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दो देशों कीजनता का संगीत

दो देशों कीजनता का संगीत

by संदीप सिंह
in देश-विदेश, नवम्बर २०१४, संस्कृति
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ऐतिहासिक रूप से संगीत कूटनीति और नेतृत्व का महत्वपूर्ण भाग रहा है, किंतु जितने प्रभावशाली ढंग से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने जापान में इसका उपयोग किया वैसा बहुत कम ही होता है।

स ज्जनो, संगीत के बारे में बहुत कुछ संदेहजनक होता है। मैं इस बात का आग्रही हूं कि वह स्वभावत : अविश्वसनीय होती है। इस समय यह करने मैं देर नहीं लगाऊंगा कि राजनितिक रुप से वह सन्देहास्पद है। यामत मन्न

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तोक्यो में तकनीकी एवम् सांस्कृतिक अकादमी के उद्घाटन के अवसर पर परंपरिक जापानी ढ़ोलक ‘ताइको ’ को उत्साहपूर्वक और आश्चर्यजनक कौशल के साथ बजाया। उन्होंने स्कूली बच्चों के सम्मुख बांसुरी भी बजाई।

ताईमेई प्राथमिक विद्यालय में उन्होंने देखा कि बच्चे बांसुरी बजा रहे हैं। उन्होंने बच्चों को बताया कि संगीत में पशुओं को भी आकर्षित करने की क्षमता होती है। बच्चों की बालोचित उत्कंठा भांप कर उन्होंने भगवान कृष्ण का किस्सा सुनाया, ‘‘भारत में पौराणिक कथाओं में भगवान कृष्ण हैं, वे हमेशा बांसुरी बजाते थे और गायों को अपनी ओेर आकर्षित करते थे। ’’ इस किस्से के उपरांत उन्होंने बांसुरी बजाकर बच्चों को सुनाई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगीत का उपयोग संकेत के रूप में किया। साहित्य और संभाषण से कहीं आगे संगीत के माध्यम से भावों को समझा जा सकता है। दूसरे शब्दों में संगीत के द्वारा कोई संदेश आसानी से लोगों तक पहुंचाया जा सकता है, जबकि अन्य माध्यमों से बहुत कठिन होता है।

एक तरफ बांसुरी का सम्बंध भगवान कृष्ण के साथ है, डमरू भगवान शिव से सम्बंधित है। बांसुरी और डमरु दोनों ही सृष्टि की रचना ध्वनि से मानते हैं। भगवान कृष्ण और भगवान शिव दोनों ही नवसृसन और धर्म की स्थापना के लिए विध्वंस की अनिवार्यता मानते हैं।

बांसुरी के द्वारा श्रीकृष्ण प्रेम और शांति का उपदेश देते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बच्चों के साथ बांसुरी बजा कर आने वाली पीढ़ी को शांति का संदेश दिया। संगीत वह भाषा है जिसे बच्चे बड़ी आसानी से समझ जाते हैं। ‘लोरी ’ का स्मरण कीजिए। वह बड़े और बच्चों के बीच सेतु का कार्य करती है।

एक दिन पूर्व तोक्यो में सीक्रेड हार्ट यूनिवर्सिटी में विदुषी महिलाओं से बातचीत में उन्होंने संगीत की देवी भगवती सरस्वती के बारे में बताया। उस समय, जब के जापान के महाराजा अकीहीनो से भेंट करने गए, तब उन्हें दुनिया की सब से लम्बी कविता की पुस्तक उपहार स्वरूप दी। वह ऐसा उपहार है, जिसका महत्व केवल महाराजा ही समझ सकते हैं। यह दुनिया की सब से लम्बी कविता है – ‘श्रीमद्भगवद्गीता ’, जिसे ईश्वर का गीत भी कहा जाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो एबे को श्रीमद्भगवतगीता का संस्कृत और जापानी संस्करण भेंट किया। यहां उल्लेखनीय महत्वपूर्ण विषय यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी हरेक नेता को श्रीमद्भगवतगीता भेंट नहीं करते हैं। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को उन्होंने ‘योग ’ पर पुस्तकों का सेट भेंट किया था।

ताइको बजाकर सम्मानित अतिथि का सत्कार करने की जापान की प्राचीन परंपरा है। ढोलक की डंडी पकड़ने और ढोलक बजाने से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भावविभोर और सम्मोहित होकर ध्यानपूर्वक उसे बजाते हुए सुना। उस समय वे कुशल वादक की तरह सुन रहे थे। जापानी वादक उन्हें ढोलक बजाते हुए कुछ समय तक उन्हें निहारता रहा और एकाएक उनके साथ संगत करने लगा। दोनों ने अच्छे लय और ताल के साथ तेजी से कुछ मिनट तक ढोलक बजाया।

अच्छा संवाद दोनों पक्षों के लिए जीवन सांस की तरह होता है। यदि एक वादक दूसरे को निकटना से गंभीरतापूर्वक देख रहा होता है, तो वह पाता है कि दोनों पक्षों के संगीतकार एक -दूसरे के संकेतों और स्पंदनों को समान रूप से समझ रहे होते हैं। वे सुंदर संवाद स्थापित करते हैं। इसीलिए जब संगीतकार वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन कर रहे होते हैं, तब उनमें संवाद खंडित नहीं होता है।

यह स्पष्टत : दृष्टिगोचर था, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ढोलक बजा रहे थे, तब वे जापानी वादक के साथ आंख में आंख डाल कर संगत कर रहे थे। (इस बात से सभी सहमत होंगे कि उनका वादन उत्तम था )। प्रधान मंत्री यह संदेश देना चाहते थे कि भारत की एक ऐसी ‘ध्वनि ’ निर्माण करना जिसमें जापान भी साथ हो। मैं यह पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि जापान भी ऐसी ही प्रतिध्वनि निर्माण करेगा।

जब दो देश मिलते हैं, तो उनकी बैठकों में होनेवाली बातें सामान्य लोंगों तक नहीं पहुंचती, किंतु संगीत के विविध माध्यमों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीयों और जापानियों को ही नहीं, अपितु पूरे विश्व को यह बताना चाहते हैं कि भारत और जापान एक साथ हैं।

किन्हीं दो देशों के बीच प्रारंभिक अवस्था में बातचीत इस पर निर्भर करती है कि दोनों देशों के नेता अपने देश का किस तरह से और कितनी लम्बी अवधि तक के लिए प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में जब नेता दूसरे देश की जनता से लम्बी अवधि के लिए अच्छी तरह से जुड़ने की सदिच्छा दिखाते हैं, तो कोई समझौता सुखदायी हो जाता है। श्री नरेन्द्र मोदी ने जापानी नागरिकों को अपने साथ जोड़ने के लिये संगीत का उपयोग किया।

सबसे सुंदर बात यह है कि उन सभी अन्य देशों ने, जिन्होंने भारत और जापान के समझौतों पर प्रतिक्रिया दी है, निश्चित ही संगीत के संदेश को ग्रहण किया है।

ऐतिहासिक रूप से संगीत कूटनीति और नेतृत्व का महत्वपूर्ण भाग रहा है, किंतु जितने प्रभावशाली ढंग से नरेन्द्र मोदी ने इसका उपयोग किया वैसा बहुत कम ही होता है।

 

 

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