कुरुक्षेत्र| श्रीमद्भगवद्गीता हमारे राष्ट्र का ही नहीं, अपितु पूरी दुनिया में पढ़े जानेवाला लोकप्रिय ग्रंथ है| जब-जब मानस पटल पर कुरुक्षेत्र का नाम आता है तो गीता में दिए गए निष्काम कर्म के संदेश से मनुष्य प्रेरित हो जाता है| हर वर्ष कुरूक्षेत्र की पावन धरा पर गीता जयंती महोत्सव मनाया जाता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह धूम हरियाणा के कुरूक्षेत्र में नहीं बल्कि दूर-दूर तक सारे विश्व में है| गीता की जन्मस्थली कुरूक्षेत्र के साथ साथ यह महोत्सव हरियाणा के हर गांव, नगर एवं जिले में उत्सव स्वरूप बन गया है| इस बार का महोत्सव खास पहचान बनाने में काफी आगे रहा| इस महोत्सव का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया| राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन का यह पहला मौका था| इससे पहले यह आयोजन औपचारिकताओं में रहता था लेकिन इस बार इस आयोजन का स्वरूप वास्तव में ही अंतरराष्ट्रीय दिखा| इसमें प्रांत के विभिन्न जिला क्षेत्रों से आए १८००० स्कूली विद्यार्थियों ने एकसाथ वैश्विक गीता पाठ का उच्चारण किया जो अपने आप में विश्व रिकार्ड है|
मल्टीमीडिया लेजर शो
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने ब्रह्म सरोवर स्थित मल्टीमीडिया लेजर शो का शुभारंभ किया और पवित्र सरोवर पर सायंकालीन आरती का यजमान बनने का गौरव प्राप्त किया| इस उत्सव की सांस्कृतिक सुरमयी संध्या का भी उद्घाटन भागवतजी ने किया| भारत की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री व भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा से सांसद हेमा मालिनी ने राधा रासबिहारी नृत्य की प्रस्तुति देकर इस महोत्सव को सांस्कृतिक पहचान दिलाई| दुल्हन की तरह सजी धर्मनगरी जैसे पलकें बिछाए आगंतुकों के इंतजार में तैयार दिखी| नगर के हर रास्ते पर बड़े-बड़े तरणोद्वार लगाए गए| हर गीता प्रेमी के लिए शासन-प्रशासन की ओर से सारे पुख्ता प्रबंध किए गए जो इसकी सफलता को बार-बार बयान करते हैं| सरोवर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्राफ्ट और सरस मेले ने तो मानो पूरी दुनिया को अपने में समाहित कर लिया हो| ऐसा भव्य नजारा जैसा वृंदावन में देखने को मिलता है इस प्रकार का दृश्य लिए कुरूक्षेत्र की पावन धरा आगंतुकों के स्वागत में सहर्ष तैयार दिखी| नगर में जगह-जगह भव्य स्वागत द्वार लगाए गए और विशाल शोभा यात्राएं निकाली गईं|
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी
गीता को आध्यात्मिक पुट देने के लिए देश व विदेशों से पधारे महामण्डलेश्वर संत समाज ने इस महोत्सव की गरिमा को गीतामय बना दिया| गीता मनीषियों ने अपने विचारों से विश्व को शांति का संदेश दिया| इस अंतरराष्ट्रीय महोत्सव पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने श्रीमद्भगवद्गीता पर मंथन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें जापान, अमेरिका, नेपाल, किर्गिजिस्तान, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, मॉरीशस, थाईलैंड आदि देशों के प्रकाण्ड विद्वानों और भिन्न-भिन्न विश्वविद्यालयों से जुड़े हुए शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये| इस महोत्सव को अंतरााष्ट्रीय स्वरूप देने में हरियाणा सरकार और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने अपनी पूरी ताकत कि हरियाणा का कुरुक्षेत्र गीता की जन्मस्थली है| इससे पूर्व भी समय-समय पर ऐसे उत्सवों का आयोजन होता आया है लेकिन वर्तमान सरकार तो इसको वास्तव में अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का दर्जा दिलाने में कामयाब रही है| इस महोत्सव की खास बात यह रही कि अभी हाल में ही विश्व सुंदरी चुनी गई मानुषी छिल्लर भी इसकी साक्षी बनी| देश की इस बेटी ने अपने इस कर्म को गीता के साथ जोड़ा|
‘भगवद्गीता सबके लिए’ का विमोचन
गौरतलब है कि इस महोत्सव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गीता के ४० सूत्रों पर लिखी विनय पत्राले की पुस्तक ‘भगवद्गीता सबके लिए’ का विमोचन किया| इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल….., हरियाणा के शिक्षामंत्री, पर्यटन मंत्री, सांस्कृतिक मंत्री, पुस्तक के लेखक विनय पत्राले तथा हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर उपस्थित थे| इस महोत्सव में भागीदार देश मॉरीशस रहा, जबकि उत्तर प्रदेश को भागीदार सहभागी राज्य बनने का गौरव प्राप्त हुआ| देश व विदेश से हर रोज लाखों की संख्या में पधारे पर्यटकों ने जहां इस महोत्सव में चार चांद लगाए, वहीं इनसे इसका अंतरराष्ट्रीय स्वरूप भी नजर आया| इसके अलावा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के रंगकर्मियों ने प्रस्तुत कार्यकमों के माध्यम से इस महोत्सव को नए आयाम प्रदान किए|
वसुधैव कुटुम्बकम्
इस महोत्सव की खास विशेषता यह रही कि देश के हर धर्म के लोगों व संस्थाओं ने इसके आयोजन में अपना अतुलनीय सहयोग प्रदान किया| विशेष रूप से इसके हर कार्यक्रम में गीता का संदेश दिया व सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से जन-जन को अपने साथ जोड़ा और गीता में बताए संदेश से विश्व शांति का आगाज किया| इस महोत्सव से पूरा हरियाणा ही नहीं अपितु समस्त भारत और यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पूरा विश्व गौरवान्वित हुआ है| यह महोत्सव वास्तव में ही विश्व मानचित्र पर अपना स्थान बनाने में कामयाब रहा|