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असाधारण राष्ट्रपति

by आलोक शर्मा
in अगस्त २०१७, राजनीति
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श्री रामनाथ कोविंद एक असाधारण राष्ट्रपति होंगे और गरीबों, दलितों तथा वंचितों के लिए लगातार एक मजबूत आवाज बने रहेंगे; इसका मुझे पूरा विश्वास है। …उनकी विधि क्षेत्र की उत्कृष्ट जानकारी से राष्ट्र को लाभ होगा। किसान पुत्र श्री कोविन्द साधारण पृष्ठभूमि से हैं। उन्होंने अपना जीवन जनसेवा को समर्पित किया है।
-श्री नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री

श्री रामनाथ कोविंद दलित और पिछड़े वर्गों के लिए हमेशा काम करते रहे हैं। कोविंद दलित समुदाय से आते हैं। उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए बहुत काम किया है। वे अच्छे वकील हैं और संविधान का अच्छा ज्ञान रखते हैं। इसलिए वे एक अच्छे राष्ट्रपति साबित होंगे।
अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा

भारत को संविधान देने वाले और एक समाज पुनरूत्थानवादी डॉ.भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि, ‘‘समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत के रूप में स्वीकार करना होगा। ’’ उनके द्वारा की गई कल्पना आज भारतभूमि पर चरितार्थ होती हुई दिखाई दे रही है। वैसे तो भारतीय समाज में अनगिनत उदाहरण हैं जो धर्म, सम्प्रदाय, जाति, भेदभाव, सामाजिक उत्थान व समरसता को प्रतिपादित करते हैं, लेकिन जब भारत जैसे विशाल देश के सर्वोच्च पद पर किसी व्यक्ति का आसीन होना, जिसकी पहचान दलित, पिछड़े और शोषित वर्ग से की जाती हो और जिसे भारत के प्रथम नागरिक के पद पर सुशोभित किए जाने हेतु चुना गया हो, ऐसा निर्णय उस देश के करोड़ों-जनमानस ही नहीं अपितु पूरे विश्व जगत का मार्ग प्रशस्त करेगा।

प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की बागडोर संभाली है, देश में अनेकानेक परिवर्तन के साथ चौंकाने वाले निर्णय ही सामने आए हैं। ऐसा ही निर्णय भारत के राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा करने का हुआ जिससे अर्श से फर्श पर आई कांग्रेस की मुश्किलें तो बढ़ीं ही, साथ ही अन्य विपक्षी दलों की भी बोलती बंद हो गई। १९ जून २०१७ को भारतीय जनता पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेस कर राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा कर दलित शब्द पर राजनीति करने वालों के मुंह बंद कर दिए और भाजपा के दलित विरोधी होने के आरोपों को सिरे से नकार दिया।

२५ जुलाई २०१७, भारत के राजनैतिक इतिहास के पृष्ठों में भारतीय राजनीति को गौरवान्वित करने वाला क्षण स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा, जब भारत के राष्ट्रपति के रूप में बिहार के राज्यपाल और दलित नेता कहे जाने वाले श्री रामनाथ कोविंद भारतीय गणराज्य के १४हवें राष्ट्रपति के रूप में संसद के सेन्ट्रल हाल में भारत के प्रथम नागरिक का पद सुशोभित करने की शपथ ले रहे होंगे।

निर्विवाद और असाधारण व्यक्तित्व
राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में भारतीय जनता पार्टी की ओर से रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा होने के बाद से ही यह आम चर्चा का विषय रहा है कि ये रामनाथ कोविंद कौन हैं? इसके पूर्व पहले कभी यह नाम चर्चा में नहीं रहा, अन्य राजनैतिक दल इसे भाजपा के दलित एजेंडे के रूप में देख रहे हैं। अगर सही मायने में देखा जाए तो श्री कोविंद केवल दलित ही नहीं अपितु राष्ट्रपति के रूप में बेहद काबिल व्यक्ति साबित होंगे। शांत, निर्विवाद, कानूनविद् और कमजोर, शोषित, पीड़ित लोगों के हक तथा उनकी शिक्षा के प्रसार के लिए संघर्षशील, दलित समुदाय का नेतृत्व करने वाले श्री रामनाथ कोविंद हाल में बिहार के राज्यपाल के रूप में दायित्व का निवर्हन कर चुके हैं।

योग्यता परिचय की मोहताज नहीं
१ अक्टूबर १९४५ को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की तहसील डेरापुर के एक छोटे से गांव परौंख में जन्मे श्री रामनाथ कोविंद ऐसे व्यक्तित्व का परिचय है जिन्हें उनके नाम ने नहीं, उनके कार्यों ने इस मुकाम पर पहुंचाया है। शांत, अविवादित, अपने कर्म के प्रति समर्पित भाव वाले व्यक्तित्व का ही असर रहा कि आम जनमानस उनके नाम से अनभिज्ञ है, लेकिन उनके ज्ञान रूपी दीपक ने वंचित समाज में हमेशा प्रकाश ही फैलाया है। श्री कोविंद का संबंध कोरी अथवा कोली जाति से है, जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है। उनकी शिक्षा और समाज के वंचित शोषित वर्ग के प्रति समर्पण भाव ने उन्हें जाति बंधन से उठा दिया। उनकी पहचान दलित चेहरे के रूप में अहम रही है।

पैतृक मकान दान में दिया। आईएएस की परीक्षा पास करने के बाद नौकरी ठुकरा चुके श्री कोविंद अपने तीन भाइयों में सब से बड़े हैं। जीवन संगिनी के रूप में ३० मई १९७४ को सविता कोविंद से विवाह हुआ जिनके एक पुत्र प्रशांत कुमार व एक पुत्री स्वाति कोविंद हैं। अपने जन्मस्थान वाले गांव परौंख के पैतृक मकान को सार्वजनिक बारातघर के रूप में न केवल दान में दे दिया बल्कि अपने संसदीय कोष से इसका निर्माण भी कराया। कानपुर युनिवर्सिटी से बी.ए., एल.एल.बी. की डिग्री लेने के पश्चात श्री कोविंद ने दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की। १९७१ में बार काउंसिल के लिए नामांकित हुए। सन १९७७ से १९७९ तक हाईकोर्ट में केन्द्र सरकार के वकील रहे।

गरीब, वंचितों की मदद
सरल एवं सौम्य स्वभाव के ७१ वर्षीय श्री कोविंद हमेशा गरीब और वंचितों की मदद के लिए तैयार रहते हैं। वर्ष १९९७ में केन्द्र सरकार द्वारा जारी आदेशों के अनुसूचित जाति जनजाति के कर्मचारियों के हितों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया और उनके प्रयासों से वे आदेश अमान्य कर दिए गए। एक वकील के रूप में श्री कोविंद ने हमेशा गरीबों और कमजोरों की मदद की है, खासकर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लोगों, महिलाओं, जरूरतमंदों तथा गरीबों की वह ‘फ्री लीगल एंड सोसायटी’ के बैनर तले मदद करते थे। छात्र जीवन में भी उन्होंने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए काम किया है।

राजनीतिक सफर
८ अगस्त २०१५ से बिहार राज्य के राज्यपाल के पद का निर्वहन कर रहे श्री रामनाथ कोविंद वर्ष १९८६ में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्यूरो के महामंत्री रहे। श्री रामनाथ कोविंद ने अपने राजनैतिक सफर की शुरूआत वर्ष १९९१ में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ कर की। वर्ष १९९४ और वर्ष २००० में पुनः उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए, लगातार १२ वर्ष राज्यसभा के सदस्य रहते हुए कई समितियों में सदस्य जैसे आदिवासी, होम अफेयर, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, सामाजिक न्याय, कानून न्याय व्यवस्था, गवर्नर्स ऑफ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के सदस्य तथा राज्यसभा हाउस कमेटी के चेयरमैन भी रहे हैं। श्री कोविंद ने सन २००२ में संयुक्त राष्ट्र की महासभा को भी संबोधित किया है। वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। श्री कोविंद भाजपा दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए कोली समाज के अध्यक्ष भी रहे हैं, और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने १९ जून २०१७ को बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को भाजपा की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है।

उत्तर प्रदेश से पहले राष्ट्रपति राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार श्री कोविंद देश के१४हवें, उत्तर प्रदेश से आने वाले पहले, और देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति होंगे। पूर्व राष्ट्रपति के. नारायणन दलित समुदाय से थे जो वर्ष १९९७ से वर्ष २००२ तक भारत के राष्ट्रपति रहे हैं। उत्तर प्रदेश ने देश को कई प्रधानमंत्री दिए हंैं। श्री कोविंद यूपी से आने वाले पहले व देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति होंगे।

९९ फीसदी मतदान
देश के १४हवें राष्ट्रपति को चुनने के लिए १७ जुलाई को मतदान हुआ। संसद समेत सभी राज्यों की विधान सभाओं में बने ३२ मतदान केन्द्रों पर सांसदों और विधायकों ने वोट डाले। खास बात यह रही कि इस बार रिकार्ड ९९ फीसदी मतदान हुआ है। कोविंद का राजग के अलावा जदयू, अन्नाद्रमुक, टीआरएस, जैसे दलों ने समर्थन किया। जबकि विपक्षी दलों ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाया था। चुनाव में क्रास वोटिंग के चलते अगरतला में तृणमूल कांग्रेस के छह बागी विधायकों व कांग्रेस के एक विधायक ने भी लाईन से हट कर रामनाथ कोविंद को वोट दिए हैं। वहीं समाजवादी पार्टी के विधायक शिवपाल सिंह यादव ने भी रामनाथ कोविंद को वोट दिया। मध्यप्रदेश में २३० में से२२८ वोट डाले गए हैं। छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तराखण्ड, हरियाणा, हिमाचल समेत ११ राज्यों में सौ फीसदी मतदान हुआ है।

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