मप्र उपचुनाव: सिंधिया और शिवराज के लिए क्यों अहम है यह चुनाव!

मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के साथ ही राज्य में राजनीति एक बार फिर से गरमाती दिख रही है। वैसे चुनाव की दृष्टि से उपचुनाव का कोई खास महत्तव नहीं होता है। उपचुनाव से सिर्फ सत्ता या विपक्ष के संख्या बल में मामूली परिवर्तन होता है जिसका वर्तमान राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ता है लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के उपचुनाव कुछ अलग हैं। मध्य प्रदेश में कुल 28 सीटों पर उपचुनाव होने वाले है और इसके परिणाम से सत्ता में परिवर्तन आ सकता है। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब किसी राज्य में एक साथ इतनी ज्यादा सीटों पर उपचुनाव हो रहे है। मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें है जिसमें से 28 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है। यह तब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है जब किसी राज्य में 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे है।

अब आप के मन यह सवाल जरुर पैदा होगा कि आखिर मध्य प्रदेश में ऐसा क्या हुआ जिससे एक साथ 28 सीटों पर उपचुनाव करवाना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश के राजघराने से आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपना 18 साल पुराना रिश्ता कांग्रेस से तोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। उस दौरान बहुत बड़ा सियासी भूचाल आया था और मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिर गयी थी। ज्योंतिरादित्य सिंधिया ने अपने साथ कुल 22 विधायकों के साथ कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया और बीजेपी में शमिल हो गये। ज्योतिरादित्य के साथ 19 कांग्रेसी विधायक और तीन अन्य ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद मध्य प्रदेश में फिर से बीजेपी की सत्ता वापस लौट आयी।

मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में फिलहाल भाजपा के पास 107 सीट, जबकि कांग्रेस के पास 88 सीट, बसपा के पास 2 सीट, सपा के पास 1 सीट और 4 निर्दलीय विधायक है। अब अगर इन सीटों को चुनावी चश्में से देखें तो भाजपा को सत्ता कायम रखने के लिए मात्र 9 सीटें जीतनी है जबकि कांग्रेस के पास पहले से विधायक कम है तो उसे सत्ता में वापसी के लिए कुल 28 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। वैसे उपचुनाव वाली सीटों के इतिहास को देखें तो इसमें से ज्यातार सीटें कांग्रेस के पास ही थी लेकिन उसे फिर से हासिल करना कांग्रेस के लिए एक चुनौती है। मध्य प्रदेश की कुल 28 सीटों पर मुकाबला सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के बीच में है लेकिन बसपा ने भी उपचुनाव में अपने उम्मीदवार उतार कर यह मुकाबला और कड़ा कर दिया है।

राज्य में होने वाले उपचुनाव से कांग्रेस में फिर से आस जगी है कि अगर वह जरुरी सीटें जीत जाती है तो फिर से उसकी सत्ता में वापसी हो सकती है और कमलनाथ को फिर से मुख्यमंत्री का पद मिल सकता है। लेकिन कुर्सी और सत्ता की लालच में कमलनाथ ने बीजेपी की महिला नेता को लेकर अपमानजनक टिप्पणी कर के खुद के लिए मुसीबत पैदा कर दी है। कमलनाथ ने मध्य प्रदेश की बीजेपी नेता इमरतीदेवी को एक रैली में आइटम कह कर बुला दिया था जिसके बाद से उनका विरोध हो रहा है। राहुल गांधी ने भी कमलनाथ के बयान को गलत बताया और कहाकि महिलाओ के अपमान को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

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