स्वतंत्रता की दूषित अवधारणा

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क्या राष्ट्र के नागरिकों के मध्य अल्पसंख्यक औऱ बहुसंख्यक की शर्मनाक औऱ विभेदकारी अवधारणा को हम अपनी उपलब्धियों के रूप में याद करें। क्या तुष्टीकरण की व्यवस्था के लिये स्वाधीनता की राजनीतिक लड़ाई लड़ी गई थी। समाजवाद के नाम पर हमने किस आर्थिक मॉडल की नींव रखी जो राष्ट्रीय हितों के ही विरुद्ध हो। सवाल बहुत है जो जीवन के हर क्षेत्र से जुड़े है। क्यों कौटिल्य, गांधी, दीनदयाल की सशक्त और मौलिक वैचारिकी को खूंटी पर टांगकर हमने वाम औऱ पश्चिमी विचारों को आत्मसात कर देश को आगे बढ़ाने के नीतिगत निर्णय लिए? आखिर भारतीय स्वत्व को भुलाकर उधार की वैचारिकी ने इन 74 सालों में हमें क्या दिया?

“स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा”

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यह नारा देश के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने दिया था उन्होंने ब्रिटिश सरकार को पूरी तरह से देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। बाल गंगाधर तिलक एक प्रसिद्ध वकील, शिक्षक, समाजसुधारक और राष्ट्रवादी व्यक्ति थे बाद में लोगों ने उन्हे लोकमान्य की भी उपाधि दी।…

मोदी की तारीफ पर घिरे आजाद, कांग्रेसियों को क्यों है मोदी से नफ़रत?

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जून 2018 में जब प्रणब मुखर्जी संघ के एक कार्यक्रम में शामिल हुए तो उनकी पार्टी ने ही उनका विरोध शुरु कर दिया जबकि संघ के कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस की आलोचना तो दूर उसका जिक्र तक नहीं हुआ था फिर पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं में से एक प्रणब…

कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा का निधन, एक दिन पहले ही मनाया था जन्मदिन

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    कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा का सोमवार को निधन हो गया। उन्हे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी जिसके बाद उन्हे 19 दिसंबर को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इससे पहले कल 20 दिसंबर को ही मोतीलाल वोरा ने अपना 93वां जन्मदिन मनाया…

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