जून 2018 में जब प्रणब मुखर्जी संघ के एक कार्यक्रम में शामिल हुए तो उनकी पार्टी ने ही उनका विरोध शुरु कर दिया जबकि संघ के कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस की आलोचना तो दूर उसका जिक्र तक नहीं हुआ था फिर पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं में से एक प्रणब मुखर्जी का विरोध क्यों हुआ? संघ हमेशा से ही कांग्रेस के निशाने पर रहा है वह चाहे नेहरु की सरकार रही हो या फिर सोनिया गांधी की, राहुल गांधी अक्सर आरएसएस पर आरोप लगाते नजर आते रहते है हालांकि यह उनका दुर्भाग्य ही है कि वह आज तक संघ पर किसी आरोप को साबित नही कर सके। करीब 3 साल बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने बीजेपी नेता और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर दी, जिसके बाद पार्टी की तरफ से उनका भी विरोध शुरु हो गया। कांग्रेस पार्टी क्या यह समझने को तैयार नहीं है कि नरेंद्र मोदी एक नेता के साथ साथ देश के प्रधानमंत्री भी है अगर उनका कोई काम या व्यवहार किसी को पसंद आता है तो वह उनकी तारीफ कर सकता है?
कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को देखकर यह लगता है कि अब देश की राजनीति में विपक्ष के मायने बदल चुके है। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजयेपी भी किसी समय विपक्ष की भूमिका निभाते थे तब सरकार भी उनसे सलाह लेती थी। राजनीति में विपक्ष की बड़ी भूमिका होती है लेकिन कांग्रेस के वर्तमान हालात यह कहते है कि अब विपक्ष की भूमिका सिर्फ सरकार पर आरोप लगाना और सरकार के सभी फ़ैसलों का विरोध करना भर रह गया है। भारत की राजनीति में लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस को शायद यह लगा था कि अब सैंकड़ो वर्षों तक उसके ही हाथ में देश की बागडोर होगी लेकिन पीएम मोदी के झोके ने पूरी कांग्रेस को हिलाकर रख दिया जो शायद वह पचा नहीं पा रहे है।
कांग्रेस या उसके सहयोगी दल जब भी सरकार का विरोध करते हैं तब पीएम मोदी की आलोचना की जाती है जो कभी कभी पीएम की गरिमा को भी लांघ जाती है और विपक्ष उसे अभिव्यक्ति की आज़ादी बताते है लेकिन आज जब कांग्रेस पार्टी के विश्वसनीय और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पीएम मोदी की तारीफ कर दी तो कांग्रेस पूरी तरह से बिलबिला उठी। आखिर अब कांग्रेस अभिव्यक्ति की आज़ादी के चश्मे से गुलाम नबीं के बयान को क्यों नहीं देख रही है? क्या किसी की बुराई करना और उसे गाली देना ही अभिव्यक्ति की आज़ादी है? अगर देश का कोई नागरिक कुछ अच्छा काम कर रहा है तो उसकी तारीफ करना इतना बुरा क्यों हो जाता है कि उसके अपने ही कार्यकर्ता उसका पुतला जला देते है इतना ही नहीं अब तो उन्हे कांग्रेस पार्टी से बाहर करने की भी मांग उठने लगी है।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का जब राज्य सभा से कार्यकाल खत्म हुआ तो पीएम मोदी ने उनकी तारीफ की थी इस दौरान आजाद के कार्यों को याद करते हुए पीएम भावुक हो गये थे। जिसके बाद कांग्रेस नेता ने भी पीएम की यह कह कर तारीफ की थी वह एक गांव से ताल्लुक रखने वाले प्रधानमंत्री है और उन्होने अपने जीवन में चाय भी बेचा है जिस पर वह खुल कर बात करते है। आजाद ने कहा कि आप जीवन में जो भी करते है उस पर आप को गर्व होना चाहिए और आप को अपनी असलियत कभी छुपानी नहीं चाहिए। अगर आप अपनी असलियत छुपाते है और लोगों को गुमराह करते है तो आप एक बनावटी जीवन जी रहे है।
राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता है। यहां ना कोई स्थायी दुश्मन होता है और ना ही दोस्त। वर्तमान राजनीति में तो ज्यादातर अपना ही उल्लू सीधा करने में लगे हुए है। देश सेवा का भाव बहुत ही कम नेताओं में देखने को मिलता है। नेता चुनाव के समय ही जनता को याद करते है उसके बाद जीते या हारे वह जनता के सामने फिर अगले चुनाव में ही नजर आने वाले है हालांकि मोदी सरकार के समय इसमें थोड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। बीजेपी नेताओं से पीएम मोदी ने आग्रह किया है कि वह ज्यादा समय अपने विधानसभा क्षेत्र में बिताए और जनता की परेशानियों को कम करने की कोशिश करें। हम तो सभी नेताओं से यही आग्रह करेंगे कि वह जनता के बीच जाए और उनकी परेशानियों को समझे क्योंकि उन्हे उसी काम के लिए जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है।