हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
निष्प्राण

निष्प्राण

by दिलीप ठाकुर
in अगस्त-२०१३, फिल्म
0

प्राण कभी भी खत्म न होने वाला विषय है । 12 जुलाई 2013 को प्राण का निधन हुआ। उनके अष्टपैलू व्यक्तित्व, व्यावसायिक निष्ठा और लोकप्रियता के कारण वे संसार के सिनेमा घर में सदैव विद्यमान रहेंगे ।

12 फरवरी 1920 को पुरानी दिल्ली में जन्म लेने वाले प्राण किशनचंद सिकंद की बहुरंगी‡बहुरूपी यात्रा किसी भी तराजू या थर्मा मीटर में नहीं मापी जा सकती। यही प्राण का सबसे बड़ा यश है।

1945 की पंजाबी फिल्म ‘यमला जाट’ के नायक से लेकर 2007 में आयी ‘दोष’ की चरित्र भूमिका तक प्राण की यात्रा बहुत लम्बी है। प्राण इन दो शब्दों का उच्चारण होते ही सामने आती है एक सुपर स्टार खलनायक की प्रतिमा। प्राण, खलनायक और कपट का मजबूत रिश्ता बन गया था। हालांकि मनोज कुमार निर्देशित ‘उपकार’से शुरू हुई चरित्र भूमिकाओं की यात्रा बहुत लम्बी और कई मोड़ लेने वाली है परन्तु प्राण अर्थात कुटिलता, यह समीकरण भूलता नहीं। उनकी कुछ उल्लेखनीय नकारात्मक भूमिकाओं में नवरंगी(खानदान), राका(जिस देश में गंगा बहती है), चंगेज खान (हलाकू), किलेदार करण सिंह (बिरादरी) छोटे चौधरी(हीर रांझा) इत्यादि हैं।

ऊंचा कद, भेदक दृष्टि, धारदार नाक, चेहरे के मगरूर भाव, अपने शिकार को पता भी न लगने वाली चीते जैसी चाल, लगभग प्रत्येक वाक्य मेंबहने वाला कड़वा अंगार इत्यादि ‘जालिम और खौफनाक’ विशेषताओं के साथ उन्होंने ऐसा खलनायक साकार किया कि उस ऊंचाई तक कोई भी नहीं पहुंच सका। उनके निधन के बाद भी ‘प्राण जैसा बुरा आदमी कोई नहीं’ जैसी प्रतिक्रियाआना भी उनके सशक्त अभिनय को मिलने वाली दाद ही है। उन्होंने इस शस्त्र में विविध प्रकार के गेटअप, हर बार एक विशिष्ट प्रकार की संवाद अदायगी इत्यादि का भरपूर उपयोग किया। फेमस पिक्चर्स की ‘बड़ी बहन’ से उनकी खलनायक भूमिकाओं को गति मिली। ‘बिराज बहू’ में उन्होंने ‘ये कौन है किशोरी लाल’ और ‘बहार’ में ‘ये बुलबुल कौन है’ कुछ इस तरह से पूछा कि सिनेमा घर में बैठे लोगों का मन कांप गया। ‘खानदान’ का नौरंगी लाल साकारते समय उन्होंने हिटलर जैसी मूंछें रखी थीं। ‘मर्यादा’ में तो वह बोलते-बोलते जलती हुई सिगरेट को जीभ से उलटी करके मुंह से अन्दर ले लेते थे। यह उनकी खास स्टाइल थी।

कब क्यों और कहां में उन्होेंने सिक्का हवा में उछालकर हथेली के पृष्ठ भाग पर उसे झेलने का खेल खेला। उन्होंने दिलीप कुमार के साथ आजाद, मधुमति, देवदास, दिल दिया दर्द लिया तथा राम और श्याम जैसी फिल्में कीं। देव आनंद के साथ उन्होंने जिद्दी, मुनीम जी, अमरदीप, जब प्यार किसी से होता है इत्यादी फिल्मों में काम किया। राज कपूर के साथ वे आह, चोरी‡चोरी, जागते रहो, छलिया जिस देश में गंगा बहती है और दिल ही तो है में नजर आये। आह में उनकी भूमिका सकारात्मक थी, परन्तु उस समय लोगों पर उनके खलनायक का इतना प्रभाव था कि लोगों ने उनकी इस भूमिका को नहीं स्वीकारा। रूप तेरा मस्ताना तक उनके ये काले कारनामे चलते रहे । उस समय उनके इस द्वेषपूर्ण व्यक्तित्व पर फिदा होने वाला भी अलग दर्शक वर्ग था। हालांकि कलाकारों के नाम पर अपने बच्चों के नाम रखने वालों ने कभी भी अपने बच्चों का नाम प्राण नहीं रखा। शायद उस समय के दर्शक ने सोचा होगा कि प्राण नाम रखने से हमारा बेटा भी कपटी और षडयंत्र रचने वाला बनेगा । एक बार प्राण अपने किसी मित्र के विवाह में पहुंचे। उन्हें वहां देखते ही विवाह में आयीं महिलाओं ने चिल्लाकर भागना शुरू कर दिया। उन्हें यह डर था कि बड़े परदे पर महिलाओं को बुरी नजर से देखने वाले इस आदमी की नजर कहीं हम पर भी न पड़ जाये। समाज में उनकी इस प्रकार की दहशत होना ही उनके अभिनय को मिलने वाला असली पुरस्कार था। सावन की घटा, दो बदन, गुमनाम और शहीद जैसी फिल्मों में काम करते समय मनोज कुमार के ध्यान में आया कि प्राण के अभिनय का और अधिक उपयोग किया जा सकता है । अत: उन्होंने स्वयं निर्देशित और अभिनीत फिल्म उपकार में प्राण को मंगल चाचा नामक एक विकलांग व्यक्ति की सकारात्मक भूमिका दी। किसी भी कलाकार की ‘इस्टेब्लिश इमेज’ को बदलना उस समय एक बड़ी चुनौती थी, परन्तु मनोज कुमार और प्राण दोनों सफल रहे। ‘ये पाजी नहीं, तुम्हारा अपना खून है, न जाने कितनी प्यासी आत्माओं ने कुंए में दम तोड़ा है…’ इस संवाद को मिली ‘कसमें वादे प्यार वफा सब बातें हैं बातों का क्या’ जैसे गाने की मदद से प्राण ने बाजी मार ली। यहीं से प्राण की यात्रा का नया अध्याय शुरू हुआ । राणा (विक्टोरिया नं. 203), प्यारे लाल (कसौटी), शेरखान (जंजीर), जेजे (डॉन) इत्यादि जैसी कई भूमिकाएं हिट रहीं विशेषतया शेरखान के संवादों को तो अत्यधिक लोकप्रियता मिली। उदाहरण के लिए- ‘‘…शेरखान ने शादी नहीं की तो क्या हुआ, बारातें बहुत देखी हैं ।’’ और ‘‘…इस इलाके में नये आए हो साब वरना… शेरखान को कौन नहीं जानता ।’’ आदि।

इस दूसरे दौर में प्राण के हिस्से में कुछ गीत भी आये। इन गीतों में भी प्राण ने बहुत सुन्दर अभिनय किया। उनके कुछ गीतों में दो बेचारे बिना सहारे (विक्टोरिया नं. 203), यारी है ईमान मेरा (जंजीर), मायकल दारू पी के दंगा करता है (मजबूर), हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है (कसौटी), राज की बात कह दूं तो (धमी) इत्यादि शुमार हैं।

इसी प्राण ने अपनी वैचारिक स्वतंत्रता के साथ एकनिष्ठ रहते हुए 1975 में लगायी गई इमर्जेंसी का विरोध किया था। इस वर्ष प्राण को हमारे देश का सर्वोच्च फिल्मी पुरस्कार दादा साहब फालके अवॉर्ड प्रदान किया गया । 93 वर्ष की आयु और स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण उन्हें उनके बान्द्रा स्थित निवास स्थान पर यह पुरस्कार दिया गया।

प्राण की असली इमेज भले ही बहुरंगी, खतरनाक की रही हो परन्तु प्रत्यक्ष रूप से उन्हें सद्व्यवहारी और सज्जन व्यक्ति

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: actorsbollywooddirectiondirectorsdramafilmfilmmakinghindi vivekhindi vivek magazinemusicphotoscreenwritingscriptvideo

दिलीप ठाकुर

Next Post
घटती आर्थिक वृद्धि दर

घटती आर्थिक वृद्धि दर

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0