…ऑस्कर, नाम तो सुना ही होगा !!

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विश्व का शायद ही कोई कोना हो जहां इंसान  रहते हों और फिल्में ना देखी  जाती हों। कहीं बड़े धूमधाम से बनती हैं और लोग उनके रिलीज होने का महीनों या सालों इंतजार करते हैं, तो कहीं पर लोग तमाम प्रतिबंधों के बावजूद चोरी-छिपे देख ही लेते हैं। कट्टप्पा ने बाहुबली…

भारतीय फिल्मों के पितामह दादासाहब फालके

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नासिक के पास प्रसिद्ध तीर्थस्थल त्रयम्बकेश्वर में 30 अप्रैल, 1870 को धुंडिराज गोविन्द फालके का जन्म हुआ। उनके पिता श्री गोविन्द फालके संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे। वे चाहते थे कि उनका पुत्र भी उनकी तरह विद्वान् पुरोहित बने। इसलिए उन्होंने बचपन से ही उसे गीता, रामायण, शास्त्र, पुराण, वेद,…

उत्तराखंड मेरी आत्मा है मुंबई मेरा शरीर

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उत्तराखंड मेरी आत्मा है तो महाराष्ट्र का मुंबई शहर मेरा शरीर। जिस तरह आत्मा और शरीर एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते, उसी प्रकार उत्तराखंड और मुंबई इन दोनों के बिना मैं नहीं जी सकता।’ ऐसा कहना है मूवी मैजिक एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के एम.डी. राजेश नेगी का। मूलत: उत्तराखंड के राजेश नेगी ने अपने मुंबई तथा उत्तराखंड के अनुभव हिंदी विवेक के साथ साझा किए। प्रस्तुत है उसके सम्पादित अंश -

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