हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
उपहार

उपहार

by सुजाता शिवेन
in कहानी, नवंबर -२०१३
0

ऑफिस जाते-जाते प्रकाश को कुछ याद आ गया। अपनी पत्नी से बोला, ‘हां सुनो। शाम को पंकज अपनी शादी का रिसेप्शन फाइव स्टार होटल में करेगा, तैयार रहना। ऑफिस से आकर हम ऑटो करके वहां पहुंच जाएंगे।’
‘आज ही जाना है? और तुम मुझे अभी बता रहे हो?’
‘अरे हां, उसने मुझे दस दिन पहले बता दिया था पर मैं तुम्हें बताना भूल गया।’
‘पर फाइव स्टार होटल जैसे? यानी वह इतना पैसा कमाता कहां से है?’

‘देखो कमाई के कई जरिए हैं अच्छे और बुरे। तुम क्यों सोच रही हो इस बारे में? मैं उससे पूछने तो नहीं जाऊंगा। तुम बस शाम की तैयारी में ध्यान दो’ कहकर प्रकाश चला गया।

हूं तुम्हें क्या है, ऑफिस से आकर चाहोगे तो कपड़े बदल लोगे, नहीं तो वही कपड़े पहनकर चले जाओगे। आदमियों को कोई कुछ नहीं पर औरतों को अगर अच्छी साड़ी न पहने, गहने न पहने तो चार बातें होंगी। मन ही मन बड़बड़ाते हुए मीना शाम की तैयारी की सोच में जुगाड़ के घोड़े दौड़ाने लगी। उसे याद आया उसके पास बहुत ही खूबसूरत एक सिल्क की साड़ी है। बहुत पुरानी भी नहीं है। वह झट से साड़ी निकाल लायी। थोड़ा सा प्रेस कराना पड़ेगा तो अभी प्रेस करने दे आएगी। गहनों का अपना छोटा सा बक्सा निकाला तो उसमें मोतियों का हार और कान की बुंदें नजर आ गयीं। नकली मोतियों की चूड़ियों का सेट भी था। ठीक है यही पहन लेगी। वहां कोई उससे पूछेगा तो नहीं कि बहन यह असली है या नकली? मोतियों वाली बिंदी भी उसने चुनकर अलग रख ली। हां, अब बारी है चप्पलों की, हां, थोड़ी सी पुरानी तो लग रही है पर अब सिर्फ इसी पार्टी के लिए नयी तो नहीं खरीदी जाएगी। यूं भी महीने का आखिरी हफ्ता चल रहा है इसलिए चप्पलों को थोड़ा सा घिसकर पोछते हुए उसे चमकाने की कोशिश की और सोचा चलो साड़ी से छुपाकर रखने की कोशिश करेगी। सब ठीक-ठाक हो गया तो उसका मन सन्तोष से भर गया, तभी उसके मन में उपहार के बारे में ख्याल आ गया। पार्टी में जाना है तो उपहार भी तो लेकर जाना है। अब, बस झट से उसका मन ब्ाुझ गया।

क्या दे! बस, सौ या पांच सौ की कोई गिफ्ट देंगे तो यह उन लोगों के काम तो नहीं आएगा, उनके पास तो हर चीज वह भी सब बहुत महंगे, ऐसे में उनका उपहार उन्हें सस्ता लग सकता है। शायद गिफ्ट रखने के बाद वे यहां वहां बेकार सा रख दिया जाएगा, या किसी और को दे दिया जाएगा। बहुत महंगे गिफ्ट देने की हैसियत नहीं तो फिर!!

काफी देर बैठकर वह सोचती रही। तभी उसे अचानक फूलों के गुलदस्ते का ख्याल आया, अरे हां, फूलों से बढ़कर और कोई गिफ्ट क्या हो सकता है भला। एक सुन्दर या अभिनन्दन का भी ले लेगी। उस पर लिखी हुई खूबसूरत इबारत निश्चय ही पाने वाले के मन को छू जाएगी। फूल के साथ कोमल भावनाओं से भरे शब्द!
और मीना खुशी-खुशी पार्टी में जाने के लिए तैयार होने लगी।
————-

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: arthindi vivekhindi vivek magazineinspirationlifelovemotivationquotesreadingstorywriting

सुजाता शिवेन

Next Post
उसकी आवाज

उसकी आवाज

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0