अनंत की ओर जाने की बौद्धिक यात्रा

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स्पिनोज़ा का मानवमुक्ति का सिद्धांत ऋग्वेद की ‘ऋत’ संकल्पना सरीखा ही है। यह संकल्पना कहती है कि आत्मा, जीव, सृष्टि व परमेष्टि को जोड़ने वाला तत्व एक ही है और वह एक विशिष्ट नियम से कार्यरत रहता है। इस तरह स्पिनोज़ा के तत्वज्ञान एवं वेदांत में बहुत समानता है। इस अर्थ में स्पिनोज़ा हिंदू ही थे। ऐसा अनेक पाश्चात्य विचारकों का मानना है।

‘मनोहर’ सपना टूट गया…

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मनोहर पर्रीकर सामाजिक और व्यक्तिगत मूल्यों का जतन करके अपने कर्तृत्व के बल पर शून्य से विश्व का निर्माण करने वाले सामाजिक समूह का प्रतिनिधित्व करते थे। उनके प्रति जनमानस के आकर्षण का मूल कारण यही था।

उद्योग केंद्रित नीतियों की आवश्यकता

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आर्थिक सुधारों की दृष्टि से नोटबंदी, जीएसटी, करवंचना रोकने और कैशलेस लेनदेन बढ़ाने जैसे कठोर उपाय एक ही कालखंड में आए और इससे समाज में हड़बड़ी का माहौल निर्माण हो गया। नए प्रश्न निर्माण हुए। इससे पार पाने के लिए उद्योग केंद्रित नीतियों की आवश्यकता है। औद्योगिक क्षेत्र में स्वस्थ स्पर्धा, विश्वास का माहौल और प्रशासनिक संस्कृति का निर्माण हो तो इन समस्याओं से निपटा जा सकेगा।   किसी भी समाज की सम्पन्नता में उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। व्यवसायी समाज की आवश्यकता को पहचान कर उसे पूरा करने के लि

 सहज मार्गक्रमण की आवश्यकता

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 ‘जो शास्त्र सम्मत है वही टिकाऊ है| गैलीलियो के सिद्धांत शास्त्र सम्मत थे, इसीलिए टिके| उनके विरोधी नहीं बचे| संघ विरोधियों की समझ में नहीं आया इसलिए हीन भावना पालने की कोई आवयकता नहीं है| ...जिन सिद्धांतों पर संघ आजतक चला, बढ़ा; वह शास्त्रीय स्वरूप संघ कार्यकर्ताओं व शुभचिंतकों की समझ में आ जाए तो उसका अधिक परिणामकारक उपयोग हो सकता है|’’

ट्रम्प की नई अमेरिका

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सभी को आश्चर्य चकित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए राष्ट्रपति चुने गए। उनके कार्यकाल में अब अमेरिका कैसा होगा इसके अनुमान लगाए जा रहे हैं। अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ी है, ओबामा की अमेरिकी चिकित्सा बीमा योजना के प्रति बहुत ज्यादा असंतोष है, अर्थव्यवस

प्रश्न पुराने….दिशा नई

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मोदीजी की विदेश नीति विविधता में भी एकात्मभाव निर्माण करने की भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परम्परा का व्यावहारिक आविष्कार है। जिन मोदी पर प्रसार माध्यमों ने आरोपों की झड़ी लगा दी थी, विध्वसंक तथा हिंसक के रूप में उनकी छवि निर्माण की थी, वे मोदी प्रत्यक्ष में कैसे हैं इसका अनुभव अब विश्व नेताओं को हुआ होगा। इससे भारत की भी नई छवि विश्व नेताओं के मन में निर्माण हुई होगी।

मुंडे का राजनैतिक उत्तराधिकार

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मंगलवार, 3 जून को सुबह 7.45 बजे फोन आया कि गोपीनाथ मुंडे की दुर्घटना में.....। खबर किसी भूकंप की तरह थी। भूकंप कुछ क्षणों का ही होता है, परंतु उसके कारण धरती के ऊपर का विश्व उलट-पलट जाता है। गोपीनाथ मुंडे का अकस्मात निधन भी राजनैतिक भूकंप ही है।

लोकतंत्र, राजनीति और संघ

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भारतीय लोकतंत्र इस समय अत्यंत नाजुक दौर से गुजर रहा है। भारत को धार्मिक आधार पर विभाजन स्वीकार कर ही स्वतंत्रता लेनी पड़ी। सम्राट अशोक का साम्राज्य वर्तमान भारत से अधिक विस्तीर्ण था। लेकिन इसके बाद भारत में इतने विस्तीर्ण और एकीकृत भूप्रदेश पर राज करने वाली अन्य राजसत्ता नहीं आई।

संघ की स्थापना आधुनिक राष्ट्र निर्माण की नींव

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वतंत्रता के पश्चात देश का सबसे शक्तिशाली संगठन है। जब देश स्वतंत्र हुआ तब भारत में मुख्य रूप से चार विचारधाराएं कांग्रेस, कम्युनिस्ट, समाजवादी और संघ थीं। कांग्रेस के साथ स्वतंत्रता संग्रम की पार्श्वभूमि थी।

लोकपाल, काला पैसा एवं अण्णा-बाबा का आन्दोलन

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पिछले वर्ष लगभग इन्हीं दिनों देश का वातावरण अण्णा हजारे के आन्दोलन भर गया था। ऐसा वातावरण निर्माण हो गया था कि लगता था मानों देश में कोई नई क्रान्ति होने वाली है। उस आन्दोलन का बड़ा प्रभाव सरकार पर पड़ा था।

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