सारा संसार लोभ श्रृंखलाओं में फंस गया है

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एक बार विदुर जी संसार भ्रमण करके धृतराष्ट्र के पास पहुँचे तो धृतराष्ट्र ने कहा, "विदुर जी ! सारा संसार घूम कर आये हो आप, कहिये कहाँ-कहाँ पर क्या देखा आपने?" विदुर जी बोले, "राजन् ! कितने आश्चर्य की बात देखी है मैंने। सारा संसार लोभ श्रृंखलाओं में फंस गया…

और कितने मोड़

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अस्वस्थता का ध्यान आते ही शरीर में एक लहर-सी दौड़ गई। वह तेज बुखार में तप रहा था। जी चाह रहा था हिले भी न, फिर भी छुट्टी न मिल पाने के कारण फैक्टरी जाना पड़ रहा था। जैसे ही आधे रास्ते पहुंचा कि तेज वर्षा प्रारम्भ हो गई। भींगने के कारण कंपकंपी छूटने लगी। अत: टेस्ट रूम में पहुंचकर उसने हीटर जलाया।

राम की अयोध्या वापसी

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कौशल्या ने सादगी का जो चोला पति के जाने के बाद ओढा, वह नहीं बदला। अब वह दुकान शहर में ‘कौशल्या रेस्टोरेन्ट’ के नाम से जानी जाने लगी। अपनी आमदनी से वह कुछ दान-पुण्य करती, बचत से भावी बहू के लिए जेवर बनवाती, मन में बेटे की गृहस्थी बसाने का सपना जो आकार लेने लगा था।

संवेदनाएं अपनी-अपनी

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अचानक स्टेशन का शोर सुनाई देने लगा था। न्यू दिल्ली स्टेशन आ चुका था। सभी यात्री अपना सामान लेकर दरवाजे की ओर बढ़ने लगे। नितिन और भव्या भी मालती को लेकर सामान के साथ नीचे उतर आए। सबको मालती के बेटे अरुण का इंतजार था। भव्या और नितिन की निगाहें मालती की ओर थीं, कि कब वह संकेत देगी कि मेरा बेटा अरुण आ गया।

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