हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
मुर्ख ब्राम्हण

मुर्ख ब्राम्हण

by हिंदी विवेक
in कहानी
0

बहुत पहले की बात है, रामपुर नाम के गांव में एक मूर्ख ब्राह्मण रहा करता था | ब्राह्मण का परिवार काफी गरीब था |

इसलिए ब्राह्मण की पत्नी उसे बार-बार कुछ पढ़ाई करने और कुछ सीखने के लिए कहा करती थी | लेकिन ब्राह्मण बड़ा ही कामचोर था | इसलिए वह कहीं जाना नहीं चाहता था |

एक दिन जब उसकी पत्नी ने बहुत अधिक जोर दिया और कहा कि आज तुम्हें स्कूल जाकर कुछ पढ़ाई करना ही होगा तो अपने पत्नी के गुस्सा को देख़ते हुए वह ब्राह्मण तैयार हो गया |

वह अपने घर से निकला और पीछे के रास्ते से जाकर घर के पीछे छुप के बैठ गया | थोड़ी देर बाद उसके घर में कुछ लोग आए और उन लोगों ने क्या बातें कहीं यह सब बस पीछे बैठे चुपचाप सुन रहा था |

जब शाम हो गई तो ब्राह्मण वापस अपने घर के पीछे से निकल कर आया और आकर उसने अपने पत्नी से कहा कि आज मैंने इतनी पढ़ाई कर ली कि अब मैं भविष्य देखने लगा हूं |

यह सुनकर उसके पत्नी को बड़ा आश्चर्य हुआ और यकीन भी नहीं हुआ तो उसने कहा कि अच्छा ऐसा है तो बताओ आज जब तुम स्कूल गए थे तो घर में क्या हुआ |

अपनी पत्नी का सबाल सुनकर ब्राह्मण ने उत्तर दिया की आज हमारे घर में कौन आया था उसने क्या बातें कहीं | यह सब तो वह पीछे बैठकर सुन ही रहा था

जबाब सुनकर ब्राह्मण की पत्नी को यकीन हो गया कि सच में उसका पति भविष्य देखने लगा है | इसके बाद वह पूरे गांव में घूम-घूम कर सबको यह बात बताने लगी कि उसका पति भविष्य देखने लगा है, वह भविष्य देख सकता है |

अगले दिन एक धोबी का गधा खो गया था और वह उसे मिल नहीं रहा था | इसलिए वह उस पंडित के पास आया और आकर उससे कहा कि ” मेरा गधा खो गया है क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं ” |

पंडित को कुछ समझ में नहीं आया की वह क्या करें इसलिए उसने कहा कि ” अभी मैं स्नान करने जा रहा हूं जब मैं स्नान करके लौटूंगा उसके बाद मैं भविष्यवाणी करूंगा ” |

इतना कहकर पंडित वहां से निकल भागा | जब वह रास्ते में जा रहा था तब उसने देखा कि एक गधा खेत में घास खा रहा है | यह देख कर पंडित ने अपने आधे धोती को फाड़ और उससे उस गधे को वही बांध दिया और दौड़ा-दौड़ा घर वापस आया और बैठकर भविष्यवाणी करने लगा कि ” चने के खेत में तुम्हारा गधा बंधा हुआ है जाकर उसे पकड़ लो ” |

पंडित की बात सुनकर धोबी चने के खेत में गया और उसने देखा कि हां सच में चने के खेत में उसका गधा बंधा हुआ खड़ा था | अपने गधे को वापस पाकर धोबी बहुत खुश हुआ और उसने पंडित को काफी दान दिया | धीरे धीरे पंडित काफी प्रसिद्ध हो गया और बहुत लोग उसे जानने लग गए |

एक दिन राज्य के महारानी का एक नौलखा हार चोरी हो जाता है | राजा को कुछ समझ में नहीं आता कि अब वह क्या करें | राजा के मंत्री राजा को सलाह देते हैं कि उसे उस भविष्यवक्ता पंडित के पास जाना चाहिए |

राजा उस भविष्यवक्ता पंडित को अपने राजमहल में बुलाता है | पंडित कहता है कि ” ठीक है मैं अगले दिन राजमहल में आऊंगा ” | पंडित के आने की खबर से चोर काफी डर जाता है | चोर को लगता है कि जब पंडित भविष्यवाणी कर देगा और राजा को पता चल जाएगा कि यह हार मैंने चुराया है तो मेरा मरना तय है |

इसलिए वह चोर पंडित के पास रात को जाकर पंडित से कहता है कि ” वह नौलखा हार मैंने चुराया है | आप यह बात कृपया करके राजा को ना बताएं ” |

इसके जवाब में पंडित कहता है कि ” ठीक है मैं यह बात राजा को नहीं बताऊंगा लेकिन तुम वह नौलखा हार मुझे दे दो ” |

चोर ने हार पंडित को दे दिया | पंडित हार को ले जाकर राजमहल के बगीचे में एक चिड़िया के घोसले में ले जा कर रख देता है |

सुबह भविष्यवाणी करते वक्त पंडित कहता है की ” महारानी का हार एक चिड़िया के घोसले में रखा हुआ है ” |

राजा ने अपने सैनिकों को उस चिड़िया के घोसले में जाकर देखने को कहा |

राजा के सैनिक चिड़िया के घोसले में देखने गए | वहां उन्होंने महारानी का हार देखा |

अपने महारानी का हार मिल जाने से राजा बहुत खुश हुए उन्होंने उन्होंने ब्राह्मण को काफी दान दिया जिससे ब्राह्मण का घर खुशी-खुशी चलने लगा और उनकी गरीबी भी दूर हो गई |

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: arthindi vivekhindi vivek magazineinspirationlifelovemotivationquotesreadingstorywriting

हिंदी विवेक

Next Post
गधा और धोबी

गधा और धोबी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0