प्रेरणा स्त्रोत – इन्द्र कुमार पाटोदिया

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राजस्थान के झुंझुंनू जिले की वीर भूमि, धर्म भूमि, दान भूमि एवं विश्व प्रसिद्ध नवलगढ़ कस्बे के निवासी स्व. श्री जुगल किशोर जी तथा स्व. श्रीमती शान्ती देवी पाटोदिया के यहां 1951 में जन्मे श्री इन्द्र कुमार पाटोदिया ने मुंबई को अपनी कर्मभूमि बनाया।

सेवा से राजस्थान की माटी हुई गौरवांचित

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सच्चा समाजसेवी वही होता है, जिसे दूसरों की सेवा करने में आनन्द आता हैै। सेवाधाम आश्रम के प्रमुख सुधीर गोयल भी इसी श्रेणी के व्यक्ति हैं। गोयल ने सेवा शब्द को ही अपने जीवन का मुख्य आधार बना लिया है।

इण रो जश नर नारी गावे धरती धोरां री

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राजस्थान का नाम आते ही शौर्य और वीर रस का भाव हृदय में हिलोरे लेने लगता है। यहां की देशभक्ति और बलिदानी परम्परा से राजस्थान ही नहीं, देश के हर नागरिक का सिर गर्व से ऊंचा उठ जाता है।

विनय सीताराम महाजन

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हथकरघा उद्योग को जीवित रखने और इसके मजदूरों को उनका हक दिलाने के लिए इचलकरंजी के विनय सीताराम महाजन सर्वोपरि प्रयास कर रहे हैं।

राजस्थान में स्वामी विवेकानंद

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नरेन्द्र नाथ दत्त को विश्व विजयी स्वामी विवेकानंद बनाने में राजस्थान का बहुत बड़ा योगदान रहा है । सन 1890 में युवा संन्यासी नरेन्द्र ने विविदिषानंद के नाम से मेरठ से राजपूताना में प्रवेश किया था।

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी शंकरलाल केजरीवाल

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शंकरलाल केजरीवाल मुंबई के उद्योग, समाज सेवा और आध्यात्मिकता से जुड़ा सुपरिचित नाम है । उद्यमी केजरीवाल जी उद्योग के अनेक आयामों से ज़ुडे हैं, पर अपना कार्य समाज के वंचितों को सहारा देने में कितना योगदान देने वाला होता है,

सामाजिक व्यवस्था से बड़ा कोई नहीं

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अपने देश और समाज में दिल को दहला देने वाली अनेक प्रकार की घटनाएं होती रहती हैैं। कभी आतंकवादियों द्वारा बम विस्फोट तो कभी महिलाओं के साथ दुराचार की घटना पर समाज की तीव्र और असंतोषजनक प्रतिक्रिया होती है, किन्तु समाज की स्मरण शक्ति अत्यन्त क्षीण है।

राजनाथ का सारथ्य और मोदी का करिश्मा

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 इफेक्टिव लीडरशिप इज नॉट अबाउट मेकिंग स्पीचेज ऑर बीइंग लाइक्ड, लीडरशिप इज डिफाइंड बाय रिजल्ट्स नॉट एट्रिब्यूट्स‡ पीटर डकर

प्रवासी राजस्थानी समाज का हृदय स्थल- राज के. पुरोहित

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मुंबई का प्रवासी राजस्थानी समाज अपने कर्म योग से मुंबई के सेवा-उद्योग क्षेत्र पर हमेशा प्रकाशमान रहा है । प्रवासी राजस्थानी समाज ने मुंबई महानगर को आर्थिक राजधानी बनाने में अपना जो सहयोग दिया है, उसे पूरे राष्ट्र ने स्वीकार किया है ।

पधारो म्हारे देस…

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राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। इसकी विशालता कई मायनों में सामने आती है । इसके शौर्य का इतिहास विशाल है, इसके मरूस्थल का फैलाव विशाल है, यहां के महल और हवेलियां विशाल हैं और यहां के लोगों के दिल भी विशाल हैं।

राजस्थानी वीरों की उज्ज्वल परम्परा

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सम्राट पृथ्वीराज चौहान युगाब्द 4268 (ईस्वी 1166, वि. 1223) में केवल 11 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठे तथा 26 वर्ष की आयु में उन्होंने वीरगति प्राप्त की।

सेवाव्रती सत्यनारायण लोया

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राजस्थान के नागौर शहर में अप्रैल 1930 को मेरा जन्म हुआ। विद्यालयीन शिक्षा पूर्ण करने के बाद मुंबई में 1951 में बांगड‡सोमानी ग्रुप में साधारण लिपिक के रूप में नियुक्त हुआ।

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