रामदेव पर निशाना साध खुद की गलतियां छिपाने में लगी हॉस्पिटल लॉबी

Continue Readingरामदेव पर निशाना साध खुद की गलतियां छिपाने में लगी हॉस्पिटल लॉबी

योगगुरु रामदेव और डाक्टरों के बीच एक बड़ी बहस छिड़ी हुई है या फिर यह कहें कि आयुर्वेद और ऐलोपेथ के बीच एक बड़ी जंग छिड़ी हुई है और दोनों ही पक्ष एक दूसरे को कमजोर साबित करने का दावा कर रहे है लेकिन आखिर यह कौन निश्चित करे कि…

बालों की समस्याएं दूर करने के लिए करें शीर्षासन

Continue Readingबालों की समस्याएं दूर करने के लिए करें शीर्षासन

शीर्षासन करने का सही तरीका, सावधानियां और लाभ योग की शुरुआत भारत से हुई है लेकिन आज यह पूरी दुनिया में फेमस हो चुका है। दवाओं के साथ साथ अब हर कोई योग के द्वारा फिट रहने की कोशिश कर रहा है क्योंकि यह सभी को पता है कि योग से…

लोकपाल, काला पैसा एवं अण्णा-बाबा का आन्दोलन

Continue Readingलोकपाल, काला पैसा एवं अण्णा-बाबा का आन्दोलन

पिछले वर्ष लगभग इन्हीं दिनों देश का वातावरण अण्णा हजारे के आन्दोलन भर गया था। ऐसा वातावरण निर्माण हो गया था कि लगता था मानों देश में कोई नई क्रान्ति होने वाली है। उस आन्दोलन का बड़ा प्रभाव सरकार पर पड़ा था।

भारत जागरण का दूसरा दौर

Continue Readingभारत जागरण का दूसरा दौर

बाबा के आंदोलन को तोड़ने की लगातार कोशिश जारी है। बाबा के फास तो कोई धन नहीं मिला, उनके सहयोगी बालकृष्ण को घेरने की कोशिशें जारी हैं। उनके फतंजलि योगफीठ व उनकी दवा कम्फनियों का कच्चा-चिट्ठा खोजने के काम में सरकारी एजेंसियां जी-जान से जुटी हैं।

संतों के सामाजिक सरोकार

Continue Readingसंतों के सामाजिक सरोकार

बाबा रामदेव के अनशन से जिनके स्वार्थों फर आंच आ रही थी, ऐसे अनेक नेताओं ने यह टिपफणी की, कि बाबा यदि संत हैं, तो उन्हें अर्फेाा समय ध्यान, भजन और फूजा में लगाना चाहिए। यदि वे योग और आयुर्वेद के आचार्य हैं, तो स्वयं को योग सिखाने और लोगों के इलाज तक सीमित रखें। उन्हें सामाजिक सरोकारों से कोई मतलब नहीं है।

दूसरी आजादी की लड़ाई – जुलाई २०११

Continue Readingदूसरी आजादी की लड़ाई – जुलाई २०११

जीवन का आधार जल, गुरु महिमा, श्रवण कुमार अब कहां ? वर्षा ऋतु के व्यंजन, सम्पादकीय सहित राज्यों के समाचार, कहानी आदि विषय वस्तु पत्रिका को सम्पूर्ण व समृद्ध बनाती है.

श्वेत-श्याम तसवीर

Continue Readingश्वेत-श्याम तसवीर

लोग कहते हैं श्वेत-श्याम चित्रों का जमाना अब लद चुका है। चारों तरफ रंगीनी ही रंगीनी है। लेकिन चित्र रंगीन होते-होते कब श्वेत-श्याम में फरिवर्तित हो जाए इसे कौन जानता है? अब दक्षिण के ही दो चैनलों को देख लीजिए। कन्निमोझी कैसे चैनल को खड़ा करने के चक्कर में खुद फंस गईं। चैनल रंगीन बना रहा, लेकिन कन्निमोझी की छवि श्वेत-श्याम हो गई।

End of content

No more pages to load