हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
आओ मेरे राम तरस रही अखियां

आओ मेरे राम तरस रही अखियां

by वीरेन्द्र याज्ञिक
in अगस्त-सप्ताह एक, अध्यात्म, विशेष
0

श्री राम जन्मभूमि मंदिर की और उसके फलस्वरूप उसके भूमि पूजन का भाव ही शरीर को रोमांचित करता है, मन को परमानंद की अनुभूति और बुद्धि को निर्मल करके कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। अतः यह संपूर्ण श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की घटनाएं आज के युग में त्रेता युग की उन घटनाओं की बिम्ब ही प्रतीत होती हैं।

रामचरितमानस के उत्तरकांड का प्रारंभ करते हुए तुलसी ने लिखा-

रहा एक दिन अवधि कर अति आरत पुर लोग।
जंह तह सोचहिं नारि नर कृस तन राम वियोग॥

राम जी के वनवास की चौदाह वर्ष की अवधि समाप्त हो रही थी। अवध की नर नारियों की व्याकुलता और आतुरता बढ़ रही थी, राम के सब कुशल आगमन की प्रतीक्षा में अवध के सभी जन नेम, धर्म, आचार, व्रत उपवास करके भगवान से प्रार्थना कर रहे थे। उधर राजभवन में राज माताएं बैठी-बैठी शकुन मना रही थी कि मेरे बालक कब आएंगे-मुंडेर पर बैठे काक से पूछती हैं-
बैठी सगुन मनावती माता
कब ऐहें मेरे बाल कुशल घर कहहु काग फुरि बाता
हे काक-बताओ न मेरे बालक सकुशल इस भवन में आकर हमें कब आनंद प्रदान करेंगे? यह त्रेता युग की बात है, तथापि उसका कुछ अनुभव तो आज भारत की जन भी उसी प्रकार से कर रहे हैं कि वह शुभ घड़ी कब आएगी जब हमारे रामलला सकुशल अपनी जन्मस्थली पर निर्मित भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। भाद्रपद की द्वितीया, बुधवार,5 अगस्त 2020 अभिजीत नक्षत्र 11.30 बजे श्री राम जन्मभूमि के भूमि पूजन के शुभ मुहूर्त का स्वागत करने के लिए आज अयोध्या उसी प्रकार से सज-धज-संवर कर तैयार हो रही है जैसे त्रेता युग में राम के आगमन के समय वह सजी संवरी थी-तुलसी ने लिखा-

अवधपुरी प्रभु आवत जानी।
भई सकल शोभा के खानी॥
बहई सुहावन त्रिबिध समीरा।
भइ सरजू अति निर्मल नीरा॥

चारों तरफ का वातावरण अत्यंत मनोरम हुआ, सरयू का नीर निर्मल हो गया और अत्यंत शीतल मंद सुगंध पवन बहने लगी, दिशाएं प्रसन्न हुईं और उस मंगलमय क्षणों में राम लक्ष्मण सीता पुष्पक विमान से अवध पधारे थे। वैसा ही कुछ वातावरण का अनुभव आज इस कलयुग में श्री अयोध्या में भी किया जा सकता है। जब श्री राम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन करने भारत के यशस्वी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अवध में पधारेंगे। संपूर्ण हिंदू समाज स्वयं को धन्य एवं गौरवान्वित अनुभव करेगा, क्योंकि यह 500 वर्ष के सुदीर्घ कालखंड की तपस्या, त्याग और तेजोमय प्रयत्नों के संघर्ष का प्रतिफल है। इस संघर्ष और विराट आंदोलन की ऐसी सुखद और आनंददाई परिणीति होगी, इसकी तो कल्पना भी मुश्किल है किंतु ‘जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करे सब कोई’- जो राम के प्रति समर्पित होता है, राम को अपना साध्य और साधन मानता है, उस पर राम जी अवश्य कृपा करते ही हैं, शेष सभी संसार के तत्व भी सहयोग करते हैं। 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय का सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय इस रामकृपा का प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं लगता है? और यदि ऐसा है तो महर्षि वाल्मीकि की उक्ति हमारे विेशास को पुष्ट कर देती है कि राम साक्षात विग्रहवान धर्म हैं और धर्म की सदैव विजय होती है। जहां धर्म है वहां विजय है- यतो धर्मस्ततो जय:।

श्री राम जन्मभूमि मंदिर की इस परिणिति और उसके फलस्वरूप उसके भूमि पूजन का भाव भी शरीर को रोमांचित करता है, मन को परमानंद की अनुभूति और बुद्धि को निर्मल करके कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। अतः यह संपूर्ण श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की घटनाएं आज के युग में त्रेता युग की उन घटनाओं की बिम्ब ही प्रतीत होती हैं।

यह एक संयोग कि रामायण के कुछ प्रसंगों और राम जन्मभूमि आंदोलन को कुछ घटनाओं में बड़ा तादात्म्य सा दिखाई देता है। राम कथा में जिस प्रकार जगतजननी सीता का अपहरण रावण ने किया था। यदि देखें तो उसी प्रकार हमारी श्री राम जन्मभूमि मंदिर का अपहरण और उसका मस्जिद में परिवर्तन बाबर ने भी तो किया था। लेकिन सीता जी को जिस प्रकार अशोक वाटिका में अशोक वृक्ष के नीचे श्री हनुमान जी के द्वारा अभय प्रदान किया गया था और उन्होंने मुक्ति के लिए ओशस्त किया था, वैसे ही तो श्री राम जन्म भूमि की मुक्ति और भव्य मंदिर निर्माण की युक्ति का शंखनाद श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रणेता और प्रेरणा पुरुष श्री अशोक सिंघल के समर्थ नेतृत्व में हुआ था। अशोक वृक्ष के नीचे अपने संताप के दिन गुजार कर भगवती सीता मुक्त हुई थी, उसी प्रकार श्री अशोक सिंघल के नेतृत्व में श्री राम जन्मभूमि आंदोलन का जो उत्कर्ष हुआ उससे संपूर्ण हिंदू समाज के विराट स्वरूप का जो प्रकटीकरण हुआ जिसके फलस्वरूप आज श्री राम जन्मभूमि अपनी पूरी गरिमा और महिमा के साथ पुनः प्रतिष्ठित होने जा रही है।

तुलसी ने अपने श्री राम चरित्र मानस में जिस प्रकार रामकथा के विविध प्रसंगों को अनेक पात्रों जैसे सुमंत, निषाद, अंगद, सुग्रीव, शबरी के चरित्रों से गरिमामय बनाया है तथा संत महात्माओं जैसे अत्रि-अनुसया, शरभंग, सुतीक्ष्ण, शबरी से तेजोमय व स्मरणीय बनाया है और जिनके त्यागमय जीवन से समाज को शिक्षा मिलती है, वैसे ही हम देखते हैं कि श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की गाथा में भी हमें पू. वामदेव जी महाराज, पूज्य शंकराचार्य वासुदेवानंद जी महाराज, पू. नृत्य गोपाल दास जी, आचार्य श्री धर्मेंद्र, पू. साध्वी ऋतंभरा, उमा भारती आदि जैसे अनेक संत महात्माओं साधुओं ने भी अपने और तेजोमय नेतृत्व से ही समाज को सदैव जागृत रखा, उसी प्रकार के सामाजिक राजनीति क्षेत्र के श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री मुरली मनोहर जोशी, आचार्य गिरिराज किशोर ने उक्त आंदोलन की यज्ञाग्नि को सदैव प्रज्वलित रखा और उसे निश्चित लक्ष्य तक पहुंचाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। आज जब श्री राम जन्मभूमि आंदोलन अपने उद्देश्य को प्राप्त कर चुका है, उन सभी महानुभावों, सत्पुरुषों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना हम सब का कर्तव्य है, जिनके अतुल्य त्याग, तपस्या और पुरुषार्थ से आज यह पावन प्रसंग उपस्थित हुआ है। ऐसी ही कृतज्ञता का ज्ञापन तो श्री राम ने भी किया था, जब अयोध्या में उनके राज्याभिषेक के बाद उन्होंने अपने सभी सहयोगियों, बंदर भाालुओं जो उनके साथ लंका विजय के समय आए थे, सुग्रीव आदि को विदा किया था, श्री राम जी ने कहा – सब मम् प्रिय नहि तुम्हही समाना। मृषा न कहऊ मोर यह बाना- अर्थात अब आप सब अपने अपने घर पधारो, वैसे तो मुझे अपने परिवार, सगे संबंधी सभी प्रिय हैं परंतु आप जैसे लोगों के समान, जिन्होंने मेरा संकट में साथ दिया है,

सहयोग दिया है मुझे कोई प्रिय नहीं है। अतएव जिन लोगों ने श्री राम जन्मभूमि आंदोलन को अपना सहयोग दिया हो सब के प्रति हृदय से साधुवाद। विेश हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू समाज और संत परंपरा के अनेक अखाड़ों, विभिन्न संप्रदायों के अनुयाइयों जिन्होंने अहर्निश अपनी सेवाएं देकर इस संघर्ष को अपना संबल प्रदान कर सफल बनाया। तथापि जय यात्रा केवल और केवल हिंदू चेतना, और हिंदू अस्मिता हिंदू जन मन की राम में अचल निष्ठा और अधिक आस्था का परिणाम है।
अरण्यकांड का एक और प्रसंग आज जेहन में उतर रहा है जिसका उल्लेख करना समीचीन प्रतीत होता है। राम वनवास में यात्रा कर रहे हैं। इसी समय एक बहुत ही कच्ची उम्र का किशोर लेकिन बड़ा तेजस्वी बैरागी के वेश में आता है, मन वचन और कर्म से राम को बड़ी ही भक्ति भाव से प्रणाम करता है-तुलसी ने लिखा-

तेहि अवसर एक तापसु आवा।
तेजपुंज लघु बयस सुहावा॥
कबि अलखित गति बेष बिरागी।
मन क्रम बचन चरण अनुरागी॥4॥
सजल नयन तन पुलकि निज इष्टदेउ पहिचानि।
परेउ देउ जिमि धरनी तल दसा न जाइ बखानि॥

तो किशोरवय तापस आता है, राम जी की चरण धूलि को सर पर लगाता है, राम जी बड़े प्रेम से उससे मिलते हैं। सीता जी उसे खूब आशीश देती हैं। उसके बाद उस तापस का क्या हुआ पता नहीं, कथा में लीन विलीन होकर राम की चरण धूलि बन गया। ऐसे प्रसंग याद आने लगते हैं उन कोठारी बंधुओं की जो आए थे राम जन्मभूमि के हरावल दस्ते में, बिल्कुल अनाम, किशोर वय, जन्मभूमि की धुलि लेने के लिए किंतु अपने प्राणों की आहुति देकर श्री राम जन्मभूमि की धुलि में मिलकर अमर हो गए। जिस प्रकार मानस का यह तापस किशोर रामचरण का दर्शन करके अंतर्ध्यान हुआ था वैसे ही किशोर कोठारी बंधु भी श्री राम जन्मभूमि का दर्शन करके और विरोधियों का मर्दन करके राम चरणों में समा गए और हिंदू समाज को गौरव प्रदान कर गए, आज वह बहुत याद आ रहे हैं।

वैसे तो संपूर्ण रामचरित और राम कथा इतनी लोक पावन और मनभावन है कि वह पग पग पर हमें मानवता की शिक्षा देती है और उसी का तो भौतिक विग्रह होगा। श्री राम जन्मभूमि मंदिर- जहां कुछ समय बाद अपने पूरे ऐेशर्य और भव्यता के साथ रामलला विराजमान होंगे और राम के चरित्र से भारत का जन्म प्रकाशित होता रहेगा तभी तो तुलसी ने लिखा-

राम नाम मणिदीप धर जीह देहरी द्वार ।
तुलसी भीतर बाहेरहु जो चाहेसि उजियार ॥

यह उजियारा फैलेगा राम के चरित्र और उनके आदर्शों का अनुसरण करके। राम रावण युद्ध का प्रसंग है, राम के बालों से आहत होकर रावण धरती पर पड़ा है। अंतिम समय निकट है तभी राम लक्ष्मण को देश देते हैं कि है लक्ष्मण, महापराक्रमी, विद्वान और कुशल प्रशासक राजनीतिज्ञ रावण का अंत समय निकट है। अतः तुम जाकर इस महामनीषी रावण से शासन राजनीति और समाज नीति का उद्देश्य प्राप्त करो। क्योंकि रावण की समान विेश में कोई वेदज्ञ विद्वान और कुशल प्रशासक नहीं है। लक्ष्मण प्रणत भाव से रावण के पास जाकर शासन नीति की शिक्षा ग्रहण करते हैं। प्रणाम करके वापस आते हैं और रावण का परलोक गमन होता है। शत्रु में भी श्रेष्ठता और उसकी गुणवत्ता से सीखने का यह भाव भारत की संस्कृति के उदाहरण है। जो सद्भावना, सदाशयता तथा सम्मान का भाव राम ने रावण का अंत करके प्रदर्शित किया था। उसके ही दर्शन हमें,9 नवंबर2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य में भी तो हुए थे। उस दिन नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि उनके अंतर से श्री राम राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे। उसी दिन श्री राम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय का सर्व सम्मत निर्णय आया था और संपूर्ण हिंदू समाज की नहीं, विेश समाज ने उस ऐतिहासिक निर्णय का खुले मंच से स्वागत किया था। राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री कह रहे थे कि इस दिन पश्चिम और पूर्व बर्लिन की दीवार गिराकर जर्मनी एक हुआ था। उसी प्रकार से आज से पहले शायद दो पक्ष थे, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद अब भेद की, बैर विरोध की, असहमति की सारी दीवारें गिराकर भारत एक मन से मिलकर आगे बढ़े। विकास के नए सोपान तय करे और समृद्धि के आकाश को धोकर रामराज्य की संकल्पना को साकार करें- जहां नहीं दरिद्र न दुखी न दिना- नहीं कोई अबुध न लच्छनहीना।

सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय की गूंज जब अयोध्या ने सुनी तब सरयू के तट पर कोई केवट बड़े प्रेम भाव से साथियों के साथ गा रहा था-आओ मेरे राम तरस रही अखियां। उधर प्रधानमंत्री इस निर्णय का संदेश राष्ट्र को दे रहे थे कि-
राम जी कि यह कर्म धारा सबको नव पल्लवित करेगी

नई आशाओं के अंकुर फूटेगें
खुली आंखों से देखे जा सकेंगे
वैसे राष्ट्र कल्याण के फल पकेंगे
यही जीवन है, इसके लिए ही
यहां सर्व के नेत्रों में एक समाधान है
तृप्ति है हृदय में एक आग है
देखना है यह आप कितने हृदयों को
प्रज्वलित करने में यशस्वी होती है

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #सबके_रामhindi vivekhindi vivek magazineselectivespecialsubjective

वीरेन्द्र याज्ञिक

Next Post
लाखों हिंदुओं का बलिदान और 76 युद्ध –

लाखों हिंदुओं का बलिदान और 76 युद्ध -

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0