हरियाणा के बल्लभगढ़ की रहने वाली निकिता को सिर्फ इसलिए जान गवानीं पड़ी क्योंकि वह तौसीफ के साथ शादी नहीं करना चाहती थी जबकि तौसीफ निकिता से एक तरफा प्यार करता था। तौसीफ यह चाहता था कि निकिता अपना हिंदू धर्म छोड़ इस्लाम अपना लें और तौसीफ से शादी कर ले। तौसीफ एक रसूक घराने से ताल्लुक रखता था इसलिए उसे ऐसा लग रहा था कि निकिता को उसकी बात माननी चाहिए जबकि निकिता तौसीफ को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी। तौसीफ की तमाम कोशिश के बाद भी जब निकिता इस शादी के लिए तैयार नहीं हुई तो फिर वही हुआ जो अमीर बाप की बिगड़ैल औलाद करती है। तौसीफ ने अपने दोस्त की मदद से पहले निकिता के अपहरण की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहा। अब तौसीफ को यह लगने लगा कि निकिता उसकी कभी भी नहीं हो सकती है तो उसने निकिता पर गोली चला दी जिसमें निकिता की मौत हो गयी।
बीकॉम अंतिम वर्ष की छात्रा निकिता की मौत के बाद हरियाणा सहित पूरे देश में विरोध प्रदर्शन होने लगा। पुलिस भी हरकत में आयी आरोपी तौसीफ और उसके दोस्त को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि तौसीफ ने निकिता की हत्या जानबूझ कर की और उसने अपना गुनाह कबूल करते हुए बताया कि निकिता से वह शादी करना चाहता था लेकिन निकिता इसके लिए तैयार नहीं थी। निकिता के परिवार के लोग भी तौसीफ को पसंद नहीं करते थे। तौसीफ ने सन 2018 में निकिता का अपहरण भी कर लिया था जिसके बाद तौसीफ के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज हुआ था लेकिन तौसीफ के परिवार के मांफी मांगने के बाद निकिता के परिवार ने केस वापस ले लिया था। इस अपहरण वाले मामले के बाद तौसीफ कानून की नजर में मुजरिम हो गया और उसने निकिता से बदला लेने के लिए ठान लिया।
तौसीफ करीब दो साल से निकिता के पीछे पड़ा था लेकिन उसे सही समय नहीं मिल रहा था। 26 अक्टूबर को जैसे ही निकिता परीक्षा देकर बाहर निकली तौसीफ पहले से ही घात लगाए उसका इंतजार कर रहा था। तौसीफ ने पहले निकिता को जबरन कार में बिठाना चाहा लेकिन वह सफल नहीं हुआ। निकिता के साथ मौके पर उसकी मां भी थी जिससे निकिता को कार में तौसीफ नहीं बैठा सका। खुद को फेल होता देख तौसीफ ने बंदूक निकाली और निकिता को गोली मार दी। गोली निकिता के कंधे में लगी और वह लहुलुहान होकर जमीन पर गिर पड़ी। घटना के बाद निकिता को लोगों ने स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस के हाथ और भी कई ऐसे सबूत लगे है जिससे यह साफ होता है कि तौसीफ लगातार निकिता पर दबाव बना रहा था। तौसीफ एक राजनैतिक परिवार से ताल्लुक रखता है इसलिए उसे कानून का भी डर नही था क्योंकि उसके पूरे परिवार और रिश्तेदारों में कांग्रेस के विधायक और मंत्री स्तर तक के लोग है। ऐसे किसी का अपहरण करना या फिर डरना धमकाना आम बात हो रही थी। इस घटना के बाद प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं प्रशासन की भी लापरवाही इसमें नजर आ रही है अगर घटना के शुरुआती दौर में प्रशासन की तरफ से कड़े कदम उठाए गये होते तो शायद आज निकिता जिंदा होती।
ऐसे अपराध के लिये १००दिन के अंदर,कोर्ट का फैसला आना चाहीये,और मातृशक्ती को प्रताडीत करनेवालो को मृत्यूदंड देना चाहीये
अभी तो मुसलमान राजनीति में आ कर अपने मनसूबे पूरे करने के लिए किसी भी हद जा रहे हैं। उनकी नजरों में गैर मुस्लिम के प्राणों की कोई कीमत नहीं है।इसलिए वे बेख़ौफ होकर दंगे करते हैं। स्थितियां तब और भयंकर होंगी जब मुसलमान आई एस अफसर बनकर आएगा किसी जिले का कलेक्टर या डीजीपी , एस पी,या सचिव बनकर प्रशासन की कमान संभालेगा।उसके लिए तो उसका धर्म सबसे पहले है। तब हिन्दू सिर्फ उनके रहमो-करम पर मर मर कर जिएगा। इसलिए सभी तरह की प्रशासनिक परीक्षाओं में ऊर्दू भाषा को प्रतिबंधित करना ही होगा।अन्यथा सरकारों पर भी वे शिकंजा कसने लगेंगे।कुछ राजनीतिक दल तो तैयार ही बैठे हैं उन्हें सिर पर बैठाने को।