हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
चुनावों में हास्य रस

चुनावों में हास्य रस

by pallavi anwekar
in जून -२०१४, राजनीति
0

वॉट्स एप पर घूमते इन संदेशों से लगभग सभी लोग परिचित होंगे। ये संदेश समझने और बनाने में इतने आसान थे कि जल्द ही हर किसी की जुबान पर च़ढ गए थे। इस बार के चुनावों में युवाओं को केंद्रित किया गया था और जाहिर सी बात है कि युवा ही सोशल मीडिया का अधिकतम उपयोग करते हैं, इसलिए चुनाव प्रचार करने के लिए भी इस बार सोशल मीडिया का अधिकतम उपयोग किया गया था।

वैसे तो लोकसभा चुनाव पूरे देश के लिए अत्यंत गंभीर विषय था, परंतु इंसान का दिल गंभीरता में भी कहीं न कहीं हास्य के क्षण ढूं़ढ ही लेता है। सोशल मीडिया के माध्यम से इस बार लोगों के हाथ मानों जादुई चिराग लग गया था, जिसका जब जैसा मन करता वह कुछ हास्यपूर्ण पंक्तियां लिखता और उसे फेसबुक, वॉट्स एप, ट्विटर या अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर डाल देता। कुछ ही समय में यह पूरे देश में फैल जाता था। अगर यह कहा जाए कि चुनाव प्रचार करने में और नरेंद्र मोदी को सही मायने में घर-घर पहुंचाने में सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

हर मां को कभी न कभी ऐसा लगता है कि मेरा बच्चा कभी ब़डा न हो, हमेशा बच्चा ही रहे। अपनी तोतली जुबान और असंबद्ध वाक्यों से वह लोगों को हंसाए। उसकी बाल सुलभ लीलाओं से सभी का मनोरंजन होता रहे। मां-मां करते हुए वह उसके आसपास मंडराता रहे। बच्चे के गालों पर प़डने वाले गड्ढों को देखकर मां खुद को धन्य माने। यह सौभाग्य हर मां को नहीं मिलता, परंतु सोनिया गांधी इस मामले में सौभाग्यशाली हैं।

ये और इस तरह के कई अन्य व्यंग्य तीर आए दिन विभिन्न नेताओं पर दागे गए और जिस धनुष से ये तीर निकल रहे थे, वह धनुष था सोशल मीडिया। नेताओं द्वारा रैलियों में दिए गए भाषणों से ही कुछ मुद्दे उठाकर उन्हें व्यंग्यात्मक स्वरूप दे दिया जाता था। सोशल माध्यम की तीव्रता ही इसका सबसे सकारात्मक पहलू रहा।

राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार ने नवी मुंबई में एक रैली में इस आशय से भाषण दिया था कि लोग अपने गांव में मतदान करें। मतदान करने के बाद लगाई जाने वाली स्याही को पोंछ दें और मुंबई में आकर फिर मतदान करें। हालांकि उन्होंने अपने इस वक्तव्य को मजाक कहा था, लेकिन इसके बाद नेल पॉलिश रिमूवर की तर्ज पर शरद वोट स्पॉट रिमूवर के कई फोटो सोशल मीडिया में घूमने लगे थे।

1) मां ने डाला आम का अचार, अब की बार मोदी सरकार।
2) केजरीवाल खांसे बार-बार, अब की बार मोदी सरकार। 3) जो बीवी से करे प्यार, वो प्रेस्टीज से कैसे करे इंकार, पर अब की बार मोदी सरकार। 4) पापा ने खरीदी नई कार, अब की बार मोदी सरकार। 5) दिग्गी पर च़ढा प्यार का बुखार, अब की बार मोदी सरकार।

राष्ट्रवादी कांग्रेस की महिला नीति का बखान करने वाला विज्ञापन जब टीवी पर आया, उसके तुरंत बाद ही सोशल मीडिया ने उसकी धज्जियां उ़डानी शुरू कर दी थीं। विज्ञापन में दिखाया गया है कि एक गरीब महिला अपनी गोद में छोटी बच्ची लिए कह रही है कि मैं अपनी बच्ची को सम्मान से जन्म दे पाई। यह संभव हो सका सिर्फ और सिर्फ पवार साहब की महिला नीति के कारण। सोशल मीडिया पर तुरंत पूछा गया कि महिला ने बच्ची को जन्म दिया, इसमें पवार साहब का क्या योगदान है? इतना ही क्या कम था कि एक और संदेश बाजार में आ गया। एक मुर्गी कहती है आज मैंने 7-8 अंडे दिए। यह संभव हो सका सिर्फ और सिर्फ मेरे मुर्गे के कारण। हर काम में पवार साहब योगदान करेंगे तो घोटाले कौन करेगा?

मोदी लहर से स्वयं को उबारने की कोशिश करने वाले उनके विरोधियों को तब एक नया मुद्दा मिल गया था जब नरेंद्र मोदी ने अपने नामांकन पत्र में अपनी पत्नी का उल्लेख किया था। दिग्विजय जैसे कुछ नेताओं की परेशानी को सोशल मीडिया ने समझा और कहा कि मोदी के विवाहित होने की खबर से कुछ कांग्रेसी ऐसे विचलित हो गए हैं जैसे मोदी प्रधानमंत्री के नहीं, उनके जीजा पद के उम्मीदवार हैं और अचानक उन्हें अपनी बहन की गृहस्थी बनने से पहले उज़डती नजर आ रही है।

इस चुनाव में हालांकि मोदी और केजरीवाल कभी आमने-सामने नहीं आए, परंतु सोशल मीडिया ने यह कमी पूरी कर दी। जब मोदी केजरीवाल के सामने आए तो उन्होंने जोर से कहा, ‘अब की बार बीजेपी की सरकार।’ केजरीवाल को गुस्सा आया और वे जोर से चिल्लाए ‘अब की बार तो आप की ही सरकार।’ मोदी मुस्कुराते हुए आगे ब़ढ गए, केजरीवाल हतप्रभ रह गए।

राहुल गांधी और कांग्रेस इस बार सभी के निशाने पर रहे। उनके हर दिन के क्रिया-कलापों पर सभी की पैनी नजर रही। भाजपा और अन्य पार्टियां जब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के चयन में तथा लोकसभा चुनावों की रणनीति बनाने में मशगूल थीं, तब तक कांग्रेस की ओर से और खासकर राहुल गांधी की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा था। लोगों को यह पसंद नहीं आया और यह जुमला छे़ड दिया गया कि देश अगला प्रधानमंत्री ढूं़ढ रहा है, सारी पार्टियां जो़ड-तो़ड में लगी हैं और इन सबसे बेखबर पप्पू छोटा भीम देख रहा है।

चुनावों के दौरान राहुल गांधी का जाने कितनी बार नामकरण हुआ होगा। कभी ‘पप्पू’ कभी ‘बच्चा’ तो कभी ‘शहजादा’ कहा गया। अपने और अपनी सरकार के द्वारा किए गए कार्यों को बताने की जगह राहुल गांधी अपनी दादी और अपने पिता के नाम पर वोट मांगते नजर आए। इन सबका भी जब कोई असर होता नहीं दिखाई दिया तो उनकी बहन प्रियंका को मैदान में उतरना प़डा। प्रियंका की एंट्री होते ही लोग कहने लगे यह सारा माजरा कुछ इस तरह है कि जैसे राहुल गांधी कह रहे हों कि मैं अच्छा बल्लेबाज नहीं हूं। मेरी बहन अच्छी चियर लीडर है, इसलिए मुझे टीम का कप्तान बना दिया जाए।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चैनलों पर भी चुनावों से सम्बंधित 4-5 मिनट की अवधि के कुछ हास्यपूर्ण किस्से दिखाई दिए। कभी मोदी को अरे दीवानों मुझे पहचानों गीत की धुन पर राजनाथ सिंह, आडवाणी और अपनी पार्टी के कुछ अन्य नेताओं के साथ डॉन के रूप में नाचते- थिरकते देखा गया तो कभी राहुल, सोनिया, प्रियंका और मनमोहन सिंह ‘एक दूसरे से करते हैं प्यार हम…’ गीत की धुन पर एक-दूसरे का प्रचार करते नजर आए।

सोशल मीडिया के कुछ विचारों ने तो इस चुनाव को कुंभ का मेला बना दिया था, क्योंकि यहां एन.डी. तिवारी को बेटा मिल गया था, मोदी को पत्नी मिल गई थी और दिग्विजय सिंह को बेटी जैसी पत्नी मिल गई थी।

चुनावों के आखरी दौर में शायद सभी अब की बार मोदी सरकार सुनकर, प़ढकर उकता गए थे। अत: कुछ नई पंक्तियां मीडिया मंडी में आईं जैसे 1) सुरक्षित काले मेरे बाल, पागल हो गया केजरीवाल 2) च्यवनप्राश हो सोना चांदी, नहीं जीतेगा राहुल गांधी। 3) अब तो कांग्रेस के भी अच्छे दिन आने वाले हैं, दिग्विजय सिंह भाभी लाने वाले हैं।

चाहे जो हो मजाकिया तौर पर ही सही, लेकिन सोशल मीडिया के कारण इस चुनाव ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। खास तौर से उस युवा वर्ग का जो राजनीति या चुनावों के प्रति उदासीन माना जाता था। इसी का परिणाम यह रहा कि मतदान में युवाओं की भागीदारी ब़ढी। कांग्रेसमुक्त सरकार ने नई पारी की शुरुवात की है। सोशल मीडिया का दायित्व और ब़ढ गया है।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazinepolitics as usualpolitics dailypolitics lifepolitics nationpolitics newspolitics nowpolitics today

pallavi anwekar

Next Post
तुझ पे दिल कुर्बान…

तुझ पे दिल कुर्बान...

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0