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नए भारत की इबारत युवा ही लिखेंगे  – आशीष चौहान, राष्ट्रीय महामंत्री, अभाविप

नए भारत की इबारत युवा ही लिखेंगे – आशीष चौहान, राष्ट्रीय महामंत्री, अभाविप

by pallavi anwekar
in विशेष, साक्षात्कार, सितंबर २०१९
1

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री आशीष चौहान को यकीन है कि नए भारत की संरचना युवाओं के जरिए ही निर्मित होगी। उनसे हुई विशेष बातचीत में उन्होंने प्रस्तावित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, युवाओं की समस्याओं और कर्तव्यों, भाषा समस्या, जेएनयू आदि की भी चर्चा की। प्रस्तुत है महत्वपूर्ण अंश-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए भारत की संकल्पना देश के सामने रखी है, उस पर आपकी क्या राय है?

मेरा मानना है कि जैसी स्मार्ट सिटी प्रतिसाद करती है, वह कभी रुकती नहीं है, स्वत: ही चलती रहती है, उसी तरह मोदी जी देश में ऐसी ही नई व्यवस्था लाना चाहते हैं कि यह देश अपनी जिम्मेदारियों के अनुरूप स्वयं ही चलता रहे। पुरानी पद्धति को बदल कर शासन कैसे समाज के प्रति उत्तरदायी हो, कैसे जवाबदेह होकर ज्यादा सक्रिय हो, समाज के साथ सम्पर्क में रहे, संवाद करें, नया प्रशासन उत्तरदायित्व समझने वाला और लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप स्वत: काम करने वाला हो। ऐसी पारदर्शी व्यवस्था बनाकर देश को परमवैभवशाली पद पर आसीन करने के लिए मोदी जी ने नए भारत की संकल्पना देश के सामने रखी है। इससे उत्साहित होकर भारत के युवाओं सहित विश्व भर में फैले भारतीय अपना सक्रिय योगदान दे रहे हैं।
मोदी सरकार में युवाओं का क्या योगदान है?

मोदी सरकार और युवा एक दूसरे के पूरक हैं। मोदी सरकार को युवा सरकार कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी; क्योंकि सरकार का ज्यादातर काम युवा खुद आगे बढ़कर स्वयं कर रहे हैं। मोदी सरकार की हर योजनाओं में युवा ही सबसे अधिक हिस्सा ले रहे हैं। स्वच्छता अभियान हो, बेटी के साथ सेल्फी अभियान हो, या अन्य कोई भी अभियान हो, मोदी जी के हर आवाहन पर युवा अपनी पूरी ताकत से आगे आकर सरकार का समर्थन कर रहे हैं। पहले युवा राजनीति की भ्रष्ट नीति से हताश-निराश हो गया था, लेकिन राष्ट्रीय पटल पर नरेंद्र मोदी के आते ही उनमें नवचैतन्य का संचार हुआ है। युवाओं के भारी जनसमर्थन और प्रचार-प्रसार से ही मोदी जी भारी बहुमत से विजयी हुए। इसलिए मेरा मानना है कि मोदी सरकार में युवाओं का सर्वाधिक योगदान है।
नए भारत में युवाओं के समक्ष कौन सी चुनौतियां हैं?

नए भारत में जातिवाद, भाषा, प्रांत, पंथ आदि भेदभाव वाली चुनौतियां युवाओं के समक्ष उपस्थित हैं। सामाजिक समरसता की स्थापना करना और इसे कायम रखना ही नए भारत की राह में युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। हमें आज भी समाज में भेदभाव देखने को मिलते हैं। युवाओं के अलावा कोई और इस सामाजिक बुराइयों को दूर नहीं कर सकता। हमारी सारी अपेक्षाएं युवाओं से ही है। वे आगे आए और अपने पुरुषार्थ, पवित्र भाव एवं मधुर व्यवहार से सामाजिक समरसता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। राष्ट्रवाद की अलख जगाकर भी युवा इस राष्ट्र को सामाजिक समरसता के सूत्र में जोड़ सकता है।
भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कौन से कदम उठाए जाने चाहिए?

भारत सदियों से आदर्शवादी देश के रूप में विश्वविख्यात रहा है। आज भी देश दुनिया में भारतीयों को सबसे अधिक निष्ठावान और कर्तव्य परायण माना जाता है। इसलिए पूरी दुनिया में भारतीयों की एक अलग ही प्रतिष्ठा बनी है, जो काबिले तारीफ है। वर्तमान समय में 2-3 फीसदी भ्रष्ट लोगों को छोड़ दें तो पूरा भारत निष्ठापूर्वक परिश्रम के बल पर अपना और अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण एवं जीवनयापन केरता है। हमारा देश भ्रष्टाचार के पूरी तरह से खिलाफ है और भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए देश ने बहुमत से मोदी सरकार को विजयी बनाया है। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस की नीति से सरकार की प्रतिष्ठा बढ़ी है तथा भ्रष्टाचारियों की दुकानें बड़ी मात्रा में बंद हुई हैं। मुझे ऐसा विश्वास है कि आने वाले समय में मोदी सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अधिक प्रभावशाली कदम उठाएगी जिससे देश पर लगा भ्रष्टाचार का दाग भी मिट जाएगा।
बेरोजगारी, रोजगार तथा स्वरोजगार पर आपकी क्या राय है?

बेरोजगारी आज पूरे विश्व की प्रमुख समस्या है। भारत में भी बेरोजगारी है; लेकिन उतनी नहीं है जितनी बताई जाती है। देश में विकास कार्य तेजी से जारी है। इसलिए काफी संख्या में विविध क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध हुए हैं। स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया के तहत रोजगार का सृजन हो रहा है। केंद्र व राज्यों में रिक्त स्थानों पर भर्तियां की जा रही हैं। स्वरोजगार को बढ़ावा देने से बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है। सिंगल विंडो पॉलिसी के माध्यम से भी अवसर बढ़ेंगे। युवाओं के नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें उद्यमिता की ओर ले जाना बेहद जरूरी है। इससे युवा आत्मनिर्भर बनेंगे। हमने एक आग्रह किया है कि कॉलेजों के अंदर नवाचार के विषयों को लेकर पाठ्यक्रम शुरू किया जाए, ताकि छात्र अपनी परिकल्पनाओं पर आधारित काम कर सके।
क्या प्रस्तावित नई शिक्षा नीति में रोजगारपरक पाठ्यक्रम शामिल होंगे?

नई शिक्षा नीति के मसौदे में रोजगारपरक पाठ्यक्रमों और कौशल विकास से जुड़ी चीजें भी शामिल करने का सुझाव दिया गया है। इन पाठ्यक्रमों के साथ छात्रों को संगीत, पेंटिंग, कला आदि से संबंधित विषय भी सिखाए जाएंगे। इनोवेशन याने नवाचार की ओर भी छात्रों को प्रेरित किया जाएगा। निश्चित रूप से नई शिक्षा नीति लागू होने पर छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायता मिलेगी। विशेषकर हुनर को लेकर छात्र अधिक शिक्षित व सजग हो जाएंगे। इससे युवाओं को एक दिशा प्राप्त होगी तथा वह अपना करियर आसानी से चुन पाएगा।
हमारी मातृभाषा एवं स्थानीय भाषा में क्या छात्रों को शिक्षा सुलभ हो पाएगी?

जी हां,नई शिक्षा नीति के तहत हमारी मातृभाषा एवं अन्य भारतीय स्थानीय भाषाओं में छात्रों को शिक्षा प्रदान की जाएगी। जिससे छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे शिक्षा परिणाम में अधिकाधिक सफल होंगे। चीन, जापान, कोरिया सहित अन्य अनेक देशों में अंग्रेजी भाषा को प्राथमिकता नहीं दी जाती; बल्कि उनकी मातृभाषा एवं स्थानीय भाषा में ही शिक्षा दी जाती है। उसी तर्ज पर भारत में भी हमारी मातृभाषा व स्थानीय भाषा में शिक्षा सुलभ की जाएगी, जिससे शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन आएगा।
शिक्षा में मातृभाषा व स्थानीय भाषा का क्या महत्व है?

शिक्षा में सर्वाधिक महत्व मातृभाषा व स्थानीय भाषा का ही है। उसके बिना शिक्षा ही अधूरी है। विदेशी भाषाओं के दम पर हम अपना स्वाभिमानी विकास नहीं कर सकते। आज अंग्रेजी शिक्षा को सबसे अधिक गुणवत्तापूर्ण माना जाता है और उसे ही सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। यह रुझान हमें बदलना होगा और हमारी मातृभाषा व स्थानीय भाषा के महत्व को हमें रेखांकित करना होगा। हम अंग्रेजी भाषा के विरोधी नहीं हैं; लेकिन उसका जहां इस्तेमाल करना है वहीं करें, उसे अधिक तवज्जों देने की जरूरत नहीं है। दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं है जो अपनी भाषा को छोड़कर विदेशी भाषा को अत्यधिक महत्व देता हो। केवल भारत ही है जिसने अंग्रेजी भाषा को अपने सिर पर बिठा रखा है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपनी मातृभाषा व स्थानीय भाषा को प्राथमिकता देते हुए सबसे अधिक महत्व दिया है। मोदी जी जहां भी जाते हैं वहां स्थानीय भाषा के कुछ शब्दों का प्रयोग जरूर करते हैं, विदेशों में अथवा संयुक्त राष्ट्र संघ में भी मोदी जी हिंदी में ही अपनी बात रखना पसंद करते हैं।

जेएनयू में देशविरोधी नारे लगने का क्या कारण है?

जिस कैम्पस को दशकों से तथाकथित सेक्युलर बुद्धिजीवियों ने वैचारिक रूप से जकड़कर रखा हो, कई दशकों से उनके ही अध्यापक भर्ती हुए हों, उन्हीं के मेधावी पीएच. डी. करें, उनके ही मेधावी को स्थायी पोस्टिंग दी जाए, उनके ही लोगों को बढ़ावा दिया जाए, तो कैम्पस का माहौल तो दूषित होगा ही। सेक्युलर वामपंथी बुद्धिजीवियों ने ही छात्रों को गुमराह कर शिक्षा का वातावरण ख़राब किया। इसके कारण देशविरोधी नारे देखने को मिले। लेकिन अब वहां के माहौल में परिवर्तन आया है। अभाविप के छात्र कार्यकर्ता जनजागरण अभियान एवं रचनात्मक कार्यों के द्वारा कैम्पस में बदलाव ला रहे हैं। नीति एवं पारदर्शिता लाने से और अलग-अलग विचार क्षेत्रों से लोग आगे आने लगे हैं। इस कारण पहले से जेएनयू में काफी बदलाव हुआ है। पहले विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं को बोलने नहीं दिया जाता था, उनकी उपाधि रोक दी जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। परिषद् के कार्यकर्ता अब खुलकर अपनी बात राख रहे हैं। कैम्पस का वातावरण स्वस्थ हुआ है। इसलिए अनुसंधान के क्षेत्र में और सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटी रैंकिंग में जेएनयू आगे आया है। जेएनयू में व्यापक बदलाव बहुत जल्द ही दिखाई देगा।

सामाजिक समरसता की स्थापना करना और इसे कायम रखना ही नए भारत की राह में युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
युवाओं के नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें उद्यमिता की ओर ले जाना बेहद जरूरी है।
दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं है जो अपनी भाषा को छोड़कर विदेशी भाषा को अत्यधिक महत्व देता हो। केवल भारत ही है जिसने अंग्रेजी भाषा को अपने सिर पर बिठा रखा है।
भारत सरकार के फंड से चलने वाली अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सामाजिक न्याय कब मिलेगा? यह सवाल देश में उठने लगा है।
युवाओं को अब लगने लगा है कि हमारी भी देश में भागीदारी है, जिम्मेदारी है।
केवल कश्मीर घाटी में कुछ मात्रा में जिहादी मानसिकता से लैस युवाओं को छोड़ दें तो बाकी पूरे जम्मू-कश्मीर के युवा राष्ट्र के समर्थक हैं।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एससी/एसटी छात्रों को आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जाता?

जहां तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का सवाल है तो यह देश में बड़ी बहस का मुद्दा है। आखिर क्यों अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एससी/एसटी छात्रों को आरक्षण नहीं दिया जाता? सभी धार्मिक छात्रों को सामाजिक न्याय क्यों नहीं दिया जाता? एक ओर मुस्लिम संगठनों द्वारा जय भीम का नारा लगाया जाता है, वहीं दूसरी ओर उन्हें उनका संवैधानिक अधिकार याने आरक्षण भी नहीं दिया जाता। वास्तव में जय भीम का नारा एक छलावा है, उन्हें गुमराह करने के लिए। मुस्लिम समाज में भी पिछड़ा वर्ग है उन्हें भी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता। भारत सरकार के फंड से चलने वाली अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सामाजिक न्याय कब मिलेगा? यह सवाल देश में उठने लगा है।
शिक्षा के अलावा और कौन-कौन से क्षेत्रों में अभाविप कार्य करती है?

हम वास्तव में छात्र सुरक्षा के विषय को लेकर बहुत ही गंभीरता से कार्य कर रहे हैं। मिशन साहसी नाम से हमने एक अभियान शुरू किया हुआ है। पिछले वर्ष हमने साढ़े सात लाख छात्राओं को सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग दी। लगभग 5 लाख छात्राओं ने देश के अनेकानेक जिलों में प्रदर्शन में भी भाग लिया। महिला सुरक्षा को लेकर विद्यार्थी परिषद ने सबसे अधिक सक्रियता दिखाई है। मीडिया – सोशल मीडिया में बहस, चर्चा सत्र, विरोध प्रदर्शन, धरना प्रदर्शन, मार्च, आंदोलन आदि माध्यमों से भी हमने महिला सुरक्षा पर अपनी आवाज बुलंद की है। इसके अलावा महिला अत्याचार को ख़त्म करने के लिए शिक्षा के माध्यम से जन जागरण अभियान और इसके अंतर्गत आदर्श चरित्र व नैतिकता पर बल देकर हम समाज में परिवर्तन लाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। छात्राओं को शारारिक व मानसिक रूप से तैयार कर उन्हें हर चुनौती से लड़ने हेतु मानसिक स्तर पर भी प्रशिक्षित किया जाता है। इसके साथ ही देश में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हम पर्यावरण पर भी व्यापक स्तर पर काम कर रहे हैं। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में ग्राम सुराज्य और पर्यावरण को लेकर हम देश के हर कॉलेज कैम्पस में जाएंगे। जन, जल, जंगल, जमीन, जानवर के बारे में जागरूक करेंगे। हमारे युवा कार्यकर्ताओं को समाज की अनुभूति कराने के लिए हम उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में भी ले जाते हैं। ग्रामीण दर्शन कर वे वहां की समस्याओं और खासियतों से भी परिचित होते हैं।
अभाविप किस ध्येय और उद्देश्य से कार्य करती है?

हमारा भारत देश फिर से विश्वगुरु और परमवैभवशाली बने, इसी ध्येय के साथ भारत की एकता, अखंडता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बीते 7 दशकों से अभाविप अनवरत कार्यरत है और आगे भी पूरी ताकत व परिश्रम के साथ कार्य करते रहेंगे। जातपात, भाषा, प्रांत, धर्म, पंथ आदि भेदभावों को ख़त्म करने के लिए और सामाजिक समरसता स्थापित कर भारत को सशक्त राष्ट्र बनाने हेतु हम सदैव समर्पित होकर कार्य करते रहते हैं। जब भी देश में कोई आपदा आती है या कोई घटना होती है तो हमें बुलाना नहीं पड़ता; हम स्वयं ही चले आते हैं। अभाविप के कार्यकर्ता स्वयं प्रेरणा से ही हर जगह उपस्थित होकर सेवा कार्यों में जुट जाते हैं। देशहित में अभाविप के सभी कार्यकर्ता सदैव खड़े हैं। पाकिस्तान का विरोध करना हो, या बंगाल, केरल में भ्रष्ट सरकार की नीतियों का विरोध करना हो अभाविप राष्ट्र धर्म का पालन करती दिखाई देगी।
नए भारत में युवाओं की क्या भूमिका होगी?

नया भारत का मतलब युवा भारत। नए भारत में हर क्षेत्र, हर जगह सबसे अधिक भूमिका युवाओं की ही होगी। पहले युवाओं को मौका नहीं दिया जाता था लेकिन युवाओं ने अपनी प्रतिभा के दम पर अपनी प्रतिष्ठा बनाई है। अब वे अपने रचनात्मक कार्यों के जरिए हर क्षेत्र में पैठ बनाते जा रहे हैं। वे अब राजनीति, अर्थनीति, समाज, संस्कृति, कला आदि क्षेत्रों में बढ़चढ़कर अपनी भूमिका निभा रहे हैं। युवा अब नीति निर्धारण, मैनेजमेंट, प्रोजेक्ट आदि अनेक प्रकार के कार्यों में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। युवाओं को अब लगने लगा है कि हमारी भी देश में भागीदारी है, जिम्मेदारी है। युवा अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग हुए हैं और देश के नवनिर्माण में अपना यथासंभव योगदान दे रहे हैं। आनेवाले समय में युवा भारत ही नए भारत की इबारत लिखेगा।
जब आपको अभाविप का दायित्व मिला तब आपके सामने कौन सी चुनौतियां थीं?

हमारे सामने व्यक्तिगत चुनौतियां नहीं होतीं बल्कि संगठनात्मक लक्ष्य होते हैं, जिनको पूरा करने के लिए हम सब इकट्ठे मिलकर प्रयास करते हैं। जब मुझे दायित्व मिला तब से ही कॉलेजों में अभाविप की कार्यकारिणी समितियां अधिक से अधिक बनाने का लक्ष्य हमें मिला था। वर्तमान समय में विद्यार्थी परिषद की लगभग 10,000 के करीब कॉलेज यूनिट हैं। उसे हम 50,000 तक ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। अब तक परिषद के कुल 30 लाख सदस्य हैं। इसे बढ़ाकर 1 करोड़ तक सदस्यों की संख्या ले जाना चाहते हैं। सेल्फी विथ कैम्पस अभियान के तहत हम सभी कॉलेजों में जाएंगे, विद्यार्थियों से संवाद करेंगे और उन्हें अपने साथ जोड़कर उनके साथ सेल्फी निकालेंगे। कदम-दर-कदम हम अपनी योजनाओं को अंजाम देंगे।
कॉलेजों में ड्रग्स का नशा फैलता ही जा रहा है, इस पर अंकुश लगाने के लिए अभाविप ने क्या पहल की है?

नशा मुक्त, पर्यावरण युक्त, स्वस्थ भारत यह अभियान हमने 2014 के अपने राष्ट्रीय अधिवेशन अमृतसर से शुरू किया था। आज जो देश भर के कॉलेजों के अंदर ड्रग्स के नशे का जाल फैला हुआ है, उस पर हमारा रुख स्पष्ट है। हमारी समस्या हम ही समाधान, नशे के खिलाफ युवाओं को ही जागरूकता अभियान शुरू कर एक जनांदोलन शुरू करना होगा। युवाओं को नशे से बचना चाहिए। नशे के कारण भारत की युवा शक्ति क्षीण हो रही है, बर्बाद हो रही है। इससे हमारा स्वास्थ्य तो खराब हो ही रहा है; इसके विपरीत परिणाम हमारे परिवार और समाज में भी दिखाई दे रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर राज्य के युवाओं की मानसिकता तथा अन्य राज्यों के युवाओं की मानसिकता में क्या आपको कोई अंतर दिखाई देता है?

नहीं, कोई अंतर दिखाई नहीं देता, जैसा देश के सभी राज्यों के युवा सोचते हैं उसी तरह जम्मू-कश्मीर के युवा भी सोचते हैं। केवल कश्मीर घाटी में कुछ मात्रा में जिहादी मानसिकता से लैस युवाओं को छोड़ दें तो बाकी पूरे जम्मू-कश्मीर के युवा राष्ट्र के समर्थक हैं। जम्मू-कश्मीर में भी अभाविप की इकाई है। घाटी में देश विरोधी व पाक परस्त नेताओं के संरक्षण में वहां के युवाओं को बरगलाकर उन्हें भारत विरोधी घुट्टी पिलाई जाती है। वहां पर एक बहुत बड़ी साजिश चलाई जाती है। घाटी के देशद्रोही अलगाववादी स्थानीय नेताओं के सहयोग से और आईएसआई के इशारे पर यह सारा खेल चलता है या यूं कहें कि भारत विरोध पर ही घाटी के नेताओं की दुकान चल रही है। घाटी के मुट्ठीभर जिहादियों को छोड़ दें तो शेष जम्मू-कश्मीर के सारे युवा भारत के साथ जुड़े हुए हैं और वे सभी भारत के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।
नया भारत विशेषांक के द्वारा युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

मीडिया एवं सोशल मीडिया तथा हर डिबेट, चर्चा सत्र, हर प्लेटफार्म पर युवा खुलकर अपनी बात रखें, अपने विचार रखें। देश की सरकार और समाज आपकी बातें सुन रहे हैं। आप अपनी नई परिकल्पनाओं से देश में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। भारत में लोकतंत्र के तहत चर्चा के आधार पर नीतियां बनाई जा रही हैं, सलाह ली जा रही है। हर किसी को अपनी बात रखने का मौका दिया जा रहा है, उसका उपयोग करें। आने वाले समय में जो भी व्यवस्थाएं व नीतियां बनेंगी, उनमें युवाओं के मन का और इच्छाओं का समावेश होगा। इसलिए सभी लोगों से मेरा आग्रह है कि हर चर्चा में भाग लें और जो आप चाहते हैं वह लोगों को बताए, आज देश आपकी आवाज सुनना चाहता है।

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pallavi anwekar

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पानी और प्यासा कौआ 

पानी और प्यासा कौआ 

Comments 1

  1. Anonymous says:
    6 years ago

    क्या बात है !!ये युवा भारत है.ज्ञान,शील एकता परिषद की विशेषता की कसौटी पर खरे उतरते विचार हैं??

    Reply

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