राजस्थानी मराठी के.जी.रिंगासिया

के. जी. रिंगासिया एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। ये राजस्थान की कुबेर नगरी कहे जाने वाले नवलगढ़ के मूल निवासी हैं। जिस नवलगढ़ से रुइया, पोद्दार, सक्सेरिया, बिड़ला जैसे उद्योगपति महाराष्ट्र को मिले, उसी नवलगढ़ के रिंगासिया भी मूल निवासी हैं। नवलगढ़ के लोगों के मन में सदैव उद्योग, धन जैसे विषय ही समाये रहते हैं, ऐसी आम धारणा बन चुकी है, इसी कारण इस क्षेत्र की जनता ने खुद के साथ-साथ उद्योगों का भी विकास किया है। मुंबई के विलेपार्ले के निर्माण कार्य व्यवसायी के.जी. रिंगासिया बातचीत, हाव-भाव तथा स्वागत‡सत्कार की पद्धति से वह अब प्ाूर्णत: मराठी ही बन गये हैं। रिंगासिया कार्यालय में आये हुए लोगों का मराठी में ही स्वागत करते हैं। उद्योगपति होने के बावजूद ये मराठी नाटक, रंगमंच, साहित्य नाटक करते हैं। विलेपार्ले में प्ाु.ल.देशपांडे तथा नाटककार सतीश दुभाषी जैसी नामी-गिरामी हस्तियों के पड़ोसी होने का बड़े गर्व से उल्लेख करते हैं। अपने कॉलेज जीवन में रिंगासिया मराठी साहित्य मण्डल के कार्यवाहक थे, साथ ही मराठी के नामांकित नाट्य कलाकारों के साथ (जो आज चर्चित कलाकारों में श्ाुमार हैं) रंगमंच पर अभिनय भी किया है। ये सब पढ़ते समय आपको लगेगा कि आप सिर्फ मराठी के उत्कर्ष की भावना रखने वाले व्यक्ति के बारे में पढ़ रहे हैं, लेकिन इसी साथ ही रिंगासिया ने उद्योग क्षेत्र में भी नाम कमाया है। अपनी युवावस्था में साहित्य, कला, संगीत, नाटक के प्रति जो रुचि रिंगासिया में थी, उसके कारण उन्हें समाज में एक अलग महत्व प्राप्त हुआ। एक सर्वव्यापी व्यक्तित्व के रूप में समाज में उनकी पहचान बनी। एक राजस्थानी व्यक्तित्व के रूप में उद्योग की अन्दर से ही समझ होती है, यह बात उन्हें अपने आगे के जीवन में काम में आयी। आई.ई.एस. की उपाधि प्राप्त करने के बाद रिंगासिया ने उद्योग क्षेत्र में छलांग लगायी, पर उनके जीवन में काई भी व्यवसाय कभी स्थिर नहीं रहा। जीवन में कई उतार-चढ़ाव आये। लाख और खाक इन दोनों शब्दों का इन्होंने शब्दश: अनुभव किया, पर इस दौरान वह कभी निराश नहीं हुए। सदैव प्रयत्न करने के मूल मन्त्र को उन्होंने मन में स्थिर रखा। उन्होंने निर्माण कार्य से जुड़े जो कार्य किये, वे भी मुंबई से ही रिश्ता जा़ेडने वाले ही हैं। अंधेरी प्ाूर्व तथा पश्चिम को जा़ेडने वाले उड्डान प्ाुल रिंगासिया ने बनाया है। आजाद मैदान में मैं खेलते हैं, सभाएं लेते हैं, आते-जाते रहते हैं । इस मैदान के नीचे 40 मिलियन गैलन क्षमता वाली पानी की 18 मीटर ऊं ची टंकी है। इस टंकी का निर्माण रिंगासिया की संस्था ने किया है। विलेपार्ले का दीनानाथ मंगेशकर नाट्यगृह का निर्माण कार्य भी इसी संस्था की ओर से किया गया है। देवनार के कत्लखाना का निर्माण कार्य, मशीनरी तथा अन्य सभी सुविधाओं समेत प्ाूरा निर्माण कार्य इसी संस्था ने किया है। शताब्दी अस्पताल जैसे मुंबई महानगरपालिका से सम्बन्धित तथा मुंबई के लिए वर्तमान में महत्वप्ाूर्ण कहे जाने वाले कई निर्माण कार्य के.जी. रिंगासिया अपने भाई के सहयोग से कराये हैं।

आज भी 65 वर्ष की आयु में रिंगासिया शान्त नहीं बैठे हैं। हर पल कुछ न कुछ करते रहना इनकी आदत बन जाने के कारण अब गृह निर्माण कार्य व्यवसाय में रिंगासिया ने पदार्पण किया। आर. के. कंस्ट्रक्शन नाम से मुलुंड में एक भव्य एस.आर.ए. प्रोजेक्ट प्ाूरा किया है । पवई तथा मुलुंड में निवासी इमारतों का निर्माण कार्य जारी है। इसी के साथ भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर कोकण में निर्माण कार्य करना श्ाुरू किया है। इसके तहत बंगले,फ्लैट्स का निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है।

मानगांव में 25 एकड़ में 500 अत्याधुनिक बंगलों तथा मध्यवर्गीय लोगों के लिए फ्लैट्स का निर्माण कार्य किया जा रहा है । राजाप्ाुर हाइवे के पास एक निवासी संकुल का निर्माण कार्य भी जारी है।

वाई में मिनरल वॉटर तथा उसके लिए लगने वाली बोतलों का निर्माण करने वाला प्रकल्प संचालित किया जा रहा है। सोलर मेधा प्रोजेक्ट जर्मनी की कंपनी को साथ लेकर श्ाुरू करना है। इस प्रकल्प से 20 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। बेधड़क काम करने की प्रवृति आज भी उन्हें काम करने की प्रेरणा देती है। इस कारण पश्चिम बंगाल में शिवसागर स्टेट के गोराघाट क्षेत्र में उड्डान प्ाुल का काम भी आर. के. की ओर से किया गया है । इन कामों की विशेषता यह है कि ये नक्सली तथा उल्फा प्रभावित क्षेत्र बताया जाता है, इसलिए यहां कोई भी विकास कार्य करने का अर्थ है मृत्यु को आमन्त्रण देना। बावजूद इसके रिंगासिया ने इन क्षेत्रों में भी निर्माण कार्य सफलता प्ाूर्वक किया।

व्यवसाय करते समय एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाकर वहां की नवीनता को जानना रिंगासिया का स्वभाव रहा है, इस कारण कोकण के देवगढ़ के वाड़ापडेल गांव में 22 एकड़ जमीन लेकर वहां पर मत्स्य खेती नामक उपक्रम श्ाुरू किया है। तीन वर्ष प्ाूर्व शुरू किया गया यह प्रकल्प आज कोलंबी (छिंगा) उत्पादन प्रक्रिया के आदर्श प्रकल्प के रूप में गिना जाता है। अनेक लोग देवगढ़ में पर्यटन के साथ-साथ इस प्रकल्प को भी देखने के लिए आते हैं।

युवावस्था में मंचित कि ये गए नाटकों, साहित्य क्षेत्र में नाम रौशन किया जा सके, इसके लिए जी-जान लगाने वाला युवक के.जी. रिंगासिया उद्योग में रुचि रखने वाले परिवार के लोग इससे चिन्तित रहते थे, पर उसी रुचि के आधार पर अपने उद्योग में रिंगासिया ने नाम कमाया। आज भी किसी मुद्दे पर चर्चा करते समय मराठी साहित्य, पेशवाकालीन इतिहास की घटना को उसी तरह इस्वी ‡ सन् ज्ञात होने वाले तथा मैं पार्लावासी हूं, इसका अभिमान रखने वाले विरले ही हैं।
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