देश में कोरोना से संक्रमितों की संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है. जो नये मरीज संक्रमित पाए गए हैं उनमे तेलंगाना और अंदमान के मरीजों की संख्या अधिक है और इनमे विशेष बात यह है कि ये सभी लोग दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के सेंटर (मरकज) से लौटे थे. २४ मार्च को अलग-अलग हवाई जहाजों से ये लोग तेलंगाना और अंडमान पहुंचे थे.
दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात का सेंटर मुसलमानों के धर्म प्रचार का दुनिया का सबसे बड़ा सेंटर है. दुनिया के कई देशों से यहाँ मुसलमान आते हैं. परन्तु कल रात हडकंप तब मच गया जब दिल्ली प्रशासन को यह पता चला कि दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज में करीब 14 सौ लोग ठहरे हुए थे, जिसमें विदेशी भी शामिल थे. जमात के विदेशी मेहमानों में ज्यादातर मलेशिया और इंडोनेशिया के नागरिक हैं. दिल्ली आने से पहले ये ग्रुप 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में एक धार्मिक जलसे में शामिल हुआ था. इस जमात के कई लोगों के कोरोना से पीड़ित होने के मामले सामने आ चुके हैं. इसके साथ ही तेलंगाना और तमिलनाडु में निजामुद्दीन स्थित मरकज आए लोगों की तलाश शुरू हो गई है. तेलंगाना में 194 लोगों को क्वारनटीन किया गया, जबकि तमिलनाडु में 981 लोगों की पहचान कर ली गई और इनका टेस्ट किया जा रहा है. अंदमान में जिन 10 लोगों की पहचान हुई है उनमें से एक महिला भी है.
दिल्ली में रात को मरकज से करीब 100 से ज्यादा संदिग्ध लोगों को 3 बसों में भरकर ले जाया गया. हेल्थ विभाग की टीम ने इलाके के डीएम और पुलिस के साथ मिलकर इन्हें मरकज से निकाला. इसमें जो ज्यादा बीमार लग रहे हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि संदिग्ध लोगों को नरेला में आइसोलेशन में भेजा गया है.
दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के सेंटर (मरकज) से निकलकर कई मुसलमान देश के विभिन्न भागों में इस्लाम का प्रसार करने जाते हैं परन्तु इस बार वे यहाँ से निकलकर कोरोना का प्रसार करने जाएँगे. अभी तक केवल तमिलनाडु, तेलंगाना और अंडमान के मरीज ही सामने आए हैं परन्तु यहाँ से निकलकर देश के विभिन्न भागों में गए हुए मुसलमान भी अब शक के दायरे में हैं.
जुम्मे की नमाज के समय 10 लोगों की भीड़ पर भी जहाँ पुलिस एक्शन ले रही है वहां पर इस मरकज में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का इकट्ठा होना प्रश्नचिन्ह उपस्थित करता है.
हालाँकि दिल्ली सरकार ने मरकज के मौलाना की खिलाफ fir दर्ज कराने की बात कही है परन्तु जो चुका है उसकी भरपाई नहीं हो सकती.
मरकज से जुड़े मामले में साउथ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी आरपी मीणा ने कहा कि हमने कार्यक्रम को रद्द और भीड़ न एकत्रित करने को लेकर 2 बार नोटिस (23 मार्च और 28 मार्च ) दिया था. साथ ही आग्रह किया था कि कोरोना महामारी फैली है, इसलिए कार्यक्रम का आयोजन रद्द कर दें. लेकिन नोटिस देने के बाद भी कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जो लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन है. अब दिल्ली पुलिस इस मामले में कार्रवाई करेगी.
यहाँ प्रश्न यह भी उठता है कि उत्तर प्रदेश के मजदूरों को बसों में भरभर कर उत्तर प्रदेश की बॉर्डर पर पहुँचाने वाली दिल्ली सरकार जब यह जानती थी कि मरकज में इतने लोग शामिल है तो भी वह इतने दिनों तक चुप्पी साध कर क्यों बैठी रही? दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का मुस्लिम प्रेम जगजाहिर है, परन्तु यह प्रेम दिखाने का सही समय नहीं है. प्रशासन के दृष्टिकोण से यह सबसे गलत कदम साबित होगा.
मुसलमानों ने फिर एक बार साबित कर दिया है कि उनके लिए उनके अल्लाह और धर्म से बढ़कर कुछ नहीं. न अपनी जान, न औरों की जान, न देश और न ही देश का कानून. दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के सेंटर (मरकज) के कोरोना पोजिटिव होने की बात को जिस तरह छुपाया गया वह किसी फिदायीन हमले से कम नहीं कहा जा सकता.
मुसलमान भारत के प्रति कभीभी प्रामाणिक नही रह सकता ये 70 सालोसे सभी राजकीय पार्टी या देख रही है, फिर भी चुप्पी साधे हुवे है। अभीकी केंद्र सरकार इन सभी मरकजमे शामिल लोगोकें उपर देशमे कोरोना फैलाव करवाने पर देशद्रोही कानून के आधार पर FIR हो ,और उनकीजमानत भी नाहो । राष्ट्र पर इन्होने जो संकट कोरोना स्वरूप बढाया है, वो फाँसी देने लायक है। क्योकी उनकी मनशा अच्छी नही थी। उनके मौलवी भी बोल रहे थे की भारत मे 50 लाख से ज्यादह लोग मरेंगे और मरना चाहीये ,ये जिहाद ही है ,और केंद्र सरकार इन सभी मौलाना को भी राष्ट्र द्रोह कानून लगवा दे ,तो इशकी दुम कटेगी ,नही तै ये. लोग ना देश के है, या कभीभी रहेंगे ।
ये देश के साथ धोखा गद्दारी है। इनके उपर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।इनको अल्ल्लाह का बंदा नहीं कहा जा सकता इन पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए।
दिल्ली में हुई तबलीगी जमात के सेंटर (मरकज) में हुई घटना गलती नहीं गुनाह है. इसपर मरकज वालों पर सख्त से सख़्त क़ानून कार्यवाही होनी चाहिए.
दिल्ली में हुई तबलीगी जमात के सेंटर (मरकज) में हुई घटना गलती नहीं गुनाह है. इसपर मरकज वालों पर सख्त से सख़्त क़ानून कार्यवाही होनी चाहिए.
right
These halalas taken this emergency as jihad against India & some greedy politician are involved in it. Central Govt. should take strict action against culprits responsible for this hineous inhuman act. This is open war against nation.
ये भारतीय जनता की जान से खिलवाड हो रहा है.. और ऐसा खेल का षडयंत्र भारत की राजधानी से चल रहा है.. पोलिस जल्द से जल्द इसका निपटारा कर इन सभी अल्लाह के बंदो को ठिकाने लगाए…
….. फियादिन हमले से कम नहीं कहा जा सकता. यथार्थ….4 दिन पहले पटना के एक मस्जिद में 12 विदेशी तथाकथित धर्म प्रचारक जिसमे 2 पोजिटिव मिल ते हैं,2 दिन पहले 100 के करीब दक्षिण भारत में, कल उपरोक्त घटना जहा एक आंतराष्ट्रीय आपदा के समय भी 1400 लोग 2 बार शासकीय नोटी स के बावजूद इ कठ्ठे हैं, एक बडा साजिस.. तो नहीं.
मुसलमान कभी भी इस देश के साथ समरस नहीं हो सकते। हिंदुओं को और सरकारों को यह भ्रम जितनी जल्दी हो सके अपने दिल दिमाग से निकाल देना चाहिए।और केजरीवाल जो कर रहा है उसकी बहुत बडी कीमत इस देश को और हिन्दुओं को चुकानी पडेगी।राष्ट्र पर किसी भी प्रकार के संकट के समय मुसलमान उस आपदा को देश के विरूद्ध जेहाद के रूप में इस्तेमाल करता है।कोरोना की आपदा एक उदाहरण है।यदि भारत पर युद्ध थोपा गया तो मुसलमानों की भूमिका स्पष्ट समझी जा सकती है।अभी नहीं चेते तो आने वाला समय डरावना साबित होगा।