भारतीय संविधान ने सभी को समान अधिकार दिया है। आज विश्व को शांति, मित्रता, मानवता और विश्व बंधुत्व की आवश्यकता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन के अहंकार की भावना का त्याग कर मानवता, प्रेम, आनंद, संतुष्टि एवं विश्वास निर्माण करना जरूरी है। यह वक्तव्य केन्द्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने मुंबई शेयर बाजार सभागार में वायएनएन द्वारा आयोजित विश्व मंगल मैत्री सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में दिया।
उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि संविधान द्वारा दिए गए समान अधिकार के चलते देश में सभी लोग शांतिपूर्वक रहते है। यहां सभी को अपनी-अपनी धार्मिक मान्यता के अनुसार जीवन यापन करने का पूर्ण स्वातंत्र्य है। हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, यहूदी, ईसाई, मुसलमान सभी धर्म, मजहब, पंथ के लोग शांति के साथ रहते है।
हमारे देश में सभी धर्मों का आदर सम्मान किया जाना चाहिए। मजहबी वाद-विवाद नहीं होना चाहिए। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ पर केंद्र सरकार देश में अच्छा कार्य कर रही है।
रूस-यूक्रेन युद्ध बंद होना चाहिए। आज विश्व को युद्ध की नहीं अपितु बुद्ध की जरूरत है। ऐसे समय में विश्व शांति का सन्देश देनेवाले विश्व मंगल मैत्री सम्मेलन जैसे आयोजनों का होना सराहनीय है।
इसके अलावा सदगुरु मंगेश दा ने अपने वक्तव्य में कहा कि पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल एवं आकाश इन पञ्च महाभूतों का भी मानवों को सम्मान करना चाहिए। अपने मतभेद-मनभेद एवं वाद-विवाद को को भुला कर प्रेमपूर्वक व्यवहार करें। सामाजिक एकत्व एवं सह अस्तित्व को आत्मसात करने से ही शांति का संदेश विश्व में जाएगा।
इसके साथ ही सद्गुरु ब्रह्मानन्दाचार्य, पंडित गोपाल उपाध्याय, केशव शर्मा, गोविन्द महाराज (आलंदी), पांडुरंग कदम, डॉ. राहुल बोधि, ब्रह्मकुमारी प्रमिला बेन, सुरजीत सिंह, रेव्हरंड मायकल, हाफिज फारुकी, डॉ. गंगास्वामी गृहाश्रम, सद्गुरु योगेश महाराज, पारसी धर्मगुरु डॉ. होमी दल्ला, व्यास महाराज एवं अभिनेत्री स्मिता जयकर ने भी विश्व शांति के लिए अपने विचार प्रकट किये। इस कार्यक्रम में मंच पर वायएनएन के उप सचिव डॉ. राजेन्द्र जाधव सहित अन्य गणमान्य जन विशेष रूप से उपस्थित थे।