बेटे बेटियों पर निगरानी, संस्कार से जोड़ने की जरूरत

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देश की राजधानी दिल्ली से अक्सर क्रूरतम घटनाओं के समाचार आते हैं। कभी बेटी तंदूर में जलाई जाती है, कभी निर्भया काँड होता है, कभी छत्तीस टुकड़े किये जाते और अब कार में फँसा कर 12 किलोमीटर तक घसीटा गया है । ये घटनाएँ केवल संबंधित परिवारों को ही दर्द…

आखिर बच्चे क्यों हिसंक हो रहै है??

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मांटुगा स्थित एक विधालय के आठवी क्लास के दो सहपाठियों ने एक छात्रा के साथ लैंगिक घटना की रिपोर्ट सामने आई तथा कल्याण तथा आदि स्थानो में ऐसी खबर आई है। उपरोक्त जैसी घटनाऐ क्रमशः बढता चलन किस ओर ले जा रहा है?? कभी शिक्षकों पर हमला, कभी आपसे में…

आने वाले कल की युवा शक्ति

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बच्चे देश का भविष्य होते हैं। बच्चे नटखट और शैतान भी होते हैं। बच्चों की इस शैतानियत और ऊर्जा का अगर कोई भी देश सही इस्तेमाल करेगा तो उसे अपनी उन्नति के लिए कल तक का इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा।

बच्चा यदि पढणे में कमजोर हो

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बालक अगर गतिमंद हो, तो उसका ख्याल कर अध्ययन की दिशा निश्चित करना आवश्यक होता है। स्वतंत्र रूप से अध्ययन कैसे करवाएँ, इसे लेकर माता-पिता का, अध्यापकों का मार्गदर्शन करने से लाभ हो सकता है।

बच्चों की भावना पर ध्यान देना जरुरी

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 आज के गतिमान तथा ऐहिक की गर्त में खोए हुए तांत्रिक जगत में हम बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक चीजें, मोबाइल्स और कम्प्यूटर तुरन्त उपलब्ध करा देते हैं। लेकिन क्या उन्हीं चीजो के साथ आनेवाले अन्य संकटों को अनदेखा करने से बनेगा? फेसबुक, मोबाईल संदेशों के माध्यम से बच्चे घरेलू संस्कारों की लक्ष्मण रेषा लाधकर दूरतक पहुँच जाते हैं।

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