संगीतफोनोग्राम से यू ट्यूब तक

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एडिसन की फोनोग्राम की खोज से सामाजिक क्रांति हो गई। आज संगीत के क्षेत्र में जो विविध कारोबार दिखाई देता है, उनकी जडें एडिसन के ग्रामोफोन के आविष्कार में हैं। उनके इस आविष्कार से सारी दुनिया में मानो सांस्कृतिक सुनामी आ गई

ख्याल गायकी के घरानेएक दृष्टि

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किसी भी ख्याल शैली की उत्पत्ति दो प्रकार से मानी गई है- एक तो किसी व्यक्ति या जाति के नाम से, जैसे सैनी घराना, कव्वाल घराना आदि और दूसरे किसी स्थान के नाम से। ख्याल वर्तमान में प्रचलित सर्वाधिक लोकप्रिय शैली है। व

ग्वालियर घराना

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हद्दू खां, हस्सू खां और नत्थू खां की गायन शैली को हम ग्वालियर घराने की गायकी कहते हैं। इसको परिमार्जित और निर्माण करने में उन्हें परम्परा और घराने के सिद्धांतों का ही सहारा लेना पड़ा। लखनऊ के गुलाम रसूल के परम्परागत संगीत

महोत्सव-पुरस्कार संगीत

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विश्व संगीत दिवस (२१ जून) को देश भर में संगीत के आयोजन होते हैं। वर्ष १९८२ से प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले इस दिवस में संगीत की विश्व बंधुत्व के क्षेत्र में योगदान के मद्देनजर सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर चर्चाएं, शास्त्रीय,

भारतीय संगीत पर विदेशी संगीत का प्रभाव

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तरह-तरह के प्रभाव हमारी संस्कृति ने झेले हैं और आज भी उसी दौर से गुजर रही है। इस समय हमारा परम कर्तव्य हो जाता है कि हम इसकी शुचिता को पवित्र रूप में अनुभव करें। सांगीतिक सांस्कृतिक तत्व को सबल बनाएं तभी हम इसको बचा प

भारतीय संगीत शिक्षा तब और अब

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संगीत-शिक्षा संस्थाओं के प्रारंभ से पूर्व संगीत की तथा संगीतज्ञों की क्या स्थिति रही होगी, समाज के हृदय में संगीत के प्रति सम्मान भाव जागृत करने के लिए कैसी तपस्या करनी पड़ी होगी, यह जानना और विशेष रूप से उन महान संगीतज्ञो

विभिन्न प्रांतीय संगीत

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संगीत भारतीय जीवन की आत्मा है। यह संगीतमय भाषा अपने आप में पूर्ण है। यह अधिक सांस्कृतिक है। विभिन्न भाषी संगीत तो उस खूबसूरत रंगीन, सुगंधित फूलों का एक अनुपम गुलदस्ता है, जो विविध रूपों को एक साथ बांधे हुए है। भारतीय संस्कृति

सोलह संस्कार और संगीत

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****डॉ. प्रज्ञा शिधोरे***** हमारे सोलह संस्कारों के साथ भी संगीत का बड़ा महत्व है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। प्राचीन काल में वेद मंत्रों को गाया जाता था, कालांतर में वेद मंत्रों का पठन, गायन प्रचलन में कम है, परंतु समाप्त नहीं हुआ है और आध

सुर बिनजीवन सूना

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****सुरभि******* सुर ना सधे क्या गाऊं मैं नवरसों में से हर रस हमें संगीत में मिल जाता है। गुस्से में संगीत की कल्पना करना कुछ अजीब लगता है; परंतु हमारे यहां भगवान शिव का रुद्र तांडव इसी कारण से प्रसिद्ध है। अर्थात जीवन के जिन-जिन कार्यों में भावों

जीवन में संगीत संस्कार

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सं स्कृत में प्रसिद्ध कहावत है, ‘संगीताद् भवति संस्कार :। ’ केवल मानवी जीवन में ही नहीं अपितु पशु -पक्षी, वनस्पति सहित संपूर्ण सृष्टि जीवन में संगीत का महत्व है। संगीत में रुचि न होनेवाले व्यक्ति को ’साक्षात् पशु : पुच्छविषाणहीन : ‘ ऐसा कहा जाता है।

लोक संगीत लोक गीतों की आत्मा

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भारत का लोक संगीत ग्रामीणांचल, वनांचल और गिरिअंचलों में पसरा पड़ा है। जितने विविध क्षेत्र उससे भी अधिक तरह के नृत्य, उतने ही तरह के गीत और वाद्य तंत्र होते हैं। इन नृत्यों, गीतों और वाद्यों में उस अंचल की स्पष्ट विशेषता परिलक्षित होती है। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक शताधिक प्रकार के वाद्य यंत्र, गायन पद्धति, नृत्य शैली तथा गीत पाए जाते हैं।

रवींद्र नाथ ठाकुर

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लोग या तो सिर्फ गायक होते हैं, या वादक, या फिर सिर्फ धुनों के सर्जक संगीतकार -और यह सब काम भी सिर्फ दर्जनों या सैकड़ों के आंकड़े तक सीमित।

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