इतिहास की नई इबारत : शिवराज सिंह चौहान

देश की जनता का मन कांग्रेस के विरोध में है, यह चार राज्यों के परिणामों से साफ हो गया है। भाजपा ने मध्यप्रदेश में लगातार तीसरी बार सत्ता में आने का रिकार्ड बनाया है। मध्यप्रदेश की जनता ने अपना आशीर्वाद 165 सीटों के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया है। इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही शिवराज सिंह चौहान लगातार तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ ली। भाजपा ने पिछले चुनाव से 22 सीटें अधिक प्राप्त कर कांग्रेस को मात्र 58 सीटों पर ही समेट दिया। कांग्रेस की ओर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेन्द्र जोशी भी भाजपा की आंधी में हार गए। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ एवं राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह के प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी भाजपा उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कराई है, जो कांग्रेस को सीखने के लिये मजबूर करती है।

राजधानी की परंपरागत गोविंदपुरा विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर बाबूलाल गौर ने अनूठा रिकॉर्ड बनाया है। वे लगातार दसवीं बार विधानसभा चुनाव जीते हैं। मध्यप्रदेश में भाजपा की इस जीत का मुख्य कारण पिछले दस वर्षों में किये गये काम हैं, जिन्हें कांग्रेस पिछले पचास वर्षों में भी नहीं कर सकी। प्रदेश में हुए इन विकास कार्यों का जनता के दिमाग पर असर रहा। मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान की छवि को जनता ने पसंद किया। सहजता, विनम्रता और सेवक की तरह जनता को सुनना जैसे कारण से लोग उनके प्रति आकृष्ट हुए।

शिवराज सरकार ने शासन की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाया। अपने भाषणों में सरकारी योजनाओं को बोल-बोलकर जनता को याद कराया। योजनाएं कागजी नहीं रहीं, उन पर काम भी हुआ। लाडली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान, जननी सुरक्षा योजना, तीर्थ दर्शन योजनाओं ने जनता के मन में जगह बनाई।

भाजपा की जीत का एक कारण यह भी रहा कि संगठन एकजुट रहा। चुनावी तैयारी का सबसे बड़ा उदाहरण तो यह है कि विपक्ष को अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर जगह ही नहीं मिलने दी। ये जगह पहले ही आरक्षित कर ली गई थी। चुनाव प्रबंधन योग्य व अनुभवी व्यक्तियों को दिया गया। लगातार तीन चुनावों से भाजपा के चुनाव प्रबंधन की कमान संभाल रहे राज्यसभा के सांसद अनिल माधव दवे ने एक कुशल प्रबंधन, रणनीतिकार एवं विजयी योद्धा की तरह चुनाव प्रबंधन किया। भाजपा की जीत में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद भाजपा के पक्ष में लोगों का मन बना। नरेन्द्र मोदी के प्रदेश में आने से जनता पर अच्छा प्रभाव पड़ा। मोदी की जमीनी समझ और वंचित वर्ग के लोगों के प्रति दर्द को जनमानस ने हर सभा में करतल ध्वनि से सराहा।

मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत का एक और कारण कांग्रेस में नेतृत्व क्षमता का अभाव रहा। जनता को कोई ऐसा चेहरा नजर नहीं आ रहा था जिसे देखकर आम मतदाता अपना मत अंकित करने का मन बना पाये। कांग्रेसी नेता विरोधाभासी बयानों में ही अपना समय खराब करते रहे। केन्द्र सरकार में हुए शुरू से अंत तक के भ्रष्टाचारों ने कांग्रेस को प्रदेश में कमजोर किया। कांग्रेस सरकार के राज में आदिवासियों, अल्पसंख्यकों ने स्वयं को उपेक्षित महसूस किया। इसका सबसे बड़ा कारण है कि कांग्रेस मैदानी संघर्ष करते हुए विपक्ष में कभी दिखी ही नहीं। परिणाम यह हुआ कि जनतंत्र का यह मेला फिर से एक बार पाँच साल के लिये बंद हो गया।

 

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