कर्तव्यनिष्ठ राजनेता

राम नाईक जी ने सक्रिय राजनीति में रहते हुए कई नए कार्यों की शुरुआत की थी। उदाहरणार्थ मुंबई के लिए बॉम्बे या बम्बई नाम का उल्लेख न कर असली नाम मुंबई ही कहना। राज्य सभा तथा लोकसभा में वंदे मातरम तथा जनगणमन के गायन की शुरुआत इत्यादि। इसी परम्परा को कायम रखते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी कुछ नए कार्यक्रमों की शुरुआत की। उत्तर प्रदेश में कभी ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ नहीं मनाया गया था। उनके प्रयासों से अब प्रतिवर्ष २४ जनवरी को ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

क्या आपने कभी सुना है कि किसी प्रदेश के राज्यपाल ने अपना रिपोर्ड कार्ड जनता के सामने प्रस्तुत किया हो ! अव्वल तो जनता यही नहीं जानती कि राज्यपाल का काम क्या होता है। आम जनता को केवल इतना ही पता है कि राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और किसी भी राज्य सरकार के कार्यों में वे सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकते। वे मुख्य मंत्रियों को शपथ दिलाने तथा किसी सजायाफ्ता कैदी की सजा को कम अधिक करने का कार्य करते हैं। इसके अलावा राज्यपाल क्या करते हैं या उन्हें क्या करना चाहिए ये कोई नहीं जानता। और शायद इसीलिए जनता भी उन्हें किसी कार्य के लिए उत्तरदायी नहीं मानती।

उत्तर प्रदेश के मा. राज्यपाल राम नाईक इस धारणा का अपवाद हैं। सक्रिय राजनीति में एक लंबी पारी खेलने के पश्चात तीन वर्ष पूर्व उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। और विगत तीन वर्षों से वे प्रतिवर्ष जनता के सामने राज्यपाल के रूप में किए गए अपने कार्यों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करते आ रहे हैं।

नवीन कार्य
मा. राज्यपाल राम नाईक जी ने सक्रिय राजनीति में रहते हुए कई नए कार्यों की शुरुआत की थी। उदाहरणार्थ मुंंबई के लिए बॉम्बे या बम्बई नाम का उल्लेख न कर असली नाम मुंबई ही कहना। राज्य सभा तथा लोकसभा में वंदे मातरम तथा जनगणमन के गायन की शुरुआत इत्यादि। इसी परम्परा को कायम रखते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी कुछ नए कार्यक्रमों की शुरुआत की। उत्तर प्रदेश में कभी ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ नहीं मनाया गया था। उनके प्रयासों से अब प्रतिवर्ष २४ जनवरी को ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

मतदान के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश की जनता को प्रोत्साहित किया था। सर्वविदित है किइस बार उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावों में औसत मतदान का आंकड़ा उच्च रहा है। अत: मा.राज्यपाल राम नाईक जी ने जिन तीन बूथों पर ९७ प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था उससे जुड़े मान्यवरों का राजभवन में सम्मान भी किया था।

मा.राज्यपाल राम नाईक जी ने प्रदेश सरकार से कुष्ठ रोगियों के लिए निर्वहन भत्ते को अनुमन्य करवाया है। यह उनकी समाज के पीड़ित वर्ग की ओर देखने के दृष्टिकोण को उजागर करता है। कई बार इस तरह के कार्यों को राज्य सरकारों के कार्य के रूप में नजरअंदाज कर दिया जाता है। परंतु राम नाईक जी ने उनके राज्य के पीड़ितों के दर्द को एक व्यक्ति के रूप में जाना और राज्यपाल के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उनके लिए निर्वहन भत्ते की शुरुआत करवाई।

आधुनिक तकनीकों का प्रयोग
मा.राज्यपाल राम नाईक जी प्रखर वक्ता के रूप में जाने जाते हैं। वे रा.स्व.संघ के स्वयंसेवक, सफल राजनीतिज्ञ, विचारक तथा विभिन्न सामाजिक विषयों के गहन चिंतक हैं। जाहिर सी बात है, लोग उन्हें सुनने के लिए लालायित रहते हैं। उत्तर प्रदेश तथा अन्य स्थानों पर भी लोग उन्हें वक्ता के रूप में आमंत्रित करते हैं। इस आमंत्रण को भी राम नाईकजी अपना उत्तरदायित्व मानकर स्वीकार करते हैं तथा कार्यक्रमों में समय पर पहुंचकर आयोजकों तथा उपस्थित मान्यवरों की वैचारिक क्षुधापूर्ति करते हैं। परंतु यदि किसी कारण से उनका कार्यक्रम स्थल पर पहुंचना संभव न हो सके तो वे आधुनिक तकनीकों जैसे टेली कांफ्रेंसिंग या मोबाईल के माध्यम से कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के सामने अपने विचार प्रस्तुत करते हैं।

निरंतर कार्यशीलता
किसी भी राज्य के राज्यपाल को वर्ष में १०-१० दिनों के अवकाश पर जाने की अनुमति है। परंतु मा.राज्यपाल राम नाईक जी ने इस वर्ष में एक भी अवकाश नहीं लिया। ८३ वर्ष के राम नाईक किसी जमाने में कैंसर जैसे रोग से ग्रस्त रहे हैं। परंतु आयु या रोग भी उनकी क्रियाशीलता के आड़े नहीं आए। वे आज भी अत्यंत अनुशासित जीवन जीते हैं।

राजभवन सभी के लिए
राजभवन में जाने के लिए सभी लोग उत्साहित रहते हैं परंतु सभी को वहां जाने की अनुमति नहीं होती है। अमूमन राज्यपाल से मदद की गुहार करने वाले भी कम ही होते हैं और उनसे मिलने आने वाले भी। परंतु उत्तर प्रदेश के राजभवन के द्वार सभी के लिए खुले होते हैं। वहां पहुंचने पर लोगों से मिलने वाला पहला व्यक्ति भी अत्यंत आदर और सम्मान के साथ आने का कारण पूछता है। इसके पीछे निश्चित ही मा.राज्यपाल राम नाईक जी के स्पष्ट निर्देश होते हैं कि बाहर से आए हुए किसी भी व्यक्ति को राजभवन आने के बाद निश्चिंतता का अनुभव होना चाहिए।

सभी मेरे अपने
यह सभी जानते हैं कि मा.राज्यपाल राम नाईक जी संघ स्वयंसेवक हैं तथा सक्रिय राजनीति में रहते हुए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के लिए कार्य किया। परंतु जिस समय वे राज्यपाल बने तब उ.प्र में अखिलेश यादव की अर्थात समाजवादी पार्टी की सरकार थी। परंतु उन्होंने अपने राजनीतिक या वैचारिक मतभेदों को अपने और अखिलेश यादव के बीच नहीं आने दिया। समय-समय पर सरकार को आवश्यक निर्देश तो दिए ही साथ ही अखिलेश जब भी उनके आवास पर जाते वे एक अभिभावक के रूप में उनसे हालचाल पूछते थे। राजनैतिक आधार पर उन दोनों के मतभेद कभी सामने नहीं आए।

यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मा.राज्यपाल राम नाईक जी वर्तमान समय में सबसे क्रियाशील राज्यपाल हैं। चेहरे पर बाल सुलभ स्मित लिए हुए राम नाईक जी ८३वें वर्ष में भी किसी युवा कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं। निश्चित रूप से भविष्य में उत्तर प्रदेश उनके मार्गदर्शन में प्रगति पथ पर मार्गक्रमण करेगा।

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