चर्च में महिलाओं और बच्चों का हो रहा तेजी से यौन शोषण

कैथोलिक चर्च की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार ईसाई पादरियों ने करीब 175 बच्चों का यौन शोषण किया है लेकिन यह संख्या और भी हो सकती है क्योंकि बहुत से लोग है जिन्होने अभी तक इसका विरोध नहीं किया है। आतंरिक रिपोर्ट यह भी कहती है कि लीगनरीज ऑफ क्राइस्ट के संस्थापक मार्शल एसिएल ने ही 60 बच्चों से अधिक का यौन शोषण किया था। कैथलिक चर्च में पादरी और बिशप ने ननों का भी यौन शोषण किया है जिसके कई मामले अभी भी कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित पड़े है। हालांकि चर्च की तरफ से ऐसे पादरी को निलंबित कर दिया जा रहा है लेकिन निलंबन इसका निवारण नहीं है। ईसाई धर्म के सबसे बड़े गुरु पोप फ्रांसिस ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि चर्च में यौन शोषण की घटनाएँ निरंतर बढ़ती जा रही है।

केरल के बिशप फ्रेंको मुलक्कल का मामले काफी दिनों तक मीडिया की सुर्खियाँ बना रहा। बिशप फ्रेंको मुलक्कल पर नन ने दुराचार करने का आरोप लगाया था जिसके बाद नन को बुरी तरह से परेशान किया गया और तमाम तरह से प्रताड़ित भी किया गया। केरल के ही 51 वर्षीय पादरी रोबिन वडक्कुमचेरी पर भी नाबालिक लड़की के साथ दुराचार करने का आरोप लगा था जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद पादरी को 60 साल की सजा सुनाई है। चर्च की इस तरह की घटनाओं को अगर देंखे तो यह चर्च की एक अलग ही कहानी बयां करते है और यह साबित करते है कि गॉड का घर भी अब उनके लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है।

शिक्षा के क्षेत्र में ईसाई स्कूलों ने तेजी से पैर पसारा है लेकिन इसके साथ ही स्कूलों से यौन शोषण सहित कई और मामले लगातार सामने आ रहे है। मद्रास हाई कोर्ट ने सन 2019 में यौन शोषण से संबंधित एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा था कि ईसाई स्कूलों में यौन शोषण की घटनाएँ तेजी से बढ़ रही है। हाई कोर्ट की तरफ से यह भी कहा गया था कि ईसाई संस्थानों पर कनर्वज के भी आरोप लग रहे है जिससे अब लोग अपने बच्चों को इससे दूर रखना चाहते है। मिशनरी स्कूलों में लगातार बढ़ती यौन शोषण की घटनाओं के बाद अब लोग विद्या मंदिर, केंद्रीय विद्यालय, दिल्ली पब्लिक स्कूल, दयानंद एंग्लो वैदिक स्कूल, नवोदय और नेतरहाल जैसे स्कूलों की तरफ रुख करना शुरु कर दिया है।

सन 2019 में मद्रास किस्चियन कालेज के दो प्रोफेसर पर लड़कियों के यौन शोषण का आरोप लगा था। हालांकि पहले इसे कॉलेज स्तर पर ही दबाने की कोशिश की गयी थी लेकिन छात्रों के विरोध के बाद यह मामला कोर्ट तक जा पहुंचा। कोर्ट में न्यायाधीश ने कहा कि छात्रो के परिवार वालों को ऐसा लगता है कि उनके बच्चे ईसाई मिशनरी संस्थानों में सुरक्षित है लेकिन अब यह गलत साबित होता नजर आ रहा है।

हिंदू जागृति ने एक ईसाई अनाथालय को लेकर एक खुलासा किया था और आरोप लगाया था कि बेथल मिशल अनाथालय से कई बच्चों की संदिग्ध अवस्था में मौत हुई है जिसकी अभी तक कोई जांच नहीं हुई। कई बच्चे और बच्चियां गायब हो गये और अनाथालय से कुछ बच्चों को बेंच दिया गया है। हिंदू जागृति की तरफ से यह जानकारी उनकी वेबसाइट पर भी मौजूद है। बेथल मिशन में कुछ बच्चियों की मौत के बाद उसकी सूचना उनके परिजन और पुलिस को नहीं दी गयी और उन्हे चुपचाप तरीके से दफना दिया गया।

पूरी दुनिया में चर्च के अंदर जिस तरह से यौन कुंठित पादरियों की भर्ती हुई है उससे यौन शोषण की घटना होना आम बात हो गयी है और चर्च में पादरी बच्चों का अपना आसानी से शिकार बना ले रहे है। चर्च को लेकर जो भी आकंड़े अभी तक पेश किये गये है वह सभी सन 1941 से 16 दिसंबर 2019 तक के है। आंकड़ों के मुताबिक 33 पादरियों ने कम उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाया और उन पर यह आरोप साबित हो चुका है बावजूद इसके 18 पादरी अभी भी चर्च में अपनी सेवा दे रहे है। अब सवाल यह है कि क्या आरोपी पादरी को चर्च में सेवा के लिए रखना ठीक है?

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