अभिनंदन तो झांकी हैं पर आतंकवादी बाकी हैं……

ये सही है कि भारत का जाबांज सही सलामत वापिस आ गया है, परंतु वह जिस मिशन के लिए काम कर रहा था, क्या वह खत्म हो गया है? नहीं! अभिनंदन साधन मात्र था जिसे साध्य पर चलाया गया था, परंतु पिछले दो तीन दिनों तक हमारा पूरा ध्यान साधन अर्थात अभिनंदन पर टिक गया था।

पाकिस्तान अपनी सोची समझी कुशल रणनीति के तहत भारतीय मानस को भावनात्मक रूप से दूसरी ओर मोड़ने में सफल रहा। हमारी भारतीय मीडिया भी हमें दिनभर वही परोसती रही जो पाकिस्तान चाहता था और आम जनता भी वह देखती रही।

पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने पाक अधिकृत कश्मीर तथा पाकिस्तान के जैश-ए-मुहम्मद के आतंकवादी ठिकानों पर बम गिराए थे। उसके बाद से तो पाकिस्तान की ओर से सीजफायर के उल्लंघन का और भारत की जवाबी कार्रवाई का सिलसिला चल ही रहा है। आज भी सीमा पर हमारे जवान शहीद हो ही रहे हैं।

भगवान की कृपा अभिनंदन पर थी और वे सही सलामत स्वदेश लौट आये हैं परंतु अब भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इसके बाद पाकिस्तान कुछ नहीं करेगा।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने आपको शांतिदूत साबित करने का जो नाटक किया है, वह कितने दिन चलेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। परंतु भारत को यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा लक्ष्य अभिनंदन नहीं है। हमारा लक्ष्य आतंकवादी हैं।

डोजियर के डोज से सुधरेगा पाक?
पाकिस्तान लगातार यह कहता आया है कि वह आतंकवाद को पनाह नहीं दे रहा है और जिन जगहों पर भारत ने बम दागे हैं वहां जैश का कोई अड्डा नहीं था मात्र जंगल था। पाकिस्तान के द्वारा आतंकवादियों को बचाने की यह पहली कोशिश नहीं है। इसके पहले भी वह दाऊद, ओसामा बिन लादेन, मसूद अजहर, हाफ़िज़ सईद जैसे अन्य आतंकवादियों को बचाता आया है।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर जिस जगह पर मारा था वह जैश के उन ठिकानों से ज्यादा दूर नहीं है जहां भारत ने बम गिराए हैं।

ये सभी आतंकवादी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी घोषित किये जा चुके हैं। सभी वांटेड लिस्ट में शामिल हैं, सभी पर ईनाम रखे गए हैं। परंतु फिर भी पाकिस्तान उन्हें शह दे रहा है। हाफिज सईद तो पाकिस्तान में चुनाव तक लड़ लेता है। पाकिस्तान का कहना है कि इनके खिलाफ अगर सबूत मिलते हैं तो वह कार्रवाई करेगा। भारत के द्वारा दिये गए डॉजियर में वे सारे सबूत शामिल हैं जिनसे यह साफ समझ में आता है कि ये आतंकवादी हैं। अब पाकिस्तान को इन सभी पर कार्रवाई करना आवश्यक होगा। परंतु अगर धीरे-धीरे उस पर से दबाव हटता रहा तो वह अपनी फितरत के अनुसार कार्रवाई करने से मुकर जाएगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर पाक सेना और आई एस आई का भरपूर दबाव है। जिस तरह से कल विंग कमांडर अभिनंदन की भारत वापसी में देर की जा रही थी और अंतिम क्षण तक पाकिस्तान अपनी खुरापातों से बाज नहीं आया उसे देखकर यह समझ जाना चाहिए कि अभिनंदन को छोड़ने का फैसला केवल और केवल भारतीय कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण किया गया है।पाकिस्तान पर यह दबाव चारों ओर से बनाये रखना बहुत आवश्यक होगा।

भारत का एक वर्ग जो सोशल मीडिया पर #saynotowar चला रहा है और भारत और भारत सरकार और सेना से जवाब तलब के रहा है वह देशद्रोह जितना ही बड़ा अपराध है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह से वह अलग थलग पड़ गया है ये भारत के लिए शुभ संकेत है। यही वह समय है जब उसे अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और सैनिकी कार्रवाई करके चारों ओर से घेरा जा सकता है। अतः अब यह आवश्यक है कि अभिनंदन के घर वापस आने की खुशियां मनाने के साथ ही हम यह भी ध्यान रखें कि पाकिस्तान अब उस सांप की तरह हो गया है जिसकी पूंछ पर भारत ने पांव रखा है और वह हर हाल में भारत को डसने का प्रयत्न करेगा ही। इस समय हमारी सतर्कता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत होगी क्योंकि अभिनंदन तो झांकी हैं पर आतंकवादी बाकी हैं……

This Post Has 3 Comments

  1. विनय सामंत

    सही है

  2. हेमंत उपासने

    भारत की ओर से पाकिस्तान को घेरने के लिए किए जा रहे प्रयासों और सेना के शौर्यपूर्ण कार्यवाही को उल्लेखित करता सुविचारित लेख है।हां , सोशल मीडिया पर चली जा रही पाकिस्तान की नापाक चालों को देशवासियों को समझना होगा। युद्ध जैसी स्थितियों में भारत सरकार को सोशल मीडिया पर कडी नजर रखकर लगाम लगाने आब्जर्वर बैठाना चाहिए।आज हर हाथ मोबाईल है।और ऊंगलियां जो स्क्रीन पर सामने आए उसे बिना सोचे समझे फारवर्ड कर रही है।पाकिस्तान इसका फायदा उठाकर भारत का पक्ष कमजोर करने के प्रयास कर सकता है।

  3. Mukesh gupta

    बेहतरीन लेख

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