PFI: छापेमारी में 73 खातों से मिले 120.50 करोड़ रुपये

देश की अलग अलग राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल पीएफआई को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने कमर कस ली है और पीएफआई के अलग अलग ठिकानों पर छापे मारी भी शुरु कर दी है। ईडी को इस बात का भी शक है कि PFI को गलत तरीके से फंडिक की जा रही है। ईडी ने लखनऊ, आगरा, बाराबंकी, शामली सहित कुल 26 स्थानों पर छापेमारी की है। ईडी को खबर मिली है कि पीएफआई को विदेशों से फंडिग की जा रही है जिसका इस्तेमाल गलत और राष्ट्रविरोधी कामों में किया जा रहा है। पीएफआई ने दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित कई राज्यों में छापेमीरी की है और यह सबूत इकट्ठा करने की कोशिश कर रही है कि किन देशों से पैसे की फंडिग की जा रही है।

प्रवर्तन निदेशालय ने उन लोगों के घर और ऑफिस पर छापेमारी की है जो पीएफआई से सीधे तौर पर जुड़े हुए है। पीएफआई के अध्यक्ष ओ एम अब्दुल सलाम से जुड़े कई ठिाकानों पर छापेमारी की गयी है। सूत्रों की मानें तो ईडी को कैश के साथ साथ कई अहम दस्तावेज भी हाथ लगे है जिससे पीएफआई के कई नयी और पुरानी योजनाओं के बारे में जानकारी मिली है। इस छापेमारी में कुल 73 खातों को सील किया गया है जिसमें 120.50 करोड़ की रकम जब्त गयी है। जांच एजेंसियों ने बताया कि पीएफआई को तीन विदेशी कंपनियों से 50 लाख रुपये का चंदा मिला है लेकिन चंदा देने वालों के खाते एफसीआरए से पंजीकृत नहीं है।

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में जितने भी विरोध प्रदर्शन हुए उसमें पीएफआई का सीधेतौर पर हस्तक्षेप रहा है। जांच एजेंसियों की मानें तो दिल्ली दंगे और शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन में भी पीएफआई की अहम भूमिका रही है और इन दंगों को भड़काने के लिए पीएफआई ने कई लोगों को काम पर भी लगाया था जिन्होने लोगों को इकट्ठा करने और भीड़ को घातक बनाने का काम किया था। सूत्रों के मुताबिक ईडी की तरफ से कहा गया है कि केरल सोना तस्करी, बेंगालूरु दंगा, उत्तर प्रदेश का हाथरस कांड सहित हवाला के जरिए पैसे के लेनदेन जैसे कई आरोपों में पीएफआई की भूमिका रही है जिसके बाद ईडी की तरफ से कार्रवाई की जा रही है।

जांच एजेंसी की तरफ से यह भी शक जताया गया है कि दिल्ली दंगे में आप पार्षद ताहिर हुसैन को पीएफआई की तरफ से फंडिग की गयी थी जिसके बाद दिल्ली में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया जिसमें कई लोगों की जान चली गयी। सन 2006 में केरल में गठित हुई पीएफआई की तरफ से इस छारेमारी को राजनीति से प्रेरित बताया गया है। पीएफआई की तरफ से बयान जारी कर कहा गया है कि यह बदले की भावना से किया गया कार्य है जबकि खुद पर लगे आरोपों पर कोई भी बयान नहीं दिया गया।

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