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उत्तर प्रदेश बना तमिलनाडु

उत्तर प्रदेश बना तमिलनाडु

by इन्द्रसेन सिंह
in अगस्त-२०१२, राजनीति
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उत्तर प्रदेश राजनैतिक दृष्टिकोण से तमिलनाडु के पथ पर अग्रसर है, जिस तरह तमिलनाडु में राष्ट्रीय पार्टियां भारतीय जनता पार्टी’ तथा कांग्रेस लुप्त प्रायः हो रही हैं, क्षेत्रीय पार्टियां, ‘द्रविड मुनेत्र कडगम’ व ‘अन्ना द्रविण मुनेत्र कडगम का प्रभाव ज्यादा हैंं। यहीं पार्टियां बारी-बारी से सत्ता में आती हैं। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भी क्षेत्रीय पार्टियां, ‘समाजवादी पार्टी’ एवं ‘बहुजन समाज पार्टी’ पिछले कई चुनाव से एक के बाद एक सत्तासीन हो रही हैं। दोनों राष्ट्रीय पार्टियां-‘भारतीय जनता पार्टी’ एवं ‘कांग्रेस’ हाशिये पर चली गई हैं।

तमिलनाडु में ‘अन्ना द्रविण मुनेत्र कडगम ‘जयललिता’ की पार्टी है, उनके बाद कोई नहीं है, ‘अन्ना द्रविण मुनेत्र कड़गम ‘जयललिता से आरंभ होती है और ‘जयललिता’ पर समाप्त हो जाती है। एको अहमं दृतीयोनास्ति’’की तरह यहां की राजनीति में जयललिता का राज चल रहा है। जयललिता’ अभी तक पाणिग्रहण संस्कार से वंचित हैं, वे चिर कुंवारी हैं, इनको राजनिति का प्रथम पाठ पढ़ाने की राजनिति करते थे एवं ‘‘अन्ना दुरई’ के समर्थक थे, जयललिता उन्हीं की तर्ज पर नई राजनितिक फसल काट रही हैं, ये कभी हिन्दूवादी हो जाती हैं तो कभी मुसलमानों को अपने पक्ष में करने के लिए हिन्दू विरोधी, व्यवहार करती है, ‘‘जगतगुरु-शंकराचार्य’’की गिरफ्तारी मुसलमानों को खुश करने के लिए कराई गई। ‘जयललिता’ जनता के धन का उपयोग, अपने ऐशो-आराम के लिए करती हैं। ‘जयललिता’ अपने आपको ‘‘अम्मा’’ कहलाना अधिक पसंद करती हैं। ‘अन्ना द्रविण मुनेत्र कडगम’ में लोकतंत्र नहीं है, वह राजनैतिक पार्टी से अधिक ‘‘जयललिता एंड जयललिता प्राईवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलती है।

उत्तर प्रदेश में ‘‘बहुजन समाज पार्टी’ पूरी तरह से ‘मायावती’ की पार्टी है। इस पार्टी का शुरुआत तथा समाप्ति मायावती से ही होती हैं। ‘मायावती’ अपने आपको ‘‘सुश्री कुंवारी-बहन जी मायावती’’ कहलवाना पसंद करती हैं। मायावती वैवाहिक बंधन से बंधना नहीं चाहतीं, ‘‘कुंवारी बहन मायावती’’ का संबोधन उन्हें अधिक प्रिय है। ‘मायावती के राजनैतिक ‘गुरु’ एवं पथ प्रदर्शक कांशीराम जी थे, वे दलितों राजनिति करते थे तथा डॉ. भीमराव आंबेडकर के समर्थक भी थे। ‘मायावती’ उन्हीं की बनाई राजनैतिक पृष्ठभूमि पर सत्ता का सुख भोग रही हैं। ‘बहुजन समाज पार्टी’ को उत्तर प्रदेश के ‘दलित’ पूर्ण रूपेण समर्थन करते हैं, ‘दलित’ भी हिन्दू हैं इसलिए ‘मायावती’ हिन्दू विरोध तो नहीं करतीं, परंतु ‘मुसलमानों को अपने पक्ष में करने के लिए मुसलमानों के समर्थन में कभी-कभी बयान भी देती रहती हैं। ‘मायावती जब सत्ता में होती हैं तो उत्तर प्रदेश की जनता के घन का दुरुपयोग करती हैं, उसे वे अपनी विलासिता के संसाधनों पर अधिक खर्च करती हैं । तमिलनाडु में दूसरी बार शासन करने वाली पार्टी है- ‘‘द्रविड मुनेत्र कड़गम, यह एक पारिवारिक पार्टी है, जिसके प्रमुख हैं ‘‘मश्युवेल्लु करूणानिधि। द्रविण मुनेत्र कड़गम पार्टी को ‘करूणानिधि’ के परिवार के लोग ही चलाते हैं, इनमें ‘करूणानिधि की दो पत्नियां दयालु अम्मा तथा रजाथी अम्मा एवं उनके बेटे- एम. के अजागिरि, एम. के. स्टॉलिन, एम. के. तमिला रासू, एम. के. सेल्वी तथा बेटी ‘एम. के कानिमोजी इन्हीं लोगों को तमिलनाडु की जनता अपना भाग्यविधाता चुनती रहती है। ‘द्रविण मुनेत्र कड़गम’ पार्टी में केवल ‘करूणानिधि’ के परिवार के लोग सर्वोच्च पदों पर हैं, परिवार के बाहर के लोगों का केवल पार्टी के लाभ के लिए उपयोग करते हैं।

‘करूणनिधि’ द्रविड़ों की राजनिति करते हैं, वें हिन्दू धर्म में विश्वास करते हैं या, नहीं यह स्पष्ट नहीं है, परन्तु यह स्पष्ट है कि वे, ‘श्रीराम विरोधी हैं, उन्होंने ‘राम सेतु आंदोलन के समय ‘श्रीराम’ के बारे में बहुत अभद्र शब्दों का प्रयोग किया था।

‘करूणानिधि आतंकवादी संगठन लिट्टे का समर्थन करते हैं, जिसके लिए उन्हें विदेशों से धन प्राप्त होता है, करूणानिधि,येन केन प्रकारेण सत्ता में बने रहना चाहते हैं, केन्द्र में जिस गठबंधन की सरकार बनने की संभावना होती हैं, वे उसी के साथ हो लेते हैं तथा सत्ता का सुख भोगते हैं।

उत्तर प्रदेश मेें ‘‘समाजवादी पार्टी’’ के प्रमुख हैं ‘मुलायम सिंह यादव के अलावा शिवपाल यादव, अखिलेश सिंह राम गोपाल यादव, धर्मेन्द्र यादव, डिम्पल यादव, ये ही समाजवादी पार्टी के कर्णधार हैं एवं उत्तर प्रदेश की जनता इन्हेें अपना भाग्य विधाता चुनती हैं। मुलायम सिंह यादव अपनी पारिवारिक पार्टी को डॉ. राम मनोहर लोहिया से जोड़ते हैं, परन्तु मुलायम सिंह की ‘समाजवादी पार्टी’ ‘डॉ. राम मनोहर लोहिया’ के विचारों व सिद्धांतों से बहुत दूर हैं। ‘मुलायम सिंह यादव सत्ता में रहते हुए भी जनता की मांग डॉ. राम मनोहर लोहिया नगर नहीं रख पाए, आज भी उसका नाम ‘शहजादपुर’ ही है, जो वर्तमान आंबेडकर नगर जिला, अकबरपुर से सटा हुआ है। मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी, मुलायम सिंह यादव के विचारों व सिद्धान्तों पर चलती हैं, मुलायम सिंह यादव हिन्दू होते हुए, हिन्दू विरोधी हैं, ये येन- केन-प्रकारेण मुसलमानो को अपने पक्ष में करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं। मुलायम सिंह यादव राम विेरोधी बताये जाते हैं। अयोध्या आंदोलन के समय, मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों को खुश करने के लिए अनके निर्दोष राम भक्तों की हत्या करवाई थी, उनके इस कृत्य से प्रभावित होकर उत्तर प्रदेश के मुसलमान मुलायम सिंह यादव की ‘समाजवादी पार्टी’ से पूणरूपेण जुड़ गए। ‘मुलायम सिंह यादव आतंकवाद के समर्थक हैं, वे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘सिमी’ को देश भक्त संगठन बताते हैं और उसकी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। सूत्रों से ज्ञात हुआ कि समाजवादी पार्टी देशद्रोही संगठनों को गुप्त रूप से आर्थिक सहायता भी प्रदान करती है एवं नैतिक रूप से समर्थन भी करती है, इसके लिए विश्व के इस्लामिक देशों से अवैध रास्ते (हवाला) अकूत धन ‘समाजवादी पार्टी’ को प्राप्त होता है। उत्तर प्रदेश में ‘समाजवादी पार्टी’ को सरकार बनने के उपरांत जेल में बंद ‘सिमी’ के आतंकवादियों पर से राज्य सरकार मुकदमें वापस लेने की प्रक्रिया क्रियान्वित कर रही है एवं जेल में बंद ‘सिमी’ आतंकवादियों को विशेष सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

मुलायम सिंह यादव की ‘समाजवादी पार्टी’ डॉ. राम मनोहर लोहिया के समाजवाद से बिल्कुल भिन्न है, वह डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों से नहीं बल्कि ‘गुंडाराज’ से प्रभावित है, जब उत्तराखंड के आंदोलनकारी दिल्ली जा रहे थे तो रात में ‘रामपुर’ में उन पर गुंडों ने आक्रमण कर दिया, पुरुषों को उन्होने दौड़ा-दौड़ा कर मारा एवं महिलाओं को निर्वस्त्र किया गया, उनके साथ बलात्कार किया, वाबजूद इसके तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उन बलात्कारियों को दंड न देकर उन्हें पुरस्कृत किया, क्योंकि उत्तराखंड के आंदोलनकारी ‘हिन्दू’ थे व अताताई गुंडे मुस्लिम थे। आज वे उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण पदों पर हैं, यहाँ तक कि मंत्रि पद से सुशोभित किये गये हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में ‘समाजवादी पार्टी का शासन है- ‘अखिलेश सिंह वहां के मुख्यमंत्री है, परंतु ‘रिमोर्ट कंट्रोल’ मुलायम सिंह यादव के पास हैं। उत्तर प्रदेश की जनता ने समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत प्रदान कराया, परंतु समाजवादी पार्टी, उत्तर प्रदेश की जनता को समान दृष्टिकोण से नहीं देखती, वह धार्मिक आधार पर व्यवहार करती है एवं कानून बना रही है। ‘समाजवादी सरकार पूर्ण रूप से इस्लामिक ऐजंडेे पर काम कर रही है, उत्तर प्रदेश में हिन्दू दूसरे दर्जे का नागरिक बन गया है। उत्तर प्रदेश सरकार प्रथम वरीयता मुसलमानों को दे रही है। उत्तर प्रदेश सरकार दसवीं पास करने वाली मुस्लिम लड़कियों को तीस हजार रुपये प्रदान कर रही हैं। समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव के परिवार के बाहर का अगर कोई आगे बढ़ता दिखाई देता है, तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है, चाहे व राज बब्बर हों, अमर सिंह हों, बेनी प्रसाद वर्मा हों, जयाप्रदा हों, ऐसे अनेक नेता हैं, जिनका उपयोग कर, मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी ने पार्टी से पद मुक्त कर दिया।

उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय राजनितिक पार्टियोें का तमिलनाडु की राजनितिक पीर्टियों से समानता तो है ही, साथ ही उत्तर प्रदेश का मतदाता भी तमिलनाडु के मतदाता जैसा हो गया है, वह केवल अपना हित देखता है, उसे क्या मिलेगा? प्रदेश विकास के बारे में नही सोचता, जिस प्रकार तमिलनाडु में चुनाव के समय मतदाताओं को प्रलोभन देती हैं, कोई राजनैतिक पार्टी टी. वी. तो कोई टी. वी. के साथ सी. डी. प्लेयर भी देगी, उसी प्रकार उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह एंड फेमली प्रा. लि. यानि ‘समाजवादी पार्टी’ ने उत्तर प्रदेश के मतदाता को अनेक प्रकार का प्रलोभन दिये, जिनमें से एक युवाओं को लैपटॉप देना भी रहा। बेरोजगारों को भत्ता, किसानोंं को कर्ज माफी देने, कृषि कार्य हेतु बिजली नि:शुल्क देने एवं मुसलमानों को बारह प्रतिशत आरक्षण, मुसलमानों को धार्मिक आधार पर सुविधाएं देने भी ंइसमें शामिल है। उत्तर प्रदेश का मतदाता इन लुभावने जाल में फंस गया। कहते हैं कि- लालच में आदमी अंधा हो जाता है’ उसी उत्तर प्रदेश का मतदाता अंधा हो गया और उत्तर प्रदेश को अंधकार में झोंककर समाजवादी पार्टी को भारी बहुमत से विजयी बनाया। पता नहीं, कब उत्तर प्रदेश का मतदाता, तमिलनाडु के पथ पर न चलकर अपने पड़ोसी राज्यों बिहार एवं मध्यप्रदेेश के पथ पर चलेगा, ईश्वर उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को अति शीघ्र सद्बुद्धि प्रदान करे, जिससे उत्तर प्रदेश भारत का सबसे सशक्त प्रदेश बनकर उभरे।
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