हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
चूल्हे से चाँद तक

चूल्हे से चाँद तक

by रचना प्रियदर्शिनी
in महिला, विशेष, सितंबर २०१९
0

पुरुष प्रधान मानसिकता के कई क्षेत्रों में महिलाओं ने प्रवेश कर महारत हासिल की है। वे नए भारत की नई तस्वीर गढ़ रही हैं।

अब तक ऐसा माना जाता रहा है कि महिलाओं की जगह सिर्फ रसोई में होती है और उनका काम भोजन पकाना तथा घर व बच्चों को संभालना है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में देश की महिलाओं ने इस अवधारणा को तोड़ने में सफलता पाई है। नए भारत की नई तस्वीर गढ़ रही ये महिलाएं न केवल गृह विज्ञान में निपुण हैं, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान पर भी इनकी उतनी ही मजबूत पकड़ है। वे न केवल रसोई में मसालों को संतुलित करना जानती हैं, बल्कि उन्हें अपनी जिंदगी को संतुलित करना भी बखूबी आता है। वे अपने घर-परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियां संभालने के साथ ही अपने नौकरी और पेशों के उत्तरदायित्वों को भी बेहतरीन तरीके से सम्हालने में सक्षम हैं। आजाद भारत की ये  महिलाएं दिन-प्रतिदिन अपनी लगन, मेहनत एवं सराहय कार्यों द्वारा राष्ट्रीय पटल पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुई हैं। आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र अछूता बचा है, जहां महिलाओ ने अपनी उपस्थिति दर्ज न की हो। आकाश, पाताल, धरती और समुद्र- हर जगह उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी है। मौजूदा दौर में महिलाएं नए भारत के आगाज की अहम कड़ी बन चुकी हैं। लंबे अर्से तक किए गए अथक परिश्रम के बाद आज भारतीय महिलाएं समूचे विश्व में अपनी छाप छोड़ पाने में सफल हो रही हैं। इससे यह कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आने वाला कल उनका ही होगा।

पिछले वर्ष 20 जनवरी, 2018 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित फर्स्ट लेडीज इवेंट में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने-अपने क्षेत्रों में असाधारण कार्य करने वाली 112 महिलाओं को सम्मानित किया। इनमें देश की पहली महिला कुली (मंजू यादव), पहली महिला ऑटो रिक्शा ड्राइवर, पहली महिला बस एवं ट्रेन ड्राइवर और पहली महिला बारटेंडर तक शामिल हैं।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा था-

सामान्य महिलाओं के हुनर को पहचानने, और उसे निखारने में उनकी मदद करने की ज़िम्मेदारी हम सब की है। यहां उपस्थित आप जैसी असाधारण महिलाएं, देश की अन्य महिलाओं के लिए, प्रेरणा का स्रोत हैं। तमाम चुनौतियों के बावजूद हासिल की गई, आप सभी महिलाओं की असाधारण उपलब्धियां, हम सबके के लिए गौरव का विषय है। महिलाओं की तरक्की ही, किसी भी देश या समाज की प्रगति का मापदंड है।

गौरतलब है कि भारतीय महिलाएं राष्ट्र की प्रगति में अपना अधिकाधिक योगदान देकर राष्ट्र को शिखर पर पहुंचाने हेतु सदैव तत्पर रही हैं। वास्तव में नारी शक्ति ही समाजिक धुरी और हम सबकी वास्तविक आधार हैं। भारत के पुरुष प्रधान रूढ़िवादी समाज में महिलाएं निश्चित रूप से आगामी स्वर्णिम भारत की नींव और मजबूत करने का हर संभव प्रयास कर रहीं हैं, जो सचमुच काबिले-तारीफ है। ऐसी महिलाओं की संख्या हालांकि अभी भी काफी कम है, लेकिन जैसे-जैसे उनकी प्रतिभा दुनिया के सामने आती जा रही है, उनके प्रशंसकों और समर्थकों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे चंद नामों में कुछ का जिक्र किया जाना यहां लाजिमी है।

चांद को छूने वाली महिलाएं

हमारे लिए यह बेहद गर्व की बात है कि अब तक देश के सबसे बड़े और चुनौतीपूर्ण अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान 2 को निर्देशित करने का श्रेय भी महिलाओं को ही मिला है। इसरो के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी अंतरिक्ष मिशन (चंद्रयान 2) की जिम्मेदारी दो महिलाओं (रितु करीधल और वनिता मुथैया) को दी गई है। यही नहीं चंद्रयान-2 मिशन की स्टाफ टीम में भी पहली बार करीब 30 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। यह उन महिलाओं की काबिलियत और जुनून का ही नतीजा था कि इसरो द्वारा पिछले महीने प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान 2 के नेतृत्व की कमान दो महिलाओं को सौंपने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। इनके अलावा भी अन्य कई क्षेत्रों में, जिन्हें पूर्व में पुरुष प्रधान क्षेत्र कहा जाता है, महिलाओं ने अपनी धाक जमाई है।

देश की पहली महिला राष्ट्रपति

भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 21 जुलाई, 2007 का दिन इस कारण काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता रहेगा, क्योंकि स्वतंत्र भारत के 60 साल के इतिहास में, मध्य वित्त परिवार से उठकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचने वाली प्रथम महिला राष्ट्रपति हैं। इन्हें भारत का बारहवीं निर्वाचित राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। इनका राष्ट्रपति बनना नारी शक्ति के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण अध्याय साबित हुआ है।

मेरी कॉम

 

पहली महिला बॉक्सर

18 साल की उम्र में अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुआत करके मेरी कोम पुरुषों का वर्चस्व क्षेत्र माने जाने वाले बॉक्सिंग के क्षेत्र में अब तक पांच बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीत चुकी हैं। यही नहीं उन्होंने वर्ष 2012 में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करके कांस्य पदक जीता था और ऐसी पहली भारतीय बॉक्सर (पुरुष तथा महिला दोनों की वर्ग में) बन गईं।

सेना में महिलाएं

भारतीय सेना ने महिलाओं को पहली बार जवान के तौर भर्ती करना शुरू किया है। इससे पहले महिलाएं स़िर्फ अधिकारी के तौर पर सेना में आती थीं। वर्तमान में 14 लाख सशस्त्र बलों के कुल 65,000 अधिकारियों के कैडर में थल सेना में 1500, वायुसेना में 1600 और नौसेना में 500 ही महिलाएं शामिल हैं।

महिला पुलिस कमांडो

पहली बार दिल्ली पुलिस में महिला कमांडो टीम का गठन किया गया है। इस टीम में कुल 36 महिलाएं हैं और ये सभी देश के उत्तर पूर्वी इलाके से आती हैं।

महिला कुली

जब मंजू यादव ने अपने पति को खोया था तब उनके तीन बच्चों और उनके भविष्य के सामने गहरा अंधेरा छा गया था। उनके पति कुली थे और उनके गुजर जाने के बाद मंजू के परिवार की आय का कोई और साधन नहीं बचा था। तब मंजू ने एक साहसिक कदम उठाया और घूंघट और घर की चारदीवारी से निकलते हुए अपने बच्चों का भविष्य संवारने का निश्चय किया। मंजू विधवा महिलाओं से जुड़ी पारंपरिक सोच को चुनौती देते हुए देश की पहली महिला कुली बन गईं।

रानी मिस्त्री

अब तक पुरुषों का एकाधिपत्य क्षेत्र माने जाने वाले राजमिस्त्री के काम में भी महिलाओं ने घुसपैठ कर दी है। इन्हें ‘रानी मिस्त्री’ नाम दिया गया है। पिछले कुछ समय से झारखंड के कई गांवों-क़स्बों में महिला मिस्त्रियां सुर्खियों में हैं। झारखंड में ऐसी ही 7500 रानी मिस्त्रियों ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत 10 लाख शौचालयों का निर्माण किया।

महिला रेसलर

थथए में भी अब भारत की एक महिला रेसलर पहुंच चुकी हैं, द ग्रेट खली व थथए वर्ल्ड हेविवेट चैंपियन जिंदर महल जैसे फाइटरों के बाद अब हरियाणा की कविता देवी ने भी थथए फाइटिंग में भारत का झंडा ऊंचा किया है।

महिला नाई

1984 में पति की मृत्यु होने के बाद अचानक परिवार व बच्चों को पालने की जिम्मेदारी आने पर महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के हासुर सासगिरी गांव की शांताबाई ने नाई के पेशे को अपनाया। आज से 40 साल पहले, जब इस पुरुष प्रधान व्यवसाय में आने के बारे में शायद ही किसी महिला ने सोचा होगा, उस वक्त अपनी जरूरतों की वजह से ही सही, लेकिन शांताबाई ने इस पेशे को अपनाने की हिम्मत दिखाई। आज भी वह इस पेशे के दम पर अपना परिवार चला रही हैं। 70 वर्षीया शांताबाई वर्तमान में देश की सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं।

महिला क्रिकेटर

अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में पाकिस्तान की किरन बलूच  (242 रन) के बाद दूसरा सर्वाधिक स्कोर हासिल करने वाली मिताली राज आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। मिताली पहली महिला क्रिकेटर हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय वनडे मैचों में लगातार सात बार अर्धशतक जड़े हैं। महिला एवं पुरुष, दोनों वर्गों के क्रिकेट में सिर्फ जावेद मियांदाद ही उनसे आगे हैं जिनके नाम लगातार नौ अर्ध-शतक जड़ने का ख़िताब है।

योगिता रघवंशी

महिला ट्रक ड्राइवर

अक्सर परंपरागत समाज में घर की चारदीवारी के भीतर रहने वाली महिलाओं को वैसे ही काम सौंपे जाते हैं, जिसमे ज़्यादा जोखिम न हो और वे उसे घर बैठे आसानी से कर सकें, मगर हमारी आपकी सोच से कहीं ऊपर 49 साल की योगिता रघुवंशी भारत की पहली महिला ट्रक ड्राइवर हैं। साथ ही, देश की पहली उच्च शिक्षा प्राप्त ट्रक ड्राइवर हैं।

महिला बार टेंडर

21 साल की उम्र में देश की पहली महिला बार टेंडर शतभी बसु ने भारतीय महिलाओं की इस पेशे से जुड़ने को लेकर उदासीनता पर अफसोस जताया है।

इसी तरह देश की पहली महिला वाइन टेस्टर सोवना पूरी, पहली महिला ग्राम सरपंच छवि रजावत, पहली महिला दमकल कर्मी हर्षिनी कन्हेकर, एशिया की पहली पेशेवेर महिला कॉफी-टेस्टर सुनालिनी मेनन, कबड्डी की पहली महिला कोच पद्मश्री सुनील डबास आदि महिलाओं ने भी पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में घुसपैठ करके अपनी काबिलियत साबित की है।

उम्मीद है कि आने वाले नए भारत की तस्वीर फ्रेम में ऐसी ही कई और महिलाएं शामिल होंगी। बस इन महिलाओं को जरूरत है सहयोग, सुरक्षा और सम्मान की. बाकी हौसलों की कोई कमी नहीं है इनमें।  आए दिन देश में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध की खबरें आती रहती हैं, उससे न केवल लड़कियों व महिलाओं, बल्कि उनके परिवार के लोगों में भी असुरक्षा का भाव पनपता है। इसी वजह से कई प्रतिभाएं जन्म लेने से पहले ही खत्म कर दी जाती हैं या फिर जबरन उनका दमन कर दिया जाता है। हालांकि पिछले दशकों में स्त्रियों का उत्पीड़न रोकने और उन्हें उनके हक दिलाने के बारे में बड़ी संख्या में कानून पारित हुए हैं। भारतीय संविधान के कई प्रावधान विशेषकर महिलाओं के लिए बनाए गए हैं।

अगर इतने कानूनों का सचमुच पालन होता तो भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव और अत्याचार अब तक खत्म हो जाना था, लेकिन पुरुष प्रधान मानसिकता के चलते अब तक यह संभव नहीं हो पाया है। आज हालात ये है कि किसी भी कानून का पूरी तरह से पालन होने के स्थान पर ढेर सारे कानूनों का थोड़ा-सा पालन हो रहा है। इस बात की जानकारी महिलाओं को अवश्य होना चाहिए।

महिलाओं को राष्ट्र की मुख्य धारा में आने के लिए खुद अपने हितों को समझना और अपने अधिकार हासिल करने के लिए आगे बढ़ना होगा। जबतक महिलाओं के लिए बनने वाली योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी नहीं होगी, योजना सफल नहीं हो सकती। नीचे से लेकर ऊपर तक संख्या के हिसाब से भागीदारी मिलनी चाहिए, ताकि वह लोकतंत्र में सिर्फ वोट देने की भूमिका तक सीमित न रहे, बल्कि फैसलों में भी उनकी सहभागिता हो।

      लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazineselectivespecialsubjective

रचना प्रियदर्शिनी

Next Post
सांसद गोपाल शेट्टी के माताजी का स्वर्गवास

सांसद गोपाल शेट्टी के माताजी का स्वर्गवास

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0