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ईमानदारी से ही उद्योग किया जा सकता है

ईमानदारी से ही उद्योग किया जा सकता है

by सुरेश हावरे
in फरवरी-२०१२, सामाजिक
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नौकरी जैसा सुरक्षित और लगातार कमाई की गारंटी देनेवाला पर्याय न चुनकर उद्योग-व्यवसाय क्यों करें? ऐसा प्रश्न मुझसे अनेक बार पूछा जाता है। अब नौकरी में आपकी जवाबदेही सीमित होती है और वेतन की गारंटी होती है, यह बात कोई नकार नहीं सकता पर उद्योग-व्यवसाय में आपको अपनी अधिक प्रगति करने का अक्सर मिलता है। आप अपने समय, अपने कौशल और बाजार की मांग में यदि मेल बिठाए तो थोड़े प्रयास में ही ज्यादा कमाई कर सकते हैं। आज आपके चारों तरफ इस तरह कमाई करनेवाले और कामयाब, अमीर बने अनेक उद्योजक दिखाई देते हैं। फिर भी आज भी उद्योग करनेवालों के विषय में एक गलतफहमी परंपरागत तरीके से फैली है कि उनमें ईमानदारी नहीं होती। सारे उद्योग करनेवाले, व्यवसायी बेईमानी से तथा गलत रास्ते से फायदा कमाते हैं। इसके लिए कर वंचना से लेकर हल्के दर्जे का कच्चे माल का उपयोग करके उत्पादन करने तक, अनेक प्रकार से उद्योजक केवल धोखा देकर मुनाफा पाते है, यह गलत फहमी अनेक लोगों के मन में दृढ़ हो चुकी लगती है। परंतु में अपने खुद के अनुभव से और दूसरे उदामियों के उदाहरणों से भरोसे से बता सकता हूं कि कोई भी लंबे समय तक चलनेवाले, उचित मुनाफा देनेवाले और अच्छे दर्जे का उत्पादन बनानेवाले उद्योग की दुनिया कभी भी बेईमानी या गलत पर खड़ा नहीं होती और वह ऐसा करने पर वह लंबे समय तक टिक नहीं सकता। मैं दृढ़ता से कहना चाहता हूं कि ईमानदारी से ही उद्योग किया जा सकता है।

गुमराह कर या धोखा देकर अथवा फसाने का तरीका अपनाकर शुरु किया हुआ उद्योग लंबे समय तक ठहर ही नहीं सकता। ‘आप कुछ लोगों को हर समय मूर्ख बना सकते हैं या आप सब लोगों को कुछ समय तक मूर्ख बना सकते हैं पर आप सब लोगों को हर समय मूर्ख नहीं बना सकते’ यह कहावत उद्योग-धंधे पर सौ फीसदी लागू होती है। आप कुछ समय के लिए सबकी आंखों में धूल झोंक सकते हैं या थोडे लोगों को हमेशा फंसा सकते हैं पर सब लोगों को हमेश फंसा नहीं सकते। किसी भी उद्योग व्यवसाय को लंबे समय तक टिकाने के लिए, चलाने के लिए आवश्यक होता है ग्राहकों का भरोसा। ग्राहकों को उत्पादन की गुणवत्ता के संबंध में, मूल्य के संबंध में, स्वरूप के संबंध में भरोसा होने पर ही वह बार-बार आपके उत्पाद का उपयोग करता है। जब आपके उत्पादन की, सेवा की मांग बढ़ने लगती है तब अपने आप आपके उद्योग को स्थिरता मिलती है, आपका मुनाफा बढ़ता है। यह सब आप बेईमानी से या धोखा देकर नहीं पा सकते। इसीलिए उद्यमियों का दूसरा महत्वपूर्ण सूत्र है ईमानदारी। ईमानदारी से उद्योग किया जा सकता है इस पर आपका विश्वास होना चाहिए और यही बात सही है।

एक बात ध्यान रखिए कि कोई भी उद्योग मुनाफे के बिना चल नहीं सकता है। उद्यमी जो मेहनत करता है, जो जोखिम उठाता है, उसके ईनाम स्वरुप ही होता है उसे होनेवाला मुनाफा। इसीलिए साबुन बनाने से लेकर बिल्डिंग बनाने तक हर उद्योग में नफा होता है, यह बात ग्राहकों को पता होती है। अब प्रश्न आता है कि कितना मुनाफा कमाना चाहिए? प्रत्येक उद्योग में उसके स्वरुप के अनुसार कम-ज्यादा ‘ईमानदारी की कमाई’ होती है। मतलब उस उत्पाद पर आनेवाला कुल खर्च तथा ग्राहक से उसके लिए ली जानेवाली कीमत इसके बीच सामान्य फर्क होता है। इस ‘ईमानदारी की कमाई’ पर आप एक निश्चित गति से प्रगति कर सकते हैं। मात्र कई बार कई लोग फौरन अमीर बनने के इरादे से उद्योग-व्यवसाय में आते हैं। उसके लिए वे आनवश्यक शॉर्टकट का उपयोग करते हैं। परंतु उद्योग-व्यवसाय में ही नहीं बल्कि पूरी जिंदगी में यश पाने का कोई शॉर्टकट नहीं होता है। आज शॉर्टकट के उपयोग से आप शायद मुनाफा कमा लें पर भविष्य में वही शॉर्टकट आपको ही छोटा बना देगा, यह ध्यान रखिएगा। आपको रस भरे आम का स्वाद चखना हो तो उसके लिए आपको आम के बगीचे की वर्षभर खेती तो करनी होती है, पर बौर का रुपांतरण शिशु आम में होने के बाद भी संयम रखकर शिशु आम का रुपांतरण पूर्ण आम में होने तक धीरज रखना पड़ता है। आपने यदि रसायन का उपयोग करके कच्चे आमों को जल्दी पकाया तो आम का नैसर्गिक स्वाद चखने को नहीं मिलेगा। यश, समृद्धि के साथ भी वैसा ही है। परिश्रम, ईमानदारी, संयम, निरंतरता इनको पकड़कर चलने पर ही यश, समृद्धि का स्वाद दीर्घकाल में चखने मिलता है।

प्रत्येक उद्योग-व्यवसाय की स्वयं की गति होती है। उस गति से आप गए तो सही समय पर योग्य अनुपात में मुनाफा होने की शुरुआत होती है। जब एकाध उद्योग या उद्योजक अचानक, अनैसर्गिक गति और तरीके से बडा होता दिखता है तब वह बड़ा नहीं होता है वह सूजन होती है, ऐसा भरोसे के साथ समझिए। इस प्रकार अचानक बढ़ने वाला उद्योग का आलेख उतनी तेजी से नीचे गिरता दिखता है। ‘एक्सपोनेंशियल ग्रोथ’ होने पर ‘एक्सपोनेंशियल फॉल’ है। इसीलिए ऐसे चढ़ाव-उतार का धक्का खाने की अपेक्षा एक औसत गति से उद्योग करने में ही हित है। उद्योग की शुरुआत से ही ईमानदारी से चलिए। शायद, शुरुआत में आपको अपेक्षित मुनाफा न मिले पर लंबी रेस दौड़कर आप जीतना चाहेंगे या फौरी बढ़त लेकर थक जाना चाहेंगे; यह आप तय कर लीजिए।

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