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चलने की आदत बनाए सेहतमंद

चलने की आदत बनाए सेहतमंद

by डॉ. के . एन . पाण्डे
in फरवरी-२०२१, सामाजिक, स्वास्थ्य
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एक भ्रांति यह भी है कि व्यायाम करने से थकान हो जाती है। वास्तव में 6 सप्ताह तक प्रतिदिन 25 मिनट व्यायाम करने से थकान की समस्या कम हो जाती है। शरीर की फिटनेस बढ़ जाती है, वैवाहिक संबंधों में मधुरता आती है तथा अवसाद की स्थिति में गिरावट आती है।

चलने के विषय में तरह-तरह की कहावतें प्रचलित है, जैसे कि चलना ही जिंदगी है, चलने का नाम जिंदगी, जितना चलोगे उतना चलोगे, जीवन चलने का नाम, आदि। एक जमाना था जब लोग हाट बाजार, रिश्तेदारों के यहां जाने, मेला देखने, कार्यालय अथवा विद्यालय जाने जैसे उद्देश्यों से पांच – दस किलोमीटर पैदल ही चले जाया करते थे। आज भौतिक सुख सुविधाओं ने हमारा चलना लगभग बंद कर दिया है। छोटी-छोटी दूरियां तय करने के लिए साइकिल, बाइक, यहां तक की कार का सहारा लिया जाता है। महानगरों में अक्सर देखा गया है कि लोग अपने पालतू कुत्तों को सुबह शाम दैनिक निवृत्ति के लिए भी मोटर कार या अन्य वाहनों का सहारा लेते हैं। तीन से चार मंजिल वाले भवनों में आने जाने के लिए सीढ़ियों की बजाय लिफ्ट का उपयोग करना आम हो गया है। इन सुविधाओं ने हमारे दैनिक कार्यों को सुलभ तो बनाया है परंतु इसके साथ साथ हमारे स्वास्थ्य को भी बहुत प्रभावित किया है। अब तो शहरों में ही नहीं गांव में भी डायबिटीज यानी मधुमेह, मोटापा, पाचन संबंधी समस्याएं, कब्ज, अनिद्रा, थायराइड हार्मोन का असंतुलन, तनाव, हाई ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं आम हो गई हैं। पहले ये सभी स्वास्थ्य समस्याएं बड़ी उम्र के लोगों में देखी जाती थी, परंतु आराम तलबी और कार्य संबंधी तनाव के कारण आज की युवा पीढ़ी भी इन समस्याओं से जूझ रही है। वैसे तो हिना स्वास्थ्य समस्याओं के पीछे और भी कई कारण होते हैं परंतु हमारा नहीं चलना भी एक प्रमुख कारण होता है।

इस आलेख में चलने के शरीर क्रियाविज्ञान यानि चलने के वैज्ञानिक पहलुओं पर जानकारी देने का प्रयास किया गया है।

चलना एक प्राकृतिक स्वास्थ्य बीमा

यदि हम अपने दैनिक कार्यों में चलने को शामिल करते हैं तो हमारा हृदय बेहतर तरीके से कार्य करता है। दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम हो जाता है। शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त वाहिकाओं के साथ-साथ सूक्ष्म रक्त नलिकाओं जिन्हें हम कैपिलरीज़ कहते हैं, के माध्यम से रक्त का संचरण बेहतर होता है। इससे अल्जाइमर रोग का खतरा कम हो जाता है, जीवन अवधि बढ़ जाती है और एक स्वस्थ जीवन यापन होता है। चलने के दौरान आए पसीने के माध्यम से शरीर के टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं। पैदल चलना हमारे रक्तचाप को नियंत्रण में रखता है। रात में बहुत अच्छी नींद आती है। नियामित पैदल चलना बड़ी आंत और स्तन कैंसर को रोकता है, हमारी हड्डियां मजबूत होती है, थकान कम होती है, इनके अलावा शारीरिक और मानसिक गतिविधियां बेहतर तरीके से संपन्न होती हैं। नियमित रूप से पैदल चलने के परिणामस्वरूप शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है, वही खराब कोलेस्ट्रॉल कम होता है। रक्त शर्करा यानी रक्त में ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित रहता है। शरीर का वजन भी नियंत्रित रहता है। मानसिक अवसाद यानी डिप्रेशन चिंता और तनाव जैसी घातक स्थितियां नियंत्रित रहती है। हमारी मांस पेशियों की तानता बेहतर होती है। हमारे जोड़ लचीले रहते हैं। आत्मविश्वास बढ़ता है, शरीर की इम्यूनिटी यानी प्रतिरक्षा शक्ति में सुधार आता है। पैदल चलना सभी आयु के लोगों और पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। हम पैदल चलते हैं तो नए-नए लोगों के संपर्क में भी आते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि नियमित रूप से पैदल चलना एक प्राकृतिक स्वास्थ्य बीमा से कम नहीं है।

पैदल चलने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातें

कोई भी व्यक्ति किसी भी आयु में नियमित रूप से पैदल चलना आरंभ कर सकता है। चलने की शुरुआत करने से पहले 10 मिनट तक हल्का व्यायाम किया जाना चाहिए। ध्यान रहे यदि आस-पास का परिवेश बहुत ठंडा हो या बहुत गर्म हो तो उन स्थितियों में पैदल चलने से बचना चाहिए। इन स्थितियों में चलने से पहले उपयुक्त कपड़े पहन कर शरीर को सुरक्षित रखना जरूरी होता है। पैदल चलने का क्षेत्र निर्मल, हरा-भरा और प्रदूषण रहित होना चाहिए। आसपास तालाब, नदी, झरना, या समुद्र का किनारा हो तो बेहतर होता है। पैंतालिस वर्ष से अधिक आयु के लोगों को नियमित रूप से पैदल चलने की शुरुआत करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए खासकर ऐसे लोगों को जो मधुमेह से पीड़ित हों। पैदल चलने के दौरान शरीर में ग्लूकोस की कमी होने जैसी स्थिति पैदा होती है, जो एक गंभीर समस्या बन जाती है, अतः, ऐसे व्यक्तियों को साथ में 200 मिलीलीटर पानी, दो बिस्किट और 10 ग्राम ग्लूकोज़ अपनी जेब में रख के ही बाहर निकलना चाहिए। दमा की शिकायत वाले व्यक्तियों को पैदल सैर पर जाने पर साथ में इनहेलर्स रखना बहुत जरूरी होता है। इनके अलावा पैदल सैर पर जाने वाले व्यक्ति को आराम देह जूत और कॉटन के कपड़े पहनने चाहिए।

ट्रेडमिल पर चलना

कई बार घर के बाहर पैदल चलने के लिए मौसम अनुकूल नहीं होता। अत्यधिक सर्दी, गर्मी अथवा बरसात के मौसम में घर के अंदर ट्रेडमिल पर चलना एक अच्छा विकल्प होता है। ट्रेडमिल पर चलने से पहले उसे कैसे ऑपरेट करना है इसकी जानकारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। यह भी जानना चाहिए कि इसे कैसे बंद किया जाए या इसकी गति को कैसे बदला जाए।

कैसे करें पैदल सैर

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मन मस्तिष्क में स्वस्थ रहने के लिए पैदल चलने की तीव्र इच्छा होनी चाहिए। पहले 3 से 5 मिनट तक धीमे चलना चाहिए। उसके बाद चलने की गति बढ़ाएं और 12 से 15 मिनट तक उसी गति में चलें। फिर 3 से 5 मिनट चलने की गति कम करें, और उसके बाद रुक जाएं। शुरुआत के 4 से 5 दिनों तक आप की पेशियों में दर्द हो सकता है लेकिन बाद में वह दूर हो जाएगा। पहले दिन सिर्फ 5 मिनट चलें उसके बाद प्रत्येक तीसरे दिन 3-3 मिनट अधिक चलें, चलने की अवधि तब तक बढ़ाएं जब तक कि आप प्रत्येक दिन 30 मिनट न चलने लगें। यदि किसी प्रकार की असुविधा हो तो पैदल चलना बंद कर दें, आराम से बैठें और दो घूंट पानी पिएं। बेहतर होगा पैदल चलने के समय आपके साथ कोई हो, लेकिन तेज गति से चलने के दौरान बातें नहीं करें, बल्कि प्रकृति के सानिध्य का आनंद लें। चलने की जगह समतल होनी चाहिए, परंतु मोटापा सहित व्यक्तियों को बालू युक्त मैदान में चलना फायदेमंद होगा।

संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित दि सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रीवेंशन यानि सीडीसी की सिफारिश है कि सप्ताह में 150 मिनट या इससे अधिक औसत गति के साथ चलने अथवा 75 मिनट तेजी से चलने पर हमारा संपूर्ण स्वास्थ्य अच्छा रहता है और रोग के खतरे में भी कमी आ जाती है। इस दिशानिर्देश के आधार पर आप सप्ताह में 5 बार 30 मिनट पैदल चलने का कार्यक्रम बना सकते हैं।

क्या सावधानियां बरतें

हृदय गति दर की ऊपरी सीमा: 220 अंक में आपकी आयु घटाने पर प्राप्त अंक आपके हृदय गति की ऊपरी सीमा होगा। उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति की आयु 60 वर्ष है, तो 220 में 60 घटाने पर प्राप्त 160 अंक व्यक्ति के हृदय गति दर की ऊपरी सीमा होगा। यदि आपके हृदय गति की ऊपरी सीमा 50 से 70% तक पहुंचती है तो भी डरने की आवश्यकता नहीं। मधुमेह ग्रस्त या मोटापा ग्रस्त कोई व्यक्ति यदि प्रतिदिन 40 से 45 मिनट थोड़ी तेजी से चले तो 3 से 4 महीने के भीतर बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

चलने के दौरान क्या होता है?

1 से 5 मिनट: जब आप तेज कदमों से चलते हैं तो कोशिकाओं में उर्जा उत्पन्न करने वाले तंत्रिका रसायन तैयार होते हैं, जो शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं। हृदय की गति 70 से 100 बीट (स्पंदन)के बीच हो सकती है। इस स्थिति में चलने के लिए पेशियां तैयार रहेंगी जोड़ों में सायनोवियल फ्लुएड नामक एक चिपचिपी सामग्री का स्राव होता है जो हमारे जोड़ों को लचीला बनाते हैं। जब हम आराम करते हैं तो प्रति मिनट एक कैलोरी ऊर्जा इस्तेमाल होती है, इस स्थिति में प्रति मिनट 5 कैलोरी इस्तेमाल होगी। शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा वसा से प्राप्त होती है।

6-10 मिनट : इस अवधि में हृदय की गति 100 से 140 के बीच होगी, इस अवस्था में 6 कैलोरी प्रति मिनट इस्तेमाल होती है। रक्त वाहिकाएं शिथिल होती हैं और उनमें ल्यूमेन बढ़ जाता है, सभी कोशिकाओं में रक्त का संचरण बेहतर होता है, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है और रक्त संचरण बढ़ने के साथ सभी कोशिकाओं को पोषक तत्व बेहतर तरीके से मिलते हैं।
11-20 मिनट : इस अवधि में थकान के कारण तापमान बढ़ जाता है, पसीना के साथ टॉक्सिंस अच्छी तरह से बाहर निकल जाते हैं। आपकी स्वास प्रक्रिया तेज हो जाती है। यदि आप 3 से 4 महीने तक प्रतिदिन 20 मिनट पैदल चलना जारी रखते हैं तो आपके फेफड़ों की क्षमता बढ़ जाती है। मांस पेशियों को मजबूत बनाने के लिए एपीनेफ्रीन और ग्लुकागोन जैसे हार्मोन उत्पन्न होते हैं।

20-25 मिनट : इस अवस्था में आप अपने को फुर्तीला महसूस करते हैं। यदि कोई व्यक्ति 6 सप्ताह तक प्रतिदिन 25 मिनट पैदल चलता है और यह प्रक्रिया जीवन पर्यंत जारी रखता है तो मस्तिष्क में एंडोर्फिन नामक हार्मोन उत्पन्न होता है जिससे अवसाद, चिंता और तनाव की स्थितियां कम होती हैं। जैसे-जैसे शरीर में कैलोरी जलती है, वैसे वैसे इंसुलिन हार्मोन की प्रभावकारिता बढ़ जाती है। यदि आप 25 से 30 मिनट तक चलने के बाद रुक जाते हैं तो अगले 1 घंटे तक आपके शरीर की कैलोरी जल जाती है। यह स्थिति मधुमेह, हाइपर थायराइड और मोटापा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए वरदान होती है

चलने के संबंध में भ्रांतियां

लोगों मानना है कि आयु बढ़ने के साथ व्यायाम करने की जरूरत नहीं पड़ती। यह सबसे बड़ी भ्रांति है। वास्तव में वृद्ध लोगों की शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं जिसके कारण उन्हें नियमित रूप से व्यायाम करने की जरूरत होती है । प्रतिदिन चलने के साथ उनकी मांसपेशियों और जोड़ों में लचीलापन बना रहता है, आर्थराइटिस यानी संधिशोथ की विकास प्रक्रिया धीमी हो जाती है। परंतु उन लोगों को कड़े व्यायाम नहीं करने चाहिए।

एक भ्रांति यह भी है कि व्यायाम करने से थकान हो जाती है। वास्तव में 6 सप्ताह तक प्रतिदिन 25 मिनट व्यायाम करने से थकान की समस्या कम हो जाती है। शरीर की फिटनेस बढ़ जाती है, वैवाहिक संबंधों में मधुरता आती है तथा अवसाद की स्थिति में गिरावट आती है। लोगों का यह भी मानना है कि व्यायाम करना समय का दुरुपयोग होता है। लेकिन ऐसा नहीं होता है। वास्तव में अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के साथ साथ अस्पताल में भर्ती होकर महंगा इलाज कराने तथा अपने घर एवं परिवार से दूर रहने से बचने के लिए यह एक वास्तविक निवेश होता है। पैदल शेयर करने के लिए सुबह का समय शाम की अपेक्षा बेहतर होता है। क्योंकि प्रातः काल में परिवेश में प्रदूषण का स्तर कम होता है और हमारा शरीर 6 से 8 घंटे तक बिस्तर पर निष्क्रिय रहता है। वैसे स्वस्थ रहने के लिए हमें नियमित रूप से पैदल चलना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए, परंतु सप्ताह में 6 दिन 25 मिनट दैनिक पैदल सैर करना भी स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। मधुमेह मोटापा और आर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्तियों को सप्ताह में 6 दिन 30 से 40 मिनट पैदल चलना उन्हें स्वस्थ बनाए रखने के लिए बेहतर होता है।

चलने से संबंधित सावधानियां

भोजन ग्रहण करने के तुरंत बाद पैदल सैर नहीं करना चाहिए। अच्छे परिणाम के लिए प्रतिदिन एक निर्धारित समय पर नियमित रूप से पैदल चलना चाहिए। मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों को अपने आहार पर नियंत्रण के साथ प्रतिदिन 40 मिनट पैदल सैर करना आवश्यक होता है। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से प्रतिदिन 30 मिनट पैदल चलता है तो वह स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। पहले कम दूरी तक चलने की शुरुआत करें और फिर प्रत्येक तीसरे दिन 300 मीटर की दूरी बढ़ाएं। इससे शरीर के सभी अंगों के कार्य में सुधार आता है। नियमित रूप से पैदल चलने के परिणाम स्वरूप मधुमेह इस सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है।

इन स्थितियों में पैदल चलने से बचें

यदि किसी व्यक्ति के सीने में दर्द होने की शिकायत हो, सांस लेने में तकलीफ हो, अधिक पसीना आता हो, थकान हो जाती हो, शारीरिक संतुलन बाधित हो, तो इन स्थितियों में पैदल सैर करने की सलाह नहीं दी जाती। एक सुशिक्षित चिकित्सक की सलाह प्लीज आनी चाहिए। विश्व के अनेक भागों में पैदल सैर करने वाले लोगों के हजारों वर्गों पर संपन्न अध्ययनों से समाज में रोगभार को कम करने में बहुत अनुकूल परिणाम मिले हैं। आइए हम पैदल चलें और विश्व से मधुमेह नामक घातक बीमारी को दूर भगाएं।

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