हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
गोपी और मास्टर जी

गोपी और मास्टर जी

by हिंदी विवेक
in कहानी
0

गोपी अपने मां-बापू और चार बहनों के साथ गांव के एक छोटे से झोपड़े में रहता था। झोपड़ी की छत धान के सूखे पुए से बनी थी, जो बरसाती दिनो में एक भी सूखी जगह न बचा पाती।

इस साल खुब बरसात हुई। गोपी के बापू की दिहाड़ी भी जाती रही। खाने के लाले पड़ गए। उन्हीं दिनो गोपी के ताऊजी गांव आए थे। अपने भाई की हालत पर तरस खाकर वे गोपी और उसकी बहन को अपने साथ लिवा ले गए। गोपी के बापू को भी कुछ पैसे पकड़ा दिए।

ताऊजी का गांव बड़ा था। ताऊजी गांव के पास बन रही सड़क का काम देखते थे। गोपी का काम ताऊजी का छोटा-मोटा काम करना और ताऊजी के लिए घर से दोपहर का खाना लाना होता था। एक दिन जब गोपी खाना लेने आई तो पास के स्कुल से बच्चों के समवेत स्वर में गिनती दोहराई जा रही थी। गोपी के पैर स्कुल के गेट पर रुक गए। मास्टरजी ने आज बाहर ही कक्षा लगा रखी थी। काले बोर्ड पर लिखी गुलाबी, नीली चॉक से लिखी गिनती गोपी को खुब भाई।

अब तो गोपी रोज आकर स्कुल के गेट पर रुकने लगा। बोर्ड पर लिखे अक्षरों या गिनती को सीखने की कोशिश करता, पर उसे लिखता कहां? उसके पास न तो चॉक थी न स्लेट। उसे एक तरकीब सुझी। उसने अपनी उगंली से वहां पड़ी मिट्टी पर ही लिखना शुरु कर दिया। दूसरे दिन फिर देखता कि उसने सही लिखा या नहीं?

हफ्ते भर यह चला। फिर मास्टरजी कक्षा अंदर लगाने लगे। गोपी उदास हो गया। मगर पढ़ने की उसकी इच्छा जब बहुत बढ़ गई, तब एक दिन वो सबकी नजरें बचाकर कक्षा से सट कर खड़ा हो गया। पर डर तो था न, कि कोई उसे वहां खड़ा देख न ले। यहां जब वो मिट्टी में न लिख पाया, तो उसने बच्चो के सुर में सुर मिलाना शुरु कर दिया।

एक दिन मास्टरजी ने उसे पकड़ ही लिया। गोपीबहुत घबरा गया। पर मास्टरजी नेक इंसान थे। गोपी की पढ़ाई में लगन को उन्होंने परख लिया था। मास्टरजी ने उसे कक्षा में आकर बैठने की भी इजाजत दे दी। नई स्लेट और चॉक भी दी। गोपी बहुत खुश हुआ।

ताऊजी से मिल कर मास्टरजी ने गोपी को पढ़ा लेने की बात कही। यह भी यकीन दिलाया कि इसमें न ताऊजी को कोई खर्चा करना पड़ेगा और न ही काम का कोई हर्जा होगा। ताऊजी भी यह सोचकर की गोपी के पढ़ लेने से उन्हें भी हिसाब-किताब रखने में सुविधा होगी, मान गए। मास्टरजी की वजह से एक बच्चे का जीवन संवर गया।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: arthindi vivekhindi vivek magazineinspirationlifelovemotivationquotesreadingstorywriting

हिंदी विवेक

Next Post
डाकू की बेटी राजकुमारी

डाकू की बेटी राजकुमारी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0