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बलशाली प्रभुत्व वालों को ही मिल रहा आरक्षण का फायदा- मोहनजी भागवत

बलशाली प्रभुत्व वालों को ही मिल रहा आरक्षण का फायदा- मोहनजी भागवत

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, देश-विदेश, राजनीति, विशेष, व्यक्तित्व, सामाजिक
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने देश के सबसे संवेदनशील विषय आरक्षण पर बयान दिया। सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि देश को अगर आगे ले जाना है तो समाज में व्याप्त विषमता को मिटाना होगा। इसके लिए समाज को एक दृष्टि से देखने वाले को साथ लेकर चलना होगा और हर किसी के मन में समानता का भाव लाना होगा। सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि कई सरकारें आई और गई सभी ने अलग अलग ना जाने कितने कानून भी बनाए लेकिन यह कानून जब तक आचरण में नहीं उतरेगा तब तक समाज के हर व्यक्ति को इसका लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण के लिए भी कानून तो बना है लेकिन इसका लाभ समाज के हर व्यक्ति को नहीं मिल पा रहा है। इसमें भी जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत सही होती नजर आती है यानी जिसका जहां प्रभुत्व है वहां उसे लाभ मिल जाता है और यह बात देश की सर्वोच्च अदालत ने भी मानी है।

सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि जब तक समाज को आरक्षण की जरूरत है इसे लागू रखना चाहिए और इसका मैं भी इसका पूरी तरह से समर्थन करता हूं। मोहन जी भागवत ने कहा की सामाजिक समरसता के लिए अपने आचरण में सभी को बदलाव लाना होगा। हमें यह दिखाना होगा कि देश का हर नागरिक समाज की विषमता के खिलाफ खड़ा है और इससे ही हमारे समाज में परिवर्तन आएगा। देश के टुकड़े टुकड़े गैंग के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए मोहन जी भागवत ने कहा कि जो लोग देश के टुकड़े करना चाहते हैं वह लोग कभी भी समाज में समानता नहीं देखना चाहेंगे। ऐसे लोग हमेशा यह चाहते हैं कि समाज में ऊंच-नीच का भेदभाव बना रहे और यह लोग इसी भेदभाव का फायदा उठाकर अपनी राजनीतिक रोटी सेकते रहे।

समाज में समरसता के बिना समता संभव नहीं है इसलिए हमें झुकने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। मोहन जी भागवत ने कहा कि जो लोग उपर हैं उन्हें झुकना पड़ेगा और जो नीचे हैं उन्हें हाथ बढ़ाना पड़ेगा, तभी यह समाज एक साथ चल सकता है और जो पिछड़े लोग हैं उन्हें ऊपर उठाया जा सकता है। संघ प्रमुख मोहन जी भागवत ने कहा कि समाज में समरसता लाने के लिए अपने आचरण का उदाहरण लोगों के बीच भी पेश करना होगा और इसे पहले खुद करके दिखाना होगा और फिर दूसरों को भी बताना होगा। हर किसी को अपने घर से ही इसकी शुरुआत करनी चाहिए। मोहन जी भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक यह कर रहे हैं।

अपने भाषण के दौरान सरसंघचालक ने कहा कि हम सभी को त्यौहार और उत्सव एक साथ मिलकर मनाना चाहिए। सभी को मधुर भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए। न्याय के पक्ष में उठने वाली हर आवाज़ के साथ खड़ा होना चाहिए और हमेशा समाज अपना है इस भाव से ही आगे बढ़ना चाहिए। क्योंकि जब तक हर कोई समाज को अपना नहीं समझेगा तब तक समाज का पूरी तरह से विकास नहीं होगा। समाज किसी एक व्यक्ति का नहीं है। व्यक्तियों के समूह से ही समाज बनता है इसलिए समाज में सभी की बराबर की सहभागिता है।

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