मोची और पारियां

बहुत समय पहले की बात है एक शहर मेँ एक मोची रहता था वह बहुत ही अच्छे जूते बनाता था और उससे अपने घर का पालन पोषण करता था उसके घर मेँ उसकी एक पत्नी थी वह उस से बहुत प्रेम करता था किंतु दुर्भाग्यवश उस मोची का काम बहुत अच्छा नहीँ चलता था और वह अन्य मोचियों के मुकाबले गरीब होता जा रहा था

फिर एक दिन वह इतना दुखी हो गया कि उसने अपने पास बचे हुए जूते बनाने के अंतिम सामान को देखा और उसे अचे दाम पर बेचने की भावना लिए मेज पर रख दिया। उसकी पत्नी जो सब देख रही थी और एक सुंदर और बुद्धिमान ओरत थी। उसने अपने पति को धैर्य रखने और साहस रखने के लिए समझाया। थोड़ी देर आराम कर ले वह मोची आराम करते करते थक कर सो गया उसे पता नहीँ चला

वहाँ से कुछ परिया निकल रही थी जो उन की बात सुनकर उनकी इस अवस्था पर बहुत दुखी हुई। और उंहोन्ने निश्चय किया कि हमेँ उनकी मदद करनी चाहिए जब रात हो गई। मोची और उसकी पत्नी सोने चले गए तब परियो ने आकर एक जोड़ी सुंदर जूते बनाये और मेज पर रख कर चली गई जब सुबह मोची जागा तो उसे वह जूते दिखाई दिए और वह बहुत आश्चर्यचकित व खुश हुआ और मोची ने बाजार मेँ जाकर उन जूतो को बेचा उसे अच्छे पैसे मिले जिससे मोची ने नए जूते बनाने का सामान खरीदा और घर ले आया शाम होने पर वह जब सोने को चला गया तो फिर से परियो आई और उंहोन्ने मोची द्वारा लए हुए सामान से चार जोड़ी सुंदर जूते बनाए और सुबह जब मोची फिर से जागा तो बहुत खुश हुआ अब यह काम काफी समय तक चलता रहा रात मेँ मोची सामान लाकर रख देता था और सुबह जब सो कर उठता तो सारे झूते बनकर तैयार हो जाते थे
फिर एक दिन मोची और उसकी पत्नी ने सोचा आखिर यह कौन करता है? क्यों न इन्हे देखा जाये ? और यह सोच कर वे दरवाजे के पीछे चिप गए और उन्होंने परियोँ को कुछ उपहार देने के लिए सुन्दर वस्त्रो को वह रख दिया। फिर जब रात में परिया आई तो उन्होंने वह सुन्दर वस्त्रो को देखा वे उसे पहनकर बहुत खुश हुई। और उन्होंने वे जूते बनाये और सदा के लिए वहाँ से चली गयी. मोची और उसकी पत्नी ने बुरे समय में साथ देने के लिए उनका धन्यवाद किया और ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे।

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