से निराश है कि स्थापना के तीन दशकों बाद भी एच.ए.एल. भारतीय मूल का लड़ाकू जहाज नहीं दे पाई है।’ एच.ए.एल. द्वारा विकसित किया जा रहा पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान एएमसीए भी सन 2032 में जाकर पहली उड़ान भर पाएगा। राहुल जी! पांच दशकों तक आप और आपके परिवार ने इस देश पर राज किया। ‘हाल’ के इस हाल का जिम्मेदार कौन है आपके अलावा?

पांचवां सवाल: ऑफसेट, रिलायंस, टाटा, गोदरेज और विप्रो पर झूठ क्यों?

राहुल जी! आपने रफाल की ऑफसेट साझेदारी पर भ्रम फैलाया। ऑफसेट साझेदारी का यह अर्थ नहीं होता है कि रिलायंस और दूसरी अन्य भारतीय कंपनियां भारत में रफाल बनाने वाली हैं। पहले ऑफसेट पार्टनर का मतलब समझना होगा। जब एक देश कोई बहुत बड़ा सौदा करता है (विमान क्रय अथवा कुछ अन्य), तो वह सामने वाली कंपनी के सामने शर्त रखता है कि सौदे की कीमत की 30-40 प्रतिशत खरीद देशी कंपनियों से की जाए, ताकि देशी कंपनियों को भी इस बड़े सौदे का लाभ मिले, देश की अर्थव्यवस्था को फायदा हो और जो पैसा देश से बाहर जा रहा है उसकी कुछ भरपाई हो सके। यह खरीद किसी भी चीज़ की हो सकती है। भले ही उस सामग्री का विमान निर्माण से कोई लेना देना न हो।

मोदी ने दसौं के साथ समझौते में 50% ऑफसेट साझेदारी का अनुबंध किया है। अर्थात सौदे की कुल रकम के आधे के बराबर, 29 हजार करोड़ मूल्य की खरीददारी दसौं को भारतीय कंपनियों से करनी होगी। इनमें से कोई भी कंपनी विमान नहीं बनाएगी, केवल माल आपूर्ति करेगी। दसौं ने ऐसी 100 कंपनियों की सूची बनाई है। उनमें से एक कंपनी अनिल अम्बानी की रिलायंस है, जिसके हिस्से में 3% माल आपूर्ति का अनुबंध आया है, जो लगभग 800 करोड़ होता है। शेष 27,200 करोड़ की आपूर्ति अन्य भारतीय  कम्पनियां करने वाली हैं जिनमें सेमटेल, एचसीएल, एलएंडटी, टीसीएस, टाटा एडवांस सिस्टम्स, गोदरेज एंड बॉय, आइबीएम इंडिया, विप्रो इन्फ्रा स्ट्रक्चर्स, महिंद्रा एयरो स्ट्रक्चर्स और सरकारी कंपनी बीईएल आदि हैं। इन कंपनियों में टाटा, गोदरेज, विप्रो, महिंद्रा जैसे सभी बड़े नाम हैं। इन सभी को दसौं कंपनी ने ही चुना है।

राहुल जी! आप एक अनिल अम्बानी का नाम लेकर यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि (उन्हें माल आपूर्ति का नहीं बल्कि) विमान निर्माण का ठेका मिला है और उन्हें तो लड़ाकू जहाज निर्माण का कोई अनुभव ही नहीं है। क्यों कर रहे हैं ऐसा?

सच को छिपाना झूठ बोलना ही होता है। आप रिलायंस का नाम ले रहे हैं और टाटा, गोदरेज, विप्रो, महिंद्रा जैसे दिग्गजों के नाम छिपा रहे हैं। आखिर क्यों? इसीलिए न कि ये सारे नाम सामने आने से जनता को ऑफसेट पार्टनर का मतलब समझ आ जाएगा?

छठवां सवाल: ये सब क्यों झूठ बोलेंगे?

राहुल जी! आप और आपकी पार्टी के नेता वायुसेना प्रमुख को झूठा बतलाते हैं क्योंकि उन्होंने कहा कि रफाल का मामला पारदर्शी है और वायुसेना सौदे से खुश है। वायुसेना के उपप्रमुख ने भी ऐसा ही बयान दिया है।

राहुल जी! आखिर वायुसेना प्रमुख क्यों झूठ बोलेंगे? दसां के सीईओ ट्रेपियर ने बयान दिया कि रिलायंस समेत सभी (सौ के लगभग) ऑफसेट कंपनियों को कम्पनी ने स्वयं चुना तो आप लोगों ने उन्हें भी झूठा बतला दिया। अनेक पूर्व सैनिक और रक्षा विशेषज्ञ रफाल पर संतुष्ट हैं। फ़्रांस सरकार ने भी भारत सरकार का समर्थन किया। ये सब क्यों झूठ बोलेंगे राहुल जी?

आप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री पर विश्वास नहीं करते, ठीक है। पर आपको सर्वोच्च न्यायालय पर भी विश्वास नहीं है? रफाल मामले पर फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हमने रफाल के तीन आयामों – कीमत, खरीद प्रक्रिया और ऑफसेट साझेदारी का गहराई से अध्ययन किया और पाया कि इसमें कोई हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है ( पैरा 34 ) । पैरा 33 में न्यायालय कहता है कि रफाल के ऑफसेट साझेदार चुनने में सरकार की भूमिका साबित नहीं होती। पैरा 26 में कहा गया है कि हमने आधार-मूल्य (बेस प्राइस), वृद्धि मूल्य (एस्केलेशन कॉस्ट) और मूल प्रस्ताव (आरएफपी) को देखा। वस्तुवार कीमत को भी देखा। कोर्ट ने कहा कि हमने पहले तय किया कि दाम को नहीं देखेंगे। बाद में अपनी अंतरात्मा को संतुष्ट करने के लिए हमने दाम मांगा। सरकार ने हमें मुहरबंद लिफ़ा़फे में दाम दिया। हमने पढ़ा। पढ़ने के बाद लगा कि हमें इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

राहुल जी! सर्वोच्च न्यायालय, फ़्रांस सरकार, भारत की वायुसेना, दसाँ के सीईओ ट्रेपियर, देश के अनेक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ, ये सब क्यों झूठ बोलेंगे? ये सब झूठे हैं और आप व आपकी पार्टी सच्च?

उल्टा आप ही बार-बार झूठ बोलते पकडे गए हैं।

आपने संसद में खड़े होकर कहा कि आपकी फ़्रांस के वर्तमान राष्ट्रपति से मुलाकात हुई जिसमें उन्होंने ‘आपको’ बतलाया कि फ़्रांस सरकार ने रफाल की कीमत की गोपनीयता की कोई शर्त नहीं रखी है। आपके इस बयान पर फ्रांस सरकार का तत्काल जवाब आया कि फ्रांस के राष्ट्रपति की राहुल गांधी से ऐसी कोई बात नहीं हुई है, और सौदे में गोपनीयता की शर्त है। आपने ये झूठ क्यों बोला? आपने संसद में खड़े होकर रफाल मामले पर एक ऑडियो टेप सुनाना चाहा जिसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी लेने को आप स्वयं ही तैयार नहीं थे। क्या यह ज़िम्मेदार व्यवहार है? क्या आप संसद को गंभीरता से लेते हैं?

रफाल सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के तुरंत बाद से आप रफाल सौदे की जेपीसी जांच की मांग उठा रहे हैं। जेपीसी याने सांसदों का एक समूह, जिसमें कांग्रेस के सांसद भी होंगे। क्या चंद सांसदों का एक समूह सर्वोच्च न्यायालय और वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों से अधिक योग्यता रखता है? कौनसी अलग जांच करेगी ये जेपीसी? पेंच तो यही है कि सरकार अब एक जेपीसी बनाए और उसमें मौजूद कांग्रेस के सांसद रफाल को घोटाला बतलाते रहें?

सातवां सवाल: चीन-पाकिस्तान जो चाहते हैं वही आप चाहते हैं, क्यों?

राहुल जी! आप जानते हैं कि सौदे में कीमत की गोपनीयता  की शर्त है। फ़्रांस सरकार और सर्वोच्च न्यायालय दोनों ने इसकी पुष्टि कर दी है? पर आप बार-बार प्रधानमंत्री को चुनौती दे रहे हैं कि वो रफाल की कीमत सार्वजनिक करके बताएं।

कीमत के बारे में मोटी-मोटी जानकारी तो सरकार ने दे दी है, अब और अधिक जानकारी देने का मतलब है यह बतलाना कि हम रफाल विमान पर अमुक-अमुक अस्त्र और अमुक-अमुक तकनीक लगाने जा रहे हैं जिसकी कीमत इतनी-इतनी है। तब हमारी तैयारियों के बारे में चीन और पाकिस्तान को पहले से ही पता चल जाएगा, और वे उसकी काट तैयार करने में जुट जाएंगे। चीन और पाकिस्तान भी ये बारीकियां जानने को इच्छुक हैं। आप भी ऐसा करना चाहते हैं। आखिर क्यों?

एक सवाल इनसे भी

राहुल पिछले कई महीनों से वही तीन-चार बयान दुहरा रहे हैं, जिनके जवाब सरकार, सर्वोच्च न्यायालय, वायुसेना, रफाल विमान बनाने वाली कंपनी और फ्रांस सरकार दे चुकी है। उनके उत्तरों से बेपरवाह राहुल रोज वही बयान फिर दोहरा देते हैं और कुछ मीडिया चैनल ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ दिखाने लगते हैं कि ‘राहुल ने फिर रफाल पर हमला बोला।‘ राहुल ने ‘हमला बोला’ या बिना आधार, बिना जिम्मेदारी के, वही आरोप पच्चीसवीं या पचासवीं बार दोहरा दिए? ये कब तक चलता रहेगा? क्या उपरोक्त सवाल कांग्रेस अध्यक्ष से नहीं पूछे जाने चाहिए? क्योंकि मामला देश की रक्षा से जुड़ा है।

 

आंखें खोलने वाले तथ्य

— राहुल जी! आप और आप की पार्टी कह रहे हैं कि हम तो 126 विमान ला रहे थे, आप 36 क्यों खरीद रहे हैं। सच यह है कि आपने सौदा तो किया ही नहीं था इसलिए आप कुछ भी नहीं ला रहे थे।

— राहुल जी! आप रिलायंस का नाम ले रहे हैं और टाटा, गोदरेज , विप्रो का नाम छिपा रहे हैं। रिलायंस की हिस्सेदारी को भी गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।

— राहुल जी ! ‘हाल’ या एच. ए. एल., मनमोहन सरकार के समय ही रफाल बातचीत से बाहर हो गई थी। फिर भी  आप उस पर गलतबयानी कर रहे हैं।

— राहुल जी! सर्वोच्च न्यायालय, फ़्रांस सरकार, भारत की वायुसेना, दसाँ के सीईओ ट्रेपियर, देश के अनेक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ, ये सब क्यों झूठ बोलेंगे? ये सब झूठे हैं और आप व आपकी पार्टी सच्चे?

— राहुल जी! वायुसेना बतला रही थी कि उसकी स्थिति गंभीर है और आपकी यूपीए सरकार दस सालों तक रफाल खरीद को लटकाए रही। क्यों?

 

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Comments 2

  1. Sunil Kumar AGRAWAL says:
    6 years ago

    Good nice and good like always

    Reply
  2. योगेश says:
    6 years ago

    अत्यंत सरल शब्दों में देशद्रोही काँग्रेस पार्टी का कालिखपुता चेहरा सामने लाया गया है। धन्यवाद हिंदी विवेक

    Reply

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