स्वावलंबन का सूरज

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उस दिन सुजाता के घर गांव से बहुत से मेहमान आए हुए थे। नाश्ते, भोजन आदि की व्यवस्था के साथ उसे मेहमानों को नाशिक दर्शन के लिए भी ले जाना था। पंचवटी, रामकुंड, काला राम, गोरा राम मंदिर, सीता गुफा आदि के दर्शन के पश्चात वह शाम छह बजे मेहमानों के साथ अपने घर पहुंची, फिर रात का खाना खिलाकर उसने मेहमानों को आठ बजे विदा किया।

जहां सुमति तहं सम्पति नाना…

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मंजुला और श्याम ने अलमारी खोली। उसमें चांदी के सिक्के, चांदी का लोटा, चांदी की प्लेट, कुछ गिन्नियां रखी थीं। कुछ कपड़े आदि भी रखे थे। श्याम ने कहा, बस यह चांदी-सोने का सामान मुझे दे दो। बाकी जो कुछ है, वह तुम ले लो। मोहन ने कहा, ठीक है भैया आपको जो अच्छा लग रहा है, वह आप ले लीजिये।

अधिकार

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मुंबई से दिल्ली प्लेन का सफर मुझसे काटे नहीं कट रहा था। आज सुबह ही नीरा की बेटी शालिनी का फोन आया था। उसने रोते हुए कहा था, आंटी, मम्मी से मिलना है, तो जल्दी से आ जाइए। डॉक्टर ने कहा है, उनके पास अब अधिक समय नहीं है। शालिनी…

भोर का उजाला

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वरांडे में बैठी रिमझिम फुहार का आनंद लेते हुए श्रुति चाय की चुस्कियां ले रही थी। उसकी मधुर स्मृतियों में अमित के साथ बिताए स्कूल, कॉलेज दिन फिल्म की तरह उभर आए थे। स्कूल से ही उनकी मित्रता चल रही थी। उन दोनों की आपस में बहुत लड़ाइयां होती थीं।…

हौसलों की उड़ान

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एक दिन अचानक पुल का एक हिस्सा ढह गया। वह दर्दनाक हादसा अनेक मजदूरों के संग गीतिका के बापू को भी निगल गया। गीतिका की आंखों में क्रोध उतर आया। वह सविता से कहने लगी, मां, ये इंजीनियर, ओवरसीयर, ठेकेदार घूस खाकर खराब माल लेते हैं। न इन्हें मजदूरों का खयाल है, न देश का। कितने मजदूर अपनी जान से हाथ धो बैठे, पर इन बेशर्मों को शर्म कहां है? इनकी तिजोरियां भर गईं। अब करेंगे मजदूरों की लाशों पर अय्याशी।

संवेदनाएं अपनी-अपनी

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अचानक स्टेशन का शोर सुनाई देने लगा था। न्यू दिल्ली स्टेशन आ चुका था। सभी यात्री अपना सामान लेकर दरवाजे की ओर बढ़ने लगे। नितिन और भव्या भी मालती को लेकर सामान के साथ नीचे उतर आए। सबको मालती के बेटे अरुण का इंतजार था। भव्या और नितिन की निगाहें मालती की ओर थीं, कि कब वह संकेत देगी कि मेरा बेटा अरुण आ गया।

कालचक्र

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“बियानी जी की आंखों से गंगा -जमुना बह रही थीं। वे बोले, भगवान अच्छे कर्मों का फल कैसे, कहां देंगे, यह तो हमें पता नहीं चलता। बेटा, कालचक्र में क्या कुछ निहित है कोई नहीं जानता...”

कर्मफल

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कन्याकुमारी मंदिर के पीछे चबूतरे पर अनेक यात्री सूर्योदय देखने के लिए एकत्रित थे। सब कुछ बड़ा ही रोमांचक था। अपने सप्तअश्व रथ पर सवार हो बाल सूर्य के आने की घड़ी आ गई थी।

प्यार का भूत

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प्रेम करना कोई गुनाह नहीं है, प्रेम में जाति-धर्म, ऊंच-नीच का भी बंधन नहीं है, पर जीवन भर के साथ के लिए जिंदगी में सही निर्णय लेना बहुत जरूरी है, जो तुम्हें लेना है। सच्चा प्यार, विश्वास, संस्कार, परिवार, रीति-रिवाज आदि ये सब वैवाहिक जीवन के आधार हैं।

जंग जिंदगी की

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“कुछ दिन बाद डॉ. अनूप स्वयं को थोड़ा स्वस्थ महसूस करने लगे। उन्हें अपने मरीज याद आने लगे थे। वे कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव को खुद भुगतचुके थे। उन्होंने कोरोना के रोगियों को बचाने की मन में ठान ली और पुन... मरीजों की सेवा करने हेतु अपना रक्षा- कवच पहन कर, योद्धा बन हॉस्पीटल पहुंच गए। जिंदगी की जंग फिर शुरू हो गई थी!”

कैसे बढ़ाएं परिवारों में आपसी मेल मिलाप

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परिवारों के बीच प्रेम बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि हम एक दूसरे के सुख-दुःख में भागीदार बनें। बिना किसी अपेक्षा के एक दूसरे की सहायता करें। अपने ही अपनों के काम आते हैं। पर यदि अपने अपनों के काम नहीं आते तो वे गैर बन जाते हैं। दूरी बनाने से रिश्तों में कटुता स्वाभाविक रूप से आ जाती है। यह कटुता फिर मिटाए नहीं मिटती।

एक नज़र चांद पर

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गोरा चिट्टा, गोल-मटोल चंद्रमा सम्पूर्ण सृष्टि को प्रकाश, शीतलता, अमृत तत्व आदि प्रदान करके सबका उपकार करता है। यही कारण है कि चांद को लेकर न जाने कितने मिथक, कितनी कहानियां, कितने गीत और कल्प कथाएं इस सृष्टि में प्रचलित हैं।

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