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अग्रे-अग्रे अग्रवाल

अग्रे-अग्रे अग्रवाल

by हिंदी विवेक
in मार्च २०१2, सामाजिक
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वैश्य किसी भी राष्ट्र के आधार होते है। भारतीय राष्ट्र के निर्माण में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था के तो ये आधार है। कृषि, गोरक्षा, वाणिज्य इनके प्रमुख कर्तव्य माने गए थे। इतिहास साक्षी है कि जब संपूर्ण विश्व अंधकार के गर्त्त में डूबा था, उस समय भारत इन्हीं वैश्य शूरमाओं के कारण वैभव एवं संपन्नता के चरमोत्कर्ष पर था। भारत ‘सोने की चिड़ियात कहलाता था। और यहां दूध और दही की नदियां बहती थीं। सुख-समृद्धि, ज्ञान-विज्ञान, सभ्यता-संस्कृति, वैभव-सम्मान सभी क्षेत्रों में भारत का बोलबाला था। भारत को ‘विश्वगुरु’ की उपाधि प्राप्त थी और यहां के वैश्यों द्वारा स्थापित नालंदा और तक्षशिला के विश्वविद्यालयों में विश्व के लोग अध्ययन करने आया करते थे।’

इसी समाज में महाराज अग्रसेन उत्पन्न हुए, जिन्होंने ‘एक रुपया-एक ईट’ परंपरा का उद्घोष किया और 18 गोत्रों पर आधारित शासन का प्रचलन कर गणतंत्र शासन की नींव रखी थी। उन जैसी आदर्श समाजवादी व्यवस्था आज तक न तो संभव हो पाई है और आने वाला युग कैसी शासन व्यवस्था दे सकेगा, इसकी कल्पना करना ही कठिन लगता है।

अग्रे-अग्रे अग्रवाल! वैसे तो राष्ट्र के विकास में संपूर्ण समाज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है किंतु अग्रवाल समाज की भूमिका तो इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में अंकित करने योग्य है। इस समाज का राष्ट्र की आर्थिक एवं औद्योगिक प्रगति में तो उल्लेखनीय योगदान रहा ही किंतु जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जो उसके योगदान से गौरवाान्वित न हुआ हो।

यदि हम अतीत को छोड भी दें तो आज भी राष्ट्र के आर्थिक विकास में अग्रवाल समाज के उद्योगपति एवं व्यवसायी जो भूमिका निभा रहे हैं, उसके कारण आज भारत दुनिया के विकासशील देशों की अग्रिम पंक्ति में अपना परचम फहरा रहा है और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की होड में सबसे आगे है और अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा तक ने उसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की है।

इस समाज के लक्ष्मीनिवास मित्तल आज विश्व के धनी व्यक्तियों में तीसरा स्थान रखते हैं और विश्व में सर्वाधिक स्टील उत्पादन का श्रेय प्राप्त है। इसी प्रकार भारत में टेलीकॉम (मोबाइल) क्रांति के मसीहा सुनील भारती मित्तल (भारती एअरटेल), मनोरंजन जगत के बादशाह सुभाष गोयल (जी. टी. वी), घरेलू विमान सेवाओं में सबसे अग्रणी नरेश गोयल (जेट एयरवेज), खनिज उत्पादन एवं उर्जा के आधार स्तंभ अनिल अग्रवाल (वेदांत समूह), टायरों से लेकर खाद्य पदार्थों के व्यवसाय के शहंशाह आर. पी. गोयन्का, रिटेल-व्यवसाय के सरताज रवि एवं शशि रुइया (एस्सार समूह), वी. आई. पी. लगेज के दिलीप पीरामल, स्टील के उत्पादन में अग्रणी नवीन एवं सज्जन जिंदल (जिंदल समूह), द्विपहिया वाहनों के निर्माण में विश्व में विशिष्ट स्थान प्राप्त राहुल बजाज आदि भारत के उद्योग क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, उसका नामोल्लेख ही पर्याप्त होगा, वैसे भारत का संपूर्ण उद्योग एवं व्यवसाय जगत इस प्रकार के उद्योगपतियों से भरा पड़ा है और आज ये उद्योगपति केवल भारत में ही नहीं, दुनिया के कोने-कोने में अपना वर्चस्व स्थापित करने में संलग्न है। अग्रवाल समाज के अनेक ऐसे उद्योगपति हैं, जिनकी गणना विश्व के शीर्षस्थ उद्योगपतियों में होती है और दुनिया के बड़े-बड़े उद्योगपति जिनके साथ व्यापारिक संबंध करने के लिए लालायित है और उनकी क्षमता एवं प्रतिभ का लोहा पूरी दुनिया मानने लगी है।

देश के स्वतंत्रता आंदोलन से इस समाज के लोगों का योगदान निकाल दिया जाए तो गौरव करने योग्य शेष बहुत कम बचेगा। इस समाज के ही लाला मटोलचंद थे, जिन्होंने अपनी संपूर्ण संपत्ति छकड़ों में भर-भर कर बहादुरशाह को अर्पित कर दी थी और 1857 की क्रांति को सफल बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई। इसी प्रकार इस समाज के लाल झनकूमल, रामजीदास गुड़वाले और असंख्य वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दे इस क्रांति को बल प्रदान किया और हंसते-हंसते मृत्यु के फंदों पर झूल गए।

स्वतंत्रता युद्ध में इस समाज के लाला लजपतराय, जमनालाल बजाज, राममनोहर लोहिया, देशबंधु गुप्ता, सीताराम सेकसरिया, वसंतलाल मुरारका, प्रभुदयाल हिम्मतसिंहका, राधामोहन गोकुल जी, शिवप्रसाद गुप्त जैसे असंख्य योद्धा थे जिन्होंने अपने-अपने ढंग से आंदोलन में आहुति दी और भारत की स्वतंत्रता को संभव बनाया। सेठ जमनालाल बजाज इसी समाज के थे, जिनकी कर्मभूमि सेवाग्राम (वर्धा) को गांधीजी ने परतंत्र भारत की राजधानी बनाया और सेठ जमनालाल बजाज की मृत्यु पर्यन्त (1942) तक सम्पूर्ण आजादी के आंदोलन को वहाँ से चलाया। इस आंदोलन में न केवल उन्होंने अपनी सम्पूर्ण संपत्ति गांधीजी को अर्पित कर दी थी। उन्होंने अपितु संपूर्ण परिवार को आजादी के आंदोलन में झोंक दिया। उनके परिवार का कोई सदस्य ऐसा नहीं था, जो इस आंदोलन में जेल न गया हो। अकेले रामकृष्ण डालमिया ने इस आंदोलन में करोड़ों रुपए देकर भामाशाह की भूमिका निभाई परंतु यह पूरा समाज ही इस प्रकार के भामाशाहों से भरा पड़ा है।

स्वाधीनता प्राप्ति के बाद भी इस समाज ने अपने उच्चतम आदर्शों एवं नैतिकता से राजनीति को पवित्र बनाए रखने का प्रयत्न किया। डॉ. राम मनोहर लोहिया, डॉ. धर्मवीर, डॉ. रघुवीर, पीताम्बरदास, डॉ. श्री श्रीप्रकाश, डॉ. सीताराम रघुकुल तिलक, बनारसीदास गुप्त, शांतिभूषण, जुगलकिशोर, डॉ. भगवानदास, ईश्वरदास जालान, श्रीमन्ननारायण अग्रवाल, वेदप्रकाश गोयल, वृषभानु गुप्त, सुदर्शन अग्रवाल जैसे असंख्य नेताओं ने राजनैतिक पतन की दुरावस्था में भी राजनीति में उच्च मूल्यों एवं आदर्शों की बागडोर संभाली। इस समाज के डॉ. राममनोहर लोहिया ही विपक्ष के ऐसे प्रबल नेता थे, जिनकी जुझारू प्रवृत्ति वाला नेता आज तक देश में दूसरा पैदा नहीं हुआ। कांग्रेस के एकछत्र शासन का विरोध कर भारत में गैर-कांग्रेसी शासन की नींव रखने वाले वे प्रथम नेता थे। देश में यही केवल ऐसा वर्ग है, जो राजनीति को कभी जातियों, वर्णो, समुदायों मे विभक्त करने की कोशिश नहीं करता और जिस देश की सार्वभौमिकता एवं अखंडता की सदैव रक्षा की है।

इस समाज का साहित्य के क्षेत्र में योगदान तो और भी अधिक है। इस समाज के ही कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं से भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध नवजागरण की लहर पैदा की और खड़ी बोली हिन्दी साहित्य को नवस्वरूप प्रदान करके एक नये आधुनिक युग का सूत्रपात किया। वे आधुनिक ‘खड़ी बोली हिंदी के जन्मदाता’ कहे जाते हैं। बृजभाषा में काव्य रचना करने वाले जगन्नाथप्रसाद रत्नाकर और राजस्थानी साहित्य को समृद्ध बनाने वाले शिवचंद्र भरतिया का नाम साहित्य जगत में आज भी अमर है। वैसे इस समाज ने बालमुकुंद गुप्त, कन्हैयालाल पोद्दार भारतभूषण अग्रवाल, केदारनाथ अग्रवाल, डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल, काका हाथरसी, ज्योतिशरण अग्रवाल, रघुवीरशरण मित्र, रामावतार, रामरिख मनोहर जैसे अनगिनत साहित्यकार समाज को दिए हैं, जिन पर कोई भी साहित्य गौरव का अनुभव कर सकता है।

डॉ. रघुवीर ने हिन्दी भाषा में लाखों नये शब्दों और अनेक शब्दकोषों का निर्माण कर हिंदी साहित्य की जो अमूल्य सेवा की उसका अन्यत्र उदाहरण मिलना कठिन है।

विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में भारत को एक से एक बढ़कर वैज्ञानिक और चिकित्सा-विज्ञानी इस समाज ने प्रदान किए है। आधुनिक अग्नि प्रक्षेप्रास्त्र के जनक डॉ. रामनारायण अग्रवाल भारत में ‘हरित क्रांति’ के जनक इंजीनियर सर गंगाराम, राजस्थान नहर जेसी विशाल योजना एवं भारत में भाखड़ा बांध जैसी परियोजनाओं के सूत्रधार डॉ. कंवरसेन, भूकंप विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. जयकृष्ण अग्रवाल, सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. के. के. अग्रवाल, अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. एच. आर. झुंझनूवाला, भारत मे पोलियो अभियान के जनक एवं दिल्ली में तंबाकू विरोधी अभियान के प्रवर्तक डॉ. हर्षवर्धन, विकलांग चिकित्सा के मसीहा डॉ. आर. के. अग्रवाल एवं कैलास मानव आदि इस समाज के वे गणमान्य वैज्ञानिक, इंजीनियर, चिकित्सक हैं, जिन्होंने राष्ट्र की अमूल्य सेवा कर विज्ञान जगत को गौरवान्वित किया है।

धार्मिक क्षेत्र में श्री जयदयाल गोयन्दका एवं हनुमान पोद्दार ने गीताप्रेस एवं कल्याण के माध्यम से जो कार्य किया है, वह अप्रतिम है। गीता प्रेस ने गीता, रामायण, भागवत, उपनिषद, वेद, पुराण, महाभारत आदि धर्मग्रंथो का सस्ते मूल्य में प्रकाशन और उन्हें घर-घर जनसाधारण में पहुंचा कर वैदिक सनातन धर्म की रक्षा और हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार का जो कार्य किया है, उसका उदाहरण मिलना कठिन है। खेमराज श्रीकृष्णदास एवं अन्य प्रकाशन संस्थाओं का भी इस दिशा में उल्लेखनीय सहयोग रहा है। ऋषिकेश स्थित स्वर्गाश्रम के तट पर बना गीताभवन आज भी भारत के लाखों श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बना हुआ है। इसके अलावा इस समाज ने देश के कोने-कोने में मंदिरो, धर्मस्थलों, मठों आदि की स्थापना कर धर्मप्रचार के कार्य में अभूतपूर्व योगदान दिया है। आर्य समाज, जैन, बौद्ध, सिक्ख-कोई धर्म ऐसा नहीं है, जो इसके योगदान से अछूता हो। हाल ही में श्री सत्यनारायण गोयनका एवं सुभाष गोयल ने मुंबई में ‘विपश्यना पगोडा’ का निर्माण कर विपश्यना पद्धति के उद्धार का महान कार्य किया है। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल का रामजन्मभूमि आंदोलन में जो योगदान रहा है, उसे सरलता से भुलाया नही जाना संभव नहीं है।
दान धर्म के क्षेत्र में तो इस समाज का कोई सानी नही है। इस समाज द्वारा निर्मित चिकित्सालयों, विद्यालयों, महाविद्यालयों, प्याउओं, अन्नक्षेत्रों आदि का पूरे देश में जाल बिछा हुआ है और अब युग की मांग को देखते हुए इस समाज के सेवा कार्यो का नये-नये क्षेत्रों में विस्तार हो रहा है। अब इस समाज द्वारा समय की आवश्यकता को देखते हुए स्थान-स्थान पर पोलियो, अंधता, कैंसर, मधुमेह आदि रोगों के निवारण के लिए नि:शुल्क शिविर लगाए जा रहे हैं, आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित विशालकाय अस्पतालों का निर्माण कराया जा रहा है, ज्ञान-विज्ञान की आधुनिक शिक्षा के लिए उच्च अध्ययन के लिए छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्तियां प्रदान की जा रही हैं, विकलांगो की सेवा के लिए नि:शुल्क कैम्प लगाए जा रहे हैं और बैसाखियां आदि उपलब्ध कराई जा रही है, जो इस समाज की मानवीय सेवा की भावना के श्रेष्ठ निदर्शन हैं।

पत्रकारिता एवं प्रकाशन के क्षेत्र में इस समाज का पूरा वर्चस्व है। भारत में सर्वाधिक बिक्री वाले इंडियन एक्सप्रेस, दैनिक भास्कर, जागरण, अमर उजाला, विश्वमित्र, जनसत्ता, नवभारत टाइम्स जैसे जितने समाचार-पत्र, पत्रिकाएं हैं, इस समाज द्वारा संचालित होते हैं। इस क्षेत्र में रामनाथ गोयनका, नरेंद्र मोहन, रमेशचंद्र अग्रवाल, विवेक गोयनका, समीर जैन, शोभना भरतिया, विनीत जैन, शेखर गुप्ता, शिवकुमार गोयल, वेदप्रताप वैदिक जैसे असंख्य पत्रकार हैं, जिन्होंने पत्रकारिता की मशाल को अपने सशक्त हाथों में थामा हुआ है। रामनाथ गोयनका भारत में सत्ता परिवर्तन के वाहक समझे जाते थे और उन्होंने राजकीय तानाशाही से सदैव लोहा लिया।

मीडिया के क्षेत्र में जी. टी. वी. ने जो कुछ किया है, उसका सानी नहीं। समाचार-प्रसारण से लेकर फिल्म निर्माण तक उसका कोई मुकाबला नहीं। आज श्री सुभाष चंद्रा मनोरंजन जगत के बादशाह माने जाते हैं और पूरे विश्व के 140 देशों में उनके चैनलों द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों को देखा जाता है। उन्होंने प्रसारण के लिए ‘अग्रणी’ सेटेलाइट की स्थापना कर इस दिशा में महान कार्य किया है।

कला, फिल्म एवं अभिनय के क्षेत्र में भी इस समाज की प्रतिभाएं अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। कला, संगीत, नृत्य के क्षेत्र में रश्मि अग्रवाल, शालू जिन्दल, निष्ठा अग्रवाल आदि ने पर्याप्त प्रसिद्धि अर्जित की है। शालू जिन्दल ने कुचिपुडी नृत्य में अ. भा. स्तर पर प्रतिष्ठा अर्जित की है। इसी प्रकार विभिन्न फिल्मों एवं टी. वी. सीरियलों में अनु अग्रवाल, स्मिता बंसल, सोनिया अग्रवाल, आरती अग्रवाल, काजल अग्रवाल, बिपाशा अग्रवाल आदि ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर कला क्षेत्र में भी अग्रवाल समाज के नाम को ऊचा किया है। अब केवल हिन्दी फिल्मों में ही नहीं, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ फिल्मों में भी अग्र-प्रतिभाएं श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं।

खेलकूद के क्षेत्र में विभिन्न खेलों में आशा अग्रवाल, संध्या अग्रवाल, किरण अग्रवाल, सुरेश गोयल, पुष्पेन्द्र गर्ग, अशोक गर्ग, ओम अग्रवाल आदि ने खेल जगत का सर्वोच्च अर्जुन पुरस्कार अर्जित कर समाज के नाम को गौरावन्वित किया है। श्री जगमोहन डालमिया ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भारतीय क्रिकेट की बुलंदियों तक पहुंचाने का जो उल्लेखनीय कार्य किया, वह खेल जगत की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ललित मोदी इंडियन प्रीमियर लीग के चेयरमैन तथा भारतीय क्रिकेट बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे। उनके निर्देशन में भारतीय क्रिकेट ने नई ऊँचाईयां छुईं। नेहा अग्रवाल ने बीजिंग में आयोजित ओलम्पिक खेलों में प्रथम टेबल टेनिस महिला खिलाड़ी के रूप में भाग लेकर अग्रवाल समाज के नाम को ऊँचा किया है। जी. टी. वी. के सुभाष गोयल ने इंडिया क्रिकेट लीग की स्थापना करके क्रिकेट खेल में जबरदस्त प्रतिस्पर्धी उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त की है। महान उद्योगपति एल. एन. मित्तल, मोबाइल जगत के शिरोमणि सुनील भारती मित्तल, जिंदल समूह के उदीयमान नक्षत्र नवीन जिंदल ने ओलम्पिक स्तर पर भारतीय खिलाड़ियों के उत्कृष्ठ प्रदर्शन हेतु विशेष प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था की है। हाल ही में निशानेबाजों ने श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी अभिनव बिंद्रा को मित्तल चैम्पियन ट्रस्ट द्वारा उल्लेखनीय सहायता प्रदान की गई थी।

इसी प्रकार न्याय, विधि, राष्ट्र रक्षा, कृषि, पर्यावरण, जादू-कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जो अग्रवाल समाज के योगदान से गौरवान्वित न हुआ हो। अब अमेरिका जैसे महान देशों में बॉबी पीयूष जिंदल, प्रीता बसंल, मंजू गनेडीवाल आदि ने उच्च पदों पर प्रतिष्ठापित होकर अंतरराष्ट्रीय जगत में स्थान बनाया है। इस समाज की अनेक विभूतियों पर डाक टिकट प्रकाशित कर और उन्हें भारत रत्न, पदमविभूषण, पदमभूषण, पदमश्री, शौर्य चक्र, महावीर चक्र, राष्ट्रपति पदक आदि अलंकरण प्रदान कर उनके विशिष्ट कृति को मान्यता प्रदान की गई है।

निष्कर्ष रूप में अग्रवाल समाज ने भारत राष्ट्र को प्रत्येक क्षेत्र में गौरवान्वित किया है और भारत को प्रतिष्ठा की उंचाइयों तक पहुंचाने एवं विश्व की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बनाने में उसने महत्वपूर्ण भूमिका है। सबसे बडी बात यह है कि यही एकमात्र समझ है, जो कभी जाति, पाति, धर्म, संप्रदाय, आदि संकीर्ण बातें न करता और जिसके लिए संपूर्ण भारत अपना परिवार, विश्व कुटुम्ब है एवं प्राणिमात्र के कल्याण की भावना जिसकी रग-रग मे समाई है। अब तक की उपलब्धियों के आधार पर यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि अग्रवाल समाज भारत के ही नहीं, ?? के श्रेष्ठतम समाजों में से एक है और उस पर गौरव अनुभव करने प्रत्येक अग्रवाल को अधिकार है।

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