राफेल बाजी पलटने वाला लड़ाकू विमान
भारतीय वायुसेना राफेल विमान आने से और ताकतवर हो गई है। इस तरह के लड़ाकू विमान न तो चीन के पास है और न ही पाकिस्तान के पास। ये विमान युद्ध को अपने पक्ष में पलटने की क्षमता रखते हैं।
भारतीय वायुसेना राफेल विमान आने से और ताकतवर हो गई है। इस तरह के लड़ाकू विमान न तो चीन के पास है और न ही पाकिस्तान के पास। ये विमान युद्ध को अपने पक्ष में पलटने की क्षमता रखते हैं।
शिक्षा के ढांचे से प्रशासनिक उलझाव खत्म कर एकीकृत स्वरूप देने का प्रावधान बहुत लंबे समय से प्रतीक्षित था। वह शिक्षा के जरिए भारत को महाशक्ति बनाने की प्रबल इच्छा को उद्घाटित करती है। इसका देश भर में स्वागत हो रहा है; जबकि कांग्रेस व वामपंथियों का निरर्थक रुदाली रुदन जारी है, जो समय के साथ अपने आप ठंड़ा पड़ने ही वाला है।
अयोध्या को उसका प्राचीन गौरव दिलाने की युगांतकारी मुहिम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आते ही प्रारंभ हो गई थी। इस वृहद योजना का बहुत सा काम पूरा हो गया है। इसमें प्राचीन मंदिरों के जीर्णोंद्धार से लेकर इक्ष्वाकुपुरी ग्रीन सिटी की बसावट, राम कथा पार्क के विस्तारीकरण, राम की पैड़ी में निरंतर सरयू के जल प्रवाह तक अनेकों योजनाएं शामिल हैं।
अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर के शिलान्यास के अवसर पर प्रसिद्ध साध्वी ॠतंभरा से ‘हिंदी विवेक’ ने विस्तृत बातचीत की। साध्वीजी ने श्री राम के जीवन मूल्यों, जन जन की आस्था, वैश्विक परिवार भाव आदि भारतीय संस्कृति के मूल मूल्यों पर समेत नई शिक्षा नीति पर भी अपने विचार प्रकट किए। प्रस्तुत है इसी के महत्वपूर्ण अंशः
जिस प्रकार रावण जैसी दुष्ट प्रवृत्ति पर विजय प्राप्त कर भगवान श्रीराम अयोध्या वापस लौटे थे, उसी प्रकार आज भी समाज की दुष्ट प्रवृत्तियों का अंत कर प्रभु श्रीराम फिर एक बार अयोध्या लौट रहे हैं। मंदिर के शिलान्यास का दिन करोड़ों हिंदुओं के लिए गर्व और खुशी का दिन होगा।
आज भी वनवासियों के ह्रदय में राम बसते हैं और जब तक संसार का अस्तित्व ही मानवता का अस्तित्व ही बनवासी जन अपने राम को हृदय में बसाए रखेंगे। छत्तीसगढ़ में तो राम का अधिकांश समय बीता है, इसलिए राज्य के वनवासियों आदर्श और आराध्य राम ही हैं।
“इसका मुझे बहुत आनंद है कि मैं उस समय कार सेवा में गया था। वह मेरे जीवन का अविस्मरणीय गौरवमय दिन था। मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे राम काज करने का मौका मिला। उस स्वर्णिम दिन को स्मरण कर गर्व की अनुभूति होती है।”
’मर्यादा पुरुषोत्तम’ की उपाधि एक बहुत महान और कठिन कर्तव्य है, और प्रभु श्री राम जीवन के हर पड़ाव पर अपने इस कर्तव्य पर बिल्कुल खरे उतरे हैं।
अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर, 5 अगस्त को होने वाले उसके शिलान्यास, राम जन्मभूमि आंदोलन, और राम मंदिर को लेकर राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़े प्रश्नों पर राम जन्मभूमि न्यास के कोषाध्यक्ष गोविन्ददेव गिरी महाराज से ‘हिंदी विवेक’ से हुई प्रदीर्घ और सीधी बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण प्रस्तुत है।
1528 में बाबर द्वारा अयोध्या में श्री राम मंदिर तोड़कर निर्माण की गई मस्जिद के विरोध में हिंदुओं का आंदोलन आरंभ हो गया था। इन पांच सौ वर्षों में अबतक हिंदुओं ने मंदिर की मुक्ति के लिए कोई 76 युद्ध लड़े और कई आंदोलन भी हुए। इनमें लाखों हिंदुओं का बलिदान हुआ। इन बलिदानों व आंदोलनों के कारण ही आज भगवान श्री राम भव्य मंदिर बन रहा है।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर की और उसके फलस्वरूप उसके भूमि पूजन का भाव ही शरीर को रोमांचित करता है, मन को परमानंद की अनुभूति और बुद्धि को निर्मल करके कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। अतः यह संपूर्ण श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की घटनाएं आज के युग में त्रेता युग की उन घटनाओं की बिम्ब ही प्रतीत होती हैं।
जिन हिन्दुओं को, जिन भारतीयों को यह क्षण देखने, उसका साक्षी बनने, उसे अनुभव करने का सौभाग्य मिला है उस क्षण के सौभाग्य की तुलना सबके सहस्त्रों वर्षों के पुण्य से हो सकती है। यह भारत माता के प्रति अनन्य भक्ति का पुण्य है।