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ड्रैगन फ्लाय

ड्रैगन फ्लाय

by अलका सिगतिया
in अक्टूबर २०२०, कहानी
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“बिट्टू ने आशा और विश्वास से कहा, चीनी ड्रैगन फ्लाई तुम्हें फ्लिट कर दिया जाएगा। और वह नए जोश के साथ चीनी बबुए को भगाने की रणनीति बनाने में लग गया।”

बिट्टू, बाजार में छोटी-छोटी आंखों वाले चिकने बैटरी से चलने वाले, खिलौने को देखकर मचल गया। छोटी-छोटी आंखों वाला एकदम चिकना, प्यारा सा कितने वाला, चाबी से चलने वाला, बबुआ।         दादा जी बोले, नहीं बिट्टू ये चीनी बबुआ है, यह अच्छा नहीं होता, मत लो। ये कभी अपना नहीं होता, लेना है तो अमेरिकन, रशियन, इजराायलियन बबुआ ले लो। यह दग़ाबाज होता है। मैंने अपने बचपन में 1961 में लिया था। बैटरी से बोलता भी था। मैंने उसको अपना भाई बनाया था, उसने मुझे। हम गलबहियां करके रहते थे। मैं अपना खाना उसे खिला देता था, यहां तक कि अपने बिस्तर पर सुलाता था, धीरे-धीरे उसने मेरे बिस्तर बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया।

दुकानदार ने कहा, नहीं अंकल जी यह बबुआ बौद्ध धर्म का अनुयायी है। फूलों के देश से आया है, पता है ना! चीन में आर्किड जैसे फूलों की खेती होती है। बहुत शांत है और हां इसकी एक खास बात है ऐप है, जिससे यह रूप भी बदलता है। इतने कम रुपए में इतना कुछ और किसी देश के बबुए में आपको नहीं मिलेगा।

दादाजी का असमंजस समझकर उसने उसकी मार्केटिंग में ही तैयार की हुई लिस्ट पकड़ा दी। यह साम्यवादी है। मेहनती है। अपनी आबादी पर कंट्रोल करना जानता है। आपके घर के बच्चे को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना सिखाएगा। आपके घर पहुंच गया तो आपके घर के इकोनामी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ेगी। सबसे सस्ता भी है, मल्टी फंक्शनिंग भी है

अब दादाजी भी लालच में आ गए। और चीनी बबुआ घर आ गया। बिट्टू को देख उसके सारे दोस्तों ने भी ज़िद करके चीनी बबुए खरीद लिए। फिर उनने ब्रेन मैपिंग करके घर में और चीनी खिलौने भरवा लिए। धीरे-धीरे उस चीनी खिलौनों, चीनी बबुओं ने दूसरे खिलौने की जगह पर कब्जा करना चालू कर लिया। वजीर, अंकल ने पाकिस्तान से एक कठपुतली लाकर दी थी, नेपाली गोरखे ने बिट्टू के जन्मदिन पर एक नेपाली कांचा दिया था। श्रीलंका के टुअर से पापा रमन्ना गुड्डा लाए थे। यह लोग आपस में मोनोपोली यानि व्यापार- व्यापार खेलते थे। उनके पूरे रुपए खत्म हो गए, तो चीनी बबुआ ने उन्हें कर्ज़ दे दिया। वे उसकी जी हुजूरी करने लगे क्योंकि अब कर्ज़ चुकाने की उनकी हैसियत थी नहीं। अब जो भी अच्छा खाना, कपड़ा बिट्टू उनके लिए लाता यह चीनी बबुआ हड़पने की कोशिश करता। दूसरे खिलौने दबी आवाज़ में कहते बड़ा साम्यवादी बनता था, अब साम्राज्यवादी हरकतें क्यों करने लगा? तो उसका रूप परिवर्तन हो जाता वह ड्रैगन फ्लाय बन जाता।

अब वह बबुआ और दूसरी चीनी बबुए पूरी जगह में उत्पात मचाने लगे। ऐसा खिलौनों से बदल कर जीते जागते आतंक बन गए। चीनी गुड़ियाओं को बुलाकर मसाज पार्लर खुलवा दिए। साम्यवादी देश के बबुआ स्त्रियों के शोषण में अगुआ थे। बिट्टू के घर में एक बहुत ही सुंदर गार्डन था जिससे वह सब अपने घर को स्वर्ग कहते थे। उन्होंने 144 रुपए और 370 रुपए की फैंस लगा रखी थी। यह बबुआ चिल्लाने लगा यह फैंस हटाओ, दूसरे चीनी बबुओं को वहां घुसने दो। मना करने पर सीमा में घुसकर मार पिटाई करने लगे। खिलौनों में डर के साथ विद्रोह भी फैलने लगा।

हांगकांगी गुड्डा गुड्डी की पूरी जगह हथिया ली। उन्होंने अपनी स्वतंत्रता के लिए गुहार लगाई, तो उन पर तरह-तरह से अत्याचार करने लगे ये चीनी बबुए। बिट्टू ने हांगीकांगी गुड्डे-गुड़िया को खिलौने वाला मोबाइल दिया था। इन चीनी बबुओं ने उसका सोशल मीडिया डिलीट कर दिया। उनके टीवी को तोड़फोड़ दिया। समाचारों पर बैन लगा दिया।

दादा जी को लगा, आखिर कैसे इतनी आसानी ये चीनी बबुए अपना साम्राज्य फैलाते जा रहे हैं? पता चला उन्होंने उनमें से कई खिलौनों को लंबा कर्ज देकर खरीद लिया था। पक्ष -विपक्ष के कई खिलौनों ने अपना मुंह बंद कर लिया था। बिट्टू भी क्यों चुप बैठा है, इस पर, तहकीक़ात पर पता चला बिट्टू को भी यह महंगी महंगी चॉकलेट खिलाकर मुंह बंद कर चुका है।

एक बार बिट्टू पांच साल का था, तो लेह लद्दाख गया था, उसे वहां की पैंगांग लेक, डेप्सॉन्ग, गलवान, डोकलाम जगहें बहुत पसंद आई थी, जिद करने लगा कि यही रहना है। तो पापा ने उसके लिए एक कारीगर से पांच बाय पांच का वैसा ही मॉडल तैयार करवा दिया था। जिसमें वह किसी को घुसने नहीं देता था। पर ये चीनी बबुआ हर जगह घुसपैठ करने लगा। एक दिन बिट्टू को भी गुस्सा आ ही गया।

’तुम गंदी, लालची मक्खी हो ड्रैगन फ्लाय, जो हर जगह जाकर बैठती है। दादी  जी कहती  हैं, ’माखी गुड़ में गड़ी रहे पंख रहे लिपटाय।’ तुम वही गंदी मक्खी हो।

चीनी बबुआ जो अब ड्रैगन के रूप में परिवर्तित था, जहर की फुंकार उगलने लगा। चीनी बबुआ को घर में लाए पांच साल हो गए थे। बिट्टू अब किशोर हो गया था। समझदार हो गया था। उसे पता चला कि ये चीनी बबुए न जाने क्या क्या खा लेते हैं, चिड़िया के घोसले तक खा लेते हैं, सांप खा लेते हैं, बिच्छू खा लेते हैं, उसने बिट्टू की बिल्ली को भी खा लिया, बिट्टू बहुत दुखी हो गया। ये चीनी बबुआ न जाने क्या क्या खाने लगा, उससे वायरस फैलने लगा और सबको बीमार करने लगा। उसके साथ रहना अब मुश्किल हो गया था। उसने न जाने कितने खिलौने की जान ली थी।

बिट्टू को गुस्सा आने लगा उसने अपने देश वाले खिलौनों को जागरूक करना शुरू किया। उनमें से कुछ चीनी बबुए के कर्जों के नीचे इतना डूबे थे कि मुंह नहीं खोल पा रहे थे। बिट्टू ने सोच लिया था।

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।

एक दिन चीनी बबुआ जिद पर अड़ गया, मुझे किट्टी और मिन्नी के घर तक जाने के लिए सड़क बनानी है। अब बिट्टू के खिलौनों में एक राजा का जोश बढ़ गया। जिसके लिए एक कहावत सुनकर बिट्टू उसे लाया था, कि ऐसा राजा गुड्डा ना पचास पहले तक हुआ, ना आगे पचास साल तक होगा। उसने कहा- नहीं बनाने देंगे, पर एक ने कहा, ठीक है बनाने लेने दो। लंटी ने कहां मैं बनाऊंगा पर लंटी को ये कांट्रैक्ट नहीं मिला। समझ नहीं आया बिट्टू ऐसा क्यों हो रहा है। पर बिट्टू इतना जरुर समझ गया था कि चीनी बबुए की निगाहें कहीं निशाना कहीं और है, सड़क बनाकर ये बिना रोक-टोक के सब जगह आतंक मचाएगा। बिट्टू ने अब हांगकांगी, अमेरिकन, जापानी, रशियन सब गुड्डों को इकट्ठा किया।

अमेरिकन गुड्डे के पास बड़े-बड़े हथियार थे, चीनी बबुआ समझ गया था कि ज्यादा चूं चपड़ की तो अमेरिकन गुड्डा सीधे दो बम से उसको और उसके आपने घर को पूरा उड़ा डालेगा। रशियन गुड्डे को भी गुस्सा आया हुआ था क्योंकि उसके ’बेलारूस’ नाम के गार्डन में यह घुसने की कोशिश करने लगा था। किंग जाँग नाम के भारी भरकम बबूए से भी यह डरता था। बिट्टू को समझ आ गया, यह चॉकलेटी गर्दन वाला है। सामने की लड़ाई से भागेगा। पर पीछे से वार करने से चूकेगा नहीं। नेपाली कांचा राजा, पाकी खान पुतला, लंकाई गुड्रडे बेजुबान हो गए थे। पर बिट्टू ने हिम्मत नहीं हारी, अब वह सोशल मीडिया में और सब जगह बता रहा था कि किस तरह से चीनी बबुए अपने देश के लोगों को ही बेघर कर देते हैं तो तुम्हारा क्या हाल होगा और तब नेपाली गुड्डे आगे आए और उन्होंने बताया कि…

हिंदुस्तान यार है चीन गद्दार है

भारत रोटी बेटी देगा

चीन सब कुछ छीन लेगा

बिट्टू ने सबको यह भी समझाया कि वहा चीनी ’अलीबाबा’ नाम की कंपनी का कोई मालिक मजदूरों से आठ घंटे की जगह बारह घंटे मजदूरी कराने के लिए सरकार को कहता है याने ये चीनी बबुए गरीबों के हक में बिलकुल भी नहीं सोचते।

बिट्टू ने दादा जी से कहा, काश मैंने आपकी बात मानी होती। इसके चिकने चुपड़े चेहरे पर ना जाता। सस्ते में ज्यादा की लालच ना की होती। अब समझ पाया हूं यह सस्ते में ये समान बेचकर लोगों को लालच में फंसा रहे हैं। और अपना साम्राज्य फैला रहे हैं। ये चीनी बबुए सारे देशों के उत्पादन बंद करवा कर सारा उत्पादन खुद करना चाहते हैं। ताकि पूरा विश्व इनके ऊपर निर्भर हो जाए। बाकि खिलौनों को यह बेकार कर देंगे। दादाजी ने कहां कोई बात नहीं बिट्टू जब जागो तभी सवेरा, लग जाओ इसे घर से बाहर निकालने में। ड्रैगन के जहर और मक्खी की लालच को उसके ऊपर ही पलटवार करवाओ।

बिट्टू को अचानक बचपन में सुनी कहानियां याद आईं, कैसे राक्षस हर चीज हड़प लेना चाहते थे। हर जगह उत्पात मचाते थे। अधर्म फैलाने का काम करते थे। जैसे ये चीनी बबुए करते हैं। और तब धर्म पुरुष को अवतार लेना पड़ता था।

दादा जी एक बार निराश होने लगे।

1962 में इसने मेरी बहुत सी जगह पर कब्जा कर लिया था। बहुत शातिर है ये। बिट्टू बोला, दादाजी अब हम 1962 वाले नहीं रहे। हमारे पास जांबाज सेना है। मैने कितनी पलटन इकट्टी की है। आपको दिखाऊं? भारी तौपें हैं और तब 1962 में आप लोगों को आज़ाद हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था। आप चिंता ना करें हम होंगे कामयाब।

बेटा ये चीनी बबुओं ने सारे राज जान लिए हैं। सायबर अटैक  कर देता है ये।

तो क्या हुआ दादा जी हमारे पास सच्ची देशभक्ति है7 वसुधैव कुटुंब की पवित्र भावना है।

बिट्टू ने आशा और विश्वास से कहा, चीनी ड्रैगन फ्लाई तुम्हें फ्लिट कर दिया जाएगा। और वह नए जोश के साथ चीनी बबुए को भगाने की रणनीति बनाने में लग गया।

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