हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
पांच चीनी भाई

पांच चीनी भाई

by हिंदी विवेक
in कहानी
0

भौत पुराने जमाने की बात हैगी।
चीन देस में पांच ठो भाई रैत हते।
बिनकी एक खास बात हती।
पांचों भईआ देखबे में बिलकुलै एक जैंसे लगत थे।

‘ वे सब अपनी मां के सांत रहत थे। बिनको छोटो सो घर समुद्र के पास थो।

पेलो चीनी भाई पूरे समुद्र हे निगल सकत थो। दूसरो चीनी भाई की गर्दन लोहे की बनी हती। तीसरो चीनी भाई अपनी टांगों हे खींचके खूबइ लंबो बना सकत थो। चौंथे चीनी भाई हे आग नईं जला सकत थी। और पांचबो चीनी भाई अपनी सांस हे जित्ती देर तक चांहे रोक सकत थो।

रोज सुबह ‘ पैलो चीनी भाई मछली पकड़बे के लाने समुद्र के किनारे जात थो। चाहें मौसम कित्तौ भी खराब काए न हो बो हमेसा सुंदर और कीमती मछलियां पकड़ के लेआत थो।

फिर बिन मछलियों हे वो गांव के बजार हाट में बडे ऊंचे दामों में बेचत थो।

एक दिना जब बो बजार से लौटके आ रऔ थो तो एक छोटे लड़के ने बाहे रोक के पूछो ‘ ‘ ‘कि आप हमें अपने संगे मछली पकड़बे के लाने ले चलहौ?’.

” नईं. जौ संभब नई है पौले चीनी भाई ने जबाब दओ। मनो छोटो लड़का ने भौतै जिद्द करी और हार ने मानी। बाने बड़ी आरजू-मिन्नत करी। अंत में पैलो चीनी भाई राजी हो गओ।
”मनो एक सर्त पे बाने लड़का से कई ‘ ‘तुमें हमरी बात फौरन मानने हुइए। ” ‘ ‘हां! हां! जरूर छोटो लड़का बोलो। अगले दिना सबेरे सबेरे पेलो चीनी भाई और छोटो लड़का दोई झने समुद्र के तट पे पोंच गए।
” याद रखियो पहले चीनी भाई ने कई ” तुम हमरी बात हे तुरंत मानियो।
हम जैंसई इसारा करहैं तुम फौरन बापिस चले आने। ”
” हां! हां!” बोलके छोटे लड़का ने अपना सिर हिला दौ।
बाके बाद पेले चीनी भाई ने समुद्र के पूरे पानी हे पी लओ।

पानी खतम हो जाबे से सबरी मछलियां समुद्र की तलहटी पे सूखी रेत में फंस गयीं और छटपटान लगीं। समुद्र को जो अनमोल खजानो साफ सीफ दिखाई देन लगो। इत्ती सुंदर चीजें देखके छोटे लड़का की खुसी को ठिकानो नै रहो। वो इधर -उधर दौड़न लगो और अपनी जेबों में खूबसूरत सीपियाँ, अद्भुत संख नायाब चीजें भरन लगो।

इत्ती. देर में समुद्र के किनारे से पेले चीनी भाई ने कछु मछलियां इकट्ठी कर लईं। अभी तक बाने समुद्र हे कसके अपने मो में करके रखो थो। अब बो समुद्र हे पकड़े-पकड़े एकदम थक गओ थो। समुद्र हे जा घाईं मों में पकड़े रखबो कुई आसान काम नहीं थो। जइसे बाने अपने हांत से छोटे लड़का हे तुरंत बापिस आबे को इसारा करो। छोटे लड़का ने इसारा देखबे के बाद भी ध्यान नई दओ।

बाके बाद पहले चीनी भाई ने फिर बड़े जोर से अपनो हांत- पैर हिला-हिलाके छोटे लड़का हे तट के पास आबे को इसारा करो। मनो बो छोटो लड़का ने बाकी बात बिलकुल नई मानी। छोटो लड़का अपनी मस्ती में जा किनारे से बा किनारे और दूर दूर दौड़न लगो। अब पेले चीनी भाई से नईं रहो जा रओ थो। बाहे अपने मों के अंदर समुद्र उफनतो भओ महसूस भओ। बाने छोटे लड़का हे बापिस बुलाबे की भरसक कोसिस करी मनो छोटे लड़के ने बाहे बस मुंह चिढ़ादौ और तेजी से और दूर भगन लगो।

पेले चीनी भाई ने समुद्र हे अपने मों के अंदर पकड़े रखबे की पूरी कोसिस करी।
अंत में दर्द के मारे बाको मुंह फटन लगो।
और अगले ही पल पूरो समुद्र एक झटका में बाके मुंह से बाहर निकल गओ।
सूखो समुद्र अब पानी से लबालब भर गओ और बामें बो छोटो लड़का डूब गओ।

जब पेलो चीनी भाई अकेलो ही गांव लौटो तो बाहे गिरफ्तार करके जेल में डार दओ।
कचहरी के जज ने पेले चीनी भई को गला काटबे को आदेस निकार दौ।
फांसी बारे दिना पेले चीनी भाई ने जज साहब से बिनती करी।
” जज साब कृपा करके बमें अपनी मां से आखिरी बेर मिल लेन दो ताकि हम बिनसे अलविदा कै सकूं। ” ” जो तो हर मुजरिम को हक हैगो जज साब ने कई और बाहे अपनी मां से मिलबे की इजाजत दे दै।

अनुमति मिलबे के बाद पेलो चीनी भाई घर गओ और बाकी जगह पे दूसरो चीनी भाई बापिस आ गओ।
सिर कटबे (फांसी) की घटना हे देखबे के लाने पूरो को पूरो गांव इकट्ठौ भओ थो।
जल्लाद ने अपनी तलवार से मुजरिम की गर्दन पर जोर का बार करो।
मनो कछु ने भओ दूसरो चीनी भाई हंसत हंसत उठ गऔ जैंसे बाहे कुछु लगोई ने हो।
दूसरे चीनी भाई की गर्दन लोहे की बनी हती सो बाहे कोई भी ने सकत तो।
बाहे जिंदा देखके गांव बालों हे भौतई गुस्सा आओ और सबने बाहे समुद्र में डुबोबे को फैसला लओ।

सजा बारे दिना दूसरे चीनी भाई ने भी जज साब से कई के ” आप हमें अंतिम बेरा अपनी मां से नई मिलन देहो? मैं बिनसे आखिरी अलविदा कैन चाहत हूं। ”
”हओ जरूर जो तो तुमरो हक है जज साब ने कई।
अनुमति मिलबे के बाद दूसरो चीनी भाई घरै गओ और बाकी जगह पे तीसरो चीनी भाई बापिस आगओ। काय सें के सबई भाई देखबे में बिल्कुल एक-जैंसे हते, जइसे कुई हे भी सक ने भओ।
तीसरे भाई हे एक बड़ी नाव में बैठाके समुद्र के बीच ले जाओ गओ।
समुद्र के बीचों-बीच पौंचबे के बादई तीसरे चीनी भाई हे नाव से उठाके समुद्र में फेंक दओ।
मनो बाने अपनी टांगों की लंबाई हे बढ़ाबो चालू कर दौ, देखत देखत बा की टांगें लंबी और लंबी होत चली गयीं।
अंत में बो सुई समुद्र की तलहटी हे छून लगीं।
लोग तो बाहे देख के हैरान होनलगे। ते मे बो मुस्कुरा रओ थो।
बाकी मूड़ (चेहरा) अभी भी लहरों के ऊपर हती। बाहे कुई भी डुबो ने सकत तो।

जा नजारो हे देखके सब गांव बाले गुस्से से झल्ला गए और बाहे जिंदा जलाबे को निस्चय करो गओ। जे दिना बाहे जलाओ जानो थो बा दिना फिर तीसरे चीनी भाइया ने जज साब से जाके प्रार्थना करी
” सर मरबे के पेले हमें एक बार अपनी मां हे देखबे और बिनसे अलविदा कैबे को मौका देदो?”
” हओ ठीक है जज साब ने बाहे फिर मां से मिलबे की इजाजत दे दई।

तीसरो चीनी भाई घर पोंचो और बाकी जगह चौथौ चीनी भाई बापिस आओ।
चौथे चीनी भाई हे एक मजबूत लकड़ी के खंबे से बांधा दौ गओ।
फिर खंबे हे आग लगा दै। जा नजारे हे देखबे के लाने पूरो गांव उमड़ पड़ो। कुछ समय बाद चारों ओर ऊंची-ऊंची आग की लपटें उठन लगीं।
बई समय चौथे चीनी भाई ने कई ‘ ” इतै तो हमें बड़ो मजा आ रओ है। ”
बाकी बात सुनके लोग चिल्लान लगे ” और लकड़ी लाओ!”
धीरे- धीरे करके आग की लपटें आसमान तक छूअन लगीं।
” अब तो हमें जन्नत जैंसो मजा आ रओ है! ” चौथे चीनी भाई ने सुई चिल्ला के कई।
असल में बाहे आग से जलाओ नहीं जा सकत तो जा बात कुई हे पता ने हती।

गांव बाले जो सब नजारा देखके गुस्सा करन लगे, आग-बबूला हो गए।
सबने मिलके चौथे चीनी भाई को भट्टी में झोंकबे को और बा हे कुई भी तरै खत्म करबे को फैसला करो।
गांव बाले पूरी रात बई भट्टी के सामने खड़े रहे कायकें बिन्हें डर हतो के मुजरिम
कहुँ बिन्हें चकमा देके भग ने जाए।
सुभै होबे पे लोगों ने भट्टी के किवाड़ खोले और चीनी भाई हे बाहर निकालो गओ।
बाहर निकरतई चौथे चीनी भाई ने अपनी आखों हे मलत मलत कई।
”अरे वाह! रात खों हमें तो भौतै मजेदार नींद आई। ”
भट्टी में से बो सहीसलामत निकल आहे जा बात पे कोई हे यकीन नहीं होरौथो।
सब लोग आस्चर्यचकित होके चीनी भाई हे टकटकी लगाए देखत रहे।
इत्ती देर में जज साब भी आ गए और उन्ने कई ‘ ‘हमने तुम्हें मौत के घाट उतारबे की पूरी कोसिस करी। मनो तुम्हें खत्म करबो हमरे लाने संभव नई भओ। हो सकत है. तुमने जुर्म करोई ना हो और तुम बेगुनाह हो ”। ” हां! हां!” सभी गांव वाले एक साथ चिल्लान लगे।
तब जाके चीनी भाई हे सबने रिहा कर दौ और वो अपने घर वापस चलो गओ

अनुवाद – अंकिता आचार्य

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: arthindi vivekhindi vivek magazineinspirationlifelovemotivationquotesreadingstorywriting

हिंदी विवेक

Next Post
संघ व गोड्से के सम्बन्ध की अंतर्कथा  

संघ व गोड्से के सम्बन्ध की अंतर्कथा  

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0