बच्चा यदि पढणे में कमजोर हो

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बालक अगर गतिमंद हो, तो उसका ख्याल कर अध्ययन की दिशा निश्चित करना आवश्यक होता है। स्वतंत्र रूप से अध्ययन कैसे करवाएँ, इसे लेकर माता-पिता का, अध्यापकों का मार्गदर्शन करने से लाभ हो सकता है।

बच्चों की भावना पर ध्यान देना जरुरी

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 आज के गतिमान तथा ऐहिक की गर्त में खोए हुए तांत्रिक जगत में हम बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक चीजें, मोबाइल्स और कम्प्यूटर तुरन्त उपलब्ध करा देते हैं। लेकिन क्या उन्हीं चीजो के साथ आनेवाले अन्य संकटों को अनदेखा करने से बनेगा? फेसबुक, मोबाईल संदेशों के माध्यम से बच्चे घरेलू संस्कारों की लक्ष्मण रेषा लाधकर दूरतक पहुँच जाते हैं।

शिक्षा में नवाचार

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जीवन में ज्ञान की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता। बहुत सारी समस्याएं अज्ञान से ही पैदा होती हैं। इसीलिए कहा गया है- ‘नाणं पयासयरं।’ ज्ञान प्रकाश करता है। सचमुच यह एक बहुत मूल्यवती अनुभव-वाणी है। दुनिया में यदि महान कष्ट है तो वह अज्ञान ही है। ज्ञान के बिना आदमी अंधे के समान है।

विद्यालयों में नेचर क्लब

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पर्यावरण की दृष्टि से हर पदार्थ का सृष्टि संतुलन में अपना योगदान है- यह सीख ‘यंगेस्ट इंडिया’ के बीस करोड़ छात्रों को नेचर क्लब के जरिये समाझायें और प्रकृति और मानवता की रक्षा करें।

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