मारीशस के तुलसी अरुण-मृदुल सेवक सुखदाता

Continue Readingमारीशस के तुलसी अरुण-मृदुल सेवक सुखदाता

अरुणजी का अवसान मारीशस में एक युग की समाप्ति है, किन्तु भारत भी अससे अछूता नहीं रहा है। अरुणजी ने जिस प्रकार से बीसवी शताब्दी के उत्तरार्ध तथा इक्कीसवी सदी के प्रारंभ में समय की आवश्यकता के अनुरूप समाज को श्रीराम चरित से जोड़ने का सद्प्रयास किया, वह अभिनंदनीय तो है ही, किन्तु अनुकरणीय भी है।

सावित्रीबाई फुलेः स्त्री शिक्षा की अग्रणी प्रणेता

Continue Readingसावित्रीबाई फुलेः स्त्री शिक्षा की अग्रणी प्रणेता

दुनिया में लगातार विकसित और मुखर हो रही नारीवादी सोच की ऐसी ठोस बुनियाद सावित्री बाई और उनके पति ज्योतिबा ने मिल कर डाली, जिसने भारत में महिला शिक्षा एवं सशक्तिकरण की नींव रखी।

शिक्षा का भविष्य और भविष्य की शिक्षा

Continue Readingशिक्षा का भविष्य और भविष्य की शिक्षा

नई शिक्षा नीति का उद्देश्य ज्ञान आधारित जीवंत समाज का विकास रखा गया है जिसे प्राप्त करने के लिए विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को पर्याप्त लचीला बनाया जाएगा। यह भारतीय शिक्षा पद्धति को राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना के अनुरूप संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने के प्रयास की अभिव्यक्ति है।

नई शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ता कदम

Continue Readingनई शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ता कदम

लगभग 35 वर्षों बाद नई जीवनानुकूल शिक्षा प्रणाली आ रही है। नई शिक्षा नीति में ऐसे छात्रों का निर्माण होगा, जो भारत की जड़ों से जुड़े रहें और आधुनिकता के साथ भी कदम मिलाए। इसलिए इस नीति का स्वागत ही किया जाना चाहिए, क्योंकि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ा एक और महत्वपूर्ण कदम है।

भारत के सामयिक उत्कर्ष की ओर उड़ान

Continue Readingभारत के सामयिक उत्कर्ष की ओर उड़ान

शिक्षा के ढांचे से प्रशासनिक उलझाव खत्म कर एकीकृत स्वरूप देने का प्रावधान बहुत लंबे समय से प्रतीक्षित था। वह शिक्षा के जरिए भारत को महाशक्ति बनाने की प्रबल इच्छा को उद्घाटित करती है। इसका देश भर में स्वागत हो रहा है; जबकि कांग्रेस व वामपंथियों का निरर्थक रुदाली रुदन जारी है, जो समय के साथ अपने आप ठंड़ा पड़ने ही वाला है।

जैसी आज की शिक्षा वैसा कल का भारत

Continue Readingजैसी आज की शिक्षा वैसा कल का भारत

प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत के निर्माण की कार्ययोजना का प्रभावी प्रारूप है ...देश में शिक्षा की व्यवस्था संभालने वाली सभी संस्थाएं अपनी स्वायत्ता को क़ायम रखते हुए नई शिक्षा प्रणाली को लागू कर हम सबके सपनों के भारत को साकार कर सकती हैं।

ओलंपियाड चैंपियनशिप में भारत का शानदार प्रदर्शन

Continue Readingओलंपियाड चैंपियनशिप में भारत का शानदार प्रदर्शन

 १૪ से ३० साल की उम्र के अंतिम और खुले ओलंपिक समूह में, १૪ साल की अनन्या राणे ने चैंपियन ऑफ चैंपियंस एबासकिंग का खिताब हासिल किया और अपने देश का नाम ऊंचा किया। इनमें से कई बच्चों ने पिछले साल की जोहानिसबर्ग में पाई सफलता को दोहराया।

क्या बच्चे अंक उगलनेवाली मशीन हैं?

Continue Readingक्या बच्चे अंक उगलनेवाली मशीन हैं?

आज समाज को यह निर्णय लेना अत्यंत आवश्यक है कि वे बच्चों को अंकों और कृत्रिम सुख सुविधाओं के पीछे भागने वाली मशीन बनाना चाहता है या भावनाओं से ओतप्रोत आत्मशांति से युक्त संवेदनशील और सफल इंसानबनाना चाहता है।

यात्रा एक ज्ञानतीर्थ की

Continue Readingयात्रा एक ज्ञानतीर्थ की

डॉ. अच्युत सामंता उड़ीसा के शिक्षा-पुरुष हैं। उन्होंने अभावग्रस्त वनवासी छात्रों की सामान्य और टेक्नालॉजी दोनों की शिक्षा के लिए विशाल परिसर स्थापित किया, जो देश-विदेश के लिए अनूठा उदाहरण हैं। यह एक ज्ञानतीर्थ ही है, जहां आज हजारों छात्र शिक्षा ग्रहण कर सफलता के नए आयाम रच रहे हैं।

हिंदी भाषी चाहें सबका विकास

Continue Readingहिंदी भाषी चाहें सबका विकास

सन 2019 का चुनाव इस अर्थ में महत्वपूर्ण होने जा रहा है कि इसमें 21वीं सदी में पैदा होने वाला मतदाता भी हिस्सा लेगा।  जाहिर है कि नया मतदाता पुराने भ्रमजालों से बचते हुए अपनी शर्तों पर मतदान करेगा। चूंकि उसकी प्राथमिकताएं और अपेक्षाएं अलग होंगी अतः उसका मत भी अपेक्षाकृत राष्ट्रविकास पर अधिक केन्द्रित होगा। कुछ ऐसा ही महत्व महाराष्ट्र में हिंदी भाषी मतदाताओं का भी है।

शिक्षा का व्यवसायीकरण

Continue Readingशिक्षा का व्यवसायीकरण

कुकुरमुत्ते की तरह उग रहे सी.बी.एस.ई, आई. सी. एस ई, आई.बी. समेत तमाम माध्यमों के विद्यालयों और गैर सरकारी महाविद्यालयों की खेती के बीच एक यक्ष प्रश्न देश भर के बुद्धिजीवियों के दिल में लगातार बना हुआ है कि वर्तमान शिक्षा पद्धति देश समाज और नौनिहालों के लि

शिक्षा स्वावलंबन तथा आत्मसन्मान के लिए हो: रमेश पतंगे

Continue Readingशिक्षा स्वावलंबन तथा आत्मसन्मान के लिए हो: रमेश पतंगे

सिद्ध विचारक तथा लेखक मा. रमेश पतंगे जी को उनकी पुस्तक ‘सामाजिक समरसता तथा डॉ. बाबासाहब आंबेडकर’ के लिए महाराष्ट्र राज्य सरकार का पुरस्कार प्रदान किया गया है। इस अवसर पर प्रस्तुत पुस्तक तथा समसामयिक विषयों पर उनसे हुए संवाद के कुछ अंश

End of content

No more pages to load