इज़राईल का ‘बेमेल-गठबंधन’ नेतन्याहू को हटाने में सफ़ल

गठबंधन बनाने में सफलता प्राप्त करने वाले नेफ़्टाली बेनेट ने चुनाव-प्रचार के दौरान कहा था कि हम वामपंथियों, मध्यमार्गी पार्टियों और अरब पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। अब उन्हीं दलों के साथ उन्होंने गठबंधन किया है। इसी को लेकर नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि यह इलेक्शन फ्रॉड है।

अंततः रविवार, 13 जून को इज़राईली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अपना पद छोड़ना पड़ा। उनके स्थान पर आठ पार्टियों के गठबंधन के नेता नेफ़्टाली बेनेट ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है, पर लगता नहीं कि यह सरकार भी लम्बी चलेगी। इस अनुमान के पीछे कुछ बड़े कारण हैं। एक तो इस सरकार के पास बहुमत नाममात्र का है। रविवार को हुए मतदान में 120 सदस्यों के सदन में सरकार बेनेट को 60 और नेतन्याहू को 59 वोट मिले। एक सदस्य ने मतदान में भाग नहीं लिया। दूसरे, इस गठबंधन में वैचारिक एकता का भारी अभाव है। इसमें धुर दक्षिणपंथी, मध्यमार्गी और वामपंथियों के अलावा इज़राईल के इतिहास में पहली बार एक इस्लामिक अरब पार्टी के सांसद सरकार में शामिल होने जा रहे हैं।

नई सरकार बनाने के लिए जो गठजोड़ बना है, उसमें विचारधाराओं का कोई मेल नहीं है। यह गठजोड़ नेतन्याहू के साथ पुराना हिसाब चुकाने के इरादे से एक साथ आए नेताओं ने मिलकर बनाया है, जो कब तक चलेगा, कहना मुश्किल है। ख़ासतौर से यदि विपक्ष का नेतृत्व नेतन्याहू जैसे ताक़तवर नेता के हाथ में होगा, तो इसका चलना और मुश्किल होगा। इज़राईल में आनुपातिक प्रतिनिधित्व की चुनावी प्रक्रिया की वजह से किसी एक पार्टी के लिए चुनाव में बहुमत जुटाना मुश्किल होता है। इसी वजह से वहां पिछले दो साल में चार बार चुनाव हो चुके हैं।

चुनावी फ्रॉड!

नेतन्याहू ने विपक्ष के सरकार बनाने के फैसले को लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे बड़ा चुनावी फ्रॉड करार दिया है। उधर देश के सुरक्षा-प्रमुख ने राजनीतिक हिंसा होने की आशंका भी व्यक्त की है। नेतन्याहू ने यह आरोप विपक्षी दलों के चुनाव प्रचार के दौरान किए गए वायदों को लेकर लगाया है। गठबंधन बनाने में सफलता प्राप्त करने वाले नेफ़्टाली बेनेट ने चुनाव-प्रचार के दौरान कहा था कि हम वामपंथियों, मध्यमार्गी पार्टियों और अरब पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। अब उन्हीं दलों के साथ उन्होंने गठबंधन किया है। इसी को लेकर नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि यह इलेक्शन फ्रॉड है।

आठ पार्टियों के गठबंधन के लिए हुए समझौते के तहत बारी-बारी से दो अलग दलों के नेता प्रधानमंत्री बनेंगे। सबसे पहले दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के नेता नेफ़्टाली बेनेट 2023 तक प्रधानमंत्री रहेंगे। उसके बाद 27 अगस्त को वे यह पद येशएटिड पार्टी के येर लेपिड को सौंप देंगे। फलस्तीनी मुसलमानों की पार्टी र’आम (या राम) देश में किंगमेकर बनकर उभरी है। इसके नेता मंसूर अब्बास का कहना है कि समझौते में कई ऐसी चीज़ें हैं, जिनसे अरब समाज को फ़ायदा होगा।

पुराने सहयोगी

पश्चिम एशिया पर नज़र रखने वाले पर्यवेक्षक कहते हैं कि नेतन्याहू की हार उनके वामपंथी विरोधियों की वजह से नहीं, बल्कि पुराने दक्षिणपंथी सहयोगियों के कारण हुई, जिन्हें उन्होंने अपने सख्त रवैए की वजह से दुश्मन बना लिया था। नए गठबंधन से किसी को भी बड़े या नए ़फैसलों की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। गठबंधन के नेताओं का सारा ध्यान अभी नेतन्याहू को मात देने के बाद अपनी सरकार को बचाने पर रहेगा।

मार्च में हुए चुनाव में बेंजामिन नेतन्याहू की दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी सबसे आगे रही थी, लेकिन वह सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं जुटा सकी जिसके बाद दूसरे नंबर की मध्यमार्गी येशएटिड पार्टी को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया गया था। उन्हें बुधवार 2 जून की मध्यरात्रि तक बहुमत साबित करना था। उनकी समय-सीमा खत्म होने ही वाली थी कि नेतन्याहू-विरोधी नेता येर लेपिड ने घोषणा की कि आठ दलों के बीच गठबंधन हो गया है और अब हम सरकार बनाएंगे। अभी तक देश में ऐसा गठबंधन असम्भव लग रहा था, जो सरकार बना सके।

मार्च में हुए चुनाव में नेतन्याहू की दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी और उसके सहयोगी दलों को 120 में से 52 सीटों पर विजय मिली थी। हालांकि, लिकुड पार्टी देश के सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, पर उसे इस चुनाव में पिछली बार की 36 सीटों से भी कम 30 सीटें ही मिलीं जबकि उनके विरोधी गठबंधन को 57 सीटें मिलीं थीं। नेतन्याहू के ही पूर्व सहयोगी नेफ़्टाली बेनेट की पार्टी को सात सीटें और मंसूर अब्बास के नेतृत्व वाली अरब इस्लामी पार्टी को चार सीटें मिलीं। नेतन्याहू की पार्टी छोड़कर बाहर निकले गिडियन सार ने छह सीटें हासिल की हैं।

बेमेल गठबंधन

कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा एकत्र करके बनाई गई इमारत कब तक ठहरेगी, कहना मुश्किल है। इसका संकेत पहले ही दिन मिल गया, जब नई गठबंधन सरकार में पदों को लेकर विवाद सुनाई पड़े। 120 सीटों वाली संसद में 61 का बहुमत सिद्ध करने के लिए सभी आठ पार्टियों की हमेशा ज़रूरत थी। इनमें से तीन पार्टियां (न्यू होप, यामिना और इज़राईल बेतेनु) नेतन्याहू कि लिकुड पार्टी की तुलना में घनघोर दक्षिणपंथी हैं। इनके नेता अतीत में नेतन्याहू की सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। इन तीन के अलावा दो पार्टियां (येशअतीद और ब्लू एंड व्हाइट) मध्यमार्गी हैं। इनके नेता भी नेतन्याहू की सरकारों में मंत्री रहे हैं। इनके अलावा दो पार्टियां (लेबर और मेरेट्ज) वामपंथी हैं। देश की अकेली इस्लामिक अरब पार्टी र’आम (या राम) भी इसका हिस्सा है, जिसे अपनी ओर खींचने की कोशिश नेतन्याहू ने भी की थी।

नई सरकार आठ पार्टियों के गठबंधन और क्षीण बहुमत के सहारे बनी है। एक भी पार्टी कभी खिसकी तो सरकार गिर जाएगी। इस सरकार को बनाने में धुर-दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट के साथ-साथ मध्यमार्गी येर लेपिड की भूमिका है, जो दो साल बाद प्रधानमंत्री बनेंगे, बशर्ते सरकार दो साल तक चले। पिछले दो साल में देश में चार चुनाव हो चुके हैं। अब फिर सरकार गिरी तो पांचवीं बार चुनाव होंगे। एक तरफ राजनीतिक अस्थिरता है और दूसरी तरफ हमास के साथ चल रहा हिंसक टकराव है, जो फिलहाल रुका हुआ है, पर वह खत्म हो गया है, ऐसा नहीं कहा जा सकता।

नेतन्याहू की ताक़त

दूसरी तरफ नेतन्याहू की ताक़तवर और देश के सबसे बड़े नेता के रूप में पहचान बनी हुई है। देश की सबसे बड़ी लिकुड पार्टी के वे मुखिया हैं। इसके अलावा इज़राईली संसद नैसेट में विरोधी पक्ष के नेता के रूप में उनकी आवाज सुनी जाएगी। यों पराजित होने के बाद उन्होंने संसद में कहा भी कि हम वापसी करेंगे। हाल में हमास के खिलाफ कार्रवाई के कारण उनकी लोकप्रियता बढ़ी है। साथ ही उनके नेतृत्व में देश ने कोरोना वैक्सीन का कार्यक्रम चलाया है, जो बहुत सफ़ल रहा है। इन सब बातों के कारण वे खासे लोकप्रिय हैं। कभी चुनाव हुए, तो उन्हें हमदर्दी मिल सकती है। यों उनके पास अनुभव भी बहुत ज्यादा है। वे पांच बार देश के प्रधानमंत्री चुने गए। इज़राईल के सबसे लम्बी अवधि तक प्रधानमंत्री रहे। पहली बार 1996 से 1999 तक प्रधानमंत्री रहे। इसके बाद 2009 से 2021 तक वे लगातार सरकार का नेतृत्व करते रहे।

नए प्रधानमंत्री

नए प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट धुर-दक्षिणपंथी सोच वाले व्यक्ति हैं। वे जॉर्डन नदी के पश्चिमी किनारे को इज़राईल में मिलाने के समर्थक हैं। इन इलाक़ों पर 1967 के मध्य-पूर्व युद्ध के बाद से इज़राईल का नियंत्रण है। वे यहां यहूदियों को बसाने के समर्थक हैं और इसे लेकर काफ़ी आक्रामक हैं। अलबत्ता वे गाज़ा पर कोई दावा नहीं करते। वे 2006 से 2008 तक इज़राईली सेना के प्रमुख भी रहे हैं।

नेतन्याहू की लिकुड पार्टी छोड़ने के बाद नेफ़्टाली दक्षिणपंथी धार्मिक यहूदी होम पार्टी में चले गए थे। 2013 के आम चुनाव में नेफ़्टाली इज़राईली संसद में चुनकर पहुंचे। लिकुड पार्टी से निकलने के बाद भी 2019 तक वे हरेक गठबंधन सरकार में मंत्री रहे। अलबत्ता 2019 में उनकी पार्टी न्यूनतम 3.25 प्रतिशत वोट हासिल नहीं कर पाई, इसलिए उनके गठबंधन को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। ग्यारह महीने बाद फिर चुनाव हुए और नेफ़्टाली यामिना पार्टी के प्रमुख के तौर पर संसद में चुनकर पहुंचे।

वे छह साल तक इज़राईली सेना में कमांडो और देश के रक्षामंत्री भी रह चुके हैं। सन् 2006 के लेबनॉन युद्ध में रक्षा-पंक्ति के भीतर जाकर उन्होंने चरमपंथी संगठन हिज़्बुल्ला के दस्तों और रॉकेट प्रणालियों को ध्वस्त करने का काम किया था। अतीत में नेतन्याहू के करीबी सहयोगियों में उनका नाम भी शामिल रहा है। उसी दौरान वे नेतन्याहू के सहयोगी के रूप में राजनीति में आए, पर दो साल बाद दोनों के रिश्ते बिगड़ गए और सरकार से बाहर हो गए।

23 मार्च, 2021-इज़राईली संसद नैसेट का चुनाव हुआ। पिछले दो साल में यह चौथा चुनाव था। चुनाव के बाद 120 सीटों वाली संसद में किसी को भी बहुमत नहीं मिला। संसद में 13 दलों के प्रत्याशी जीतकर आए हैं। चुनाव के बाद नेतन्याहू की लिकुड पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। येर लेपिड की पार्टी येशअतिद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। यामिना पार्टी के नेता नेफ़्टाली बेनेट को सिर्फ 7 सीटें मिलीं लेकिन वे किंगमेकर बनकर उभरे।

5 अप्रैल, 2021-नेतन्याहू पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का मुकद्दमा शुरू हुआ। उन्होंने सभी आरोपों से इन्कार किया।

6 अप्रैल, 2021-राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन ने नेतन्याहू को नई सरकार बनाने के लिए 28 दिन का वक्त दिया। नेतन्याहू नई सरकार बना पाने में असमर्थ रहे।

5 मई, 2021- राष्ट्रपति ने येर लेपिड को न्यौता दिया। यह पार्टी छोटी दक्षिणपंथी पार्टी यामिना के नेता नेफ़्टाली बेनेट के साथ गठबंधन करने की लगातार कोशिश में रही, पर बहुमत के लायक सदस्यों का जुगाड़ नहीं हो पाया।

10 मई, 2021- गाज़ा में इज़राईल और हमास के बीच युद्ध शुरू।

21 मई, 2021-युद्धविराम।

30 मई, 2021-नेफ़्टाली बेनेट ने येर लेपिड को समर्थन देने की घोषणा की।

2 जून, 2021-येर लेपिड ने राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन को सूचना दी कि आधी रात की समय सीमा से ठीक 30 मिनट पहले हम गठबंधन बनाने में कामयाब हुए हैं। गठबंधन की सरकार में नेफ़्टाली बेनेट दो साल तक प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे और इसके बाद लेपिड यह पद संभालेंगे।

3 जून, 2021-नेतन्याहू ने इस गठबंधन को ख़तरनाक बताया और यामिना के सदस्यों से अपील की कि वे इसके खिलाफ मतदान करें।

8 जून, 2021- नैसेट के अध्यक्ष येरिव लेविन ने कहा कि 13 जून को संसद में मतदान होगा।
13 जून, 2021-संसद में नए गठबंधन ने 60-59 से बहुमत सिद्ध किया। नए प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट ने शपथ ली।

इसके बाद भी वे राजनीति और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे। उन्होंने माय इज़राईल नाम से एक संगठन बनाया और फिर दक्षिणपंथी पार्टी ज्यूइश होम के अध्यक्ष बने। सन् 2013 में जब उनकी उम्र 41 साल थी, वे संसद के सदस्य बने और मुख्यधारा की राजनीति में महत्वपूर्ण नेता के रूप में स्थापित हो चुके थे। सन् 2013 से 15 तक वे नेतन्याहू की गठबंधन सरकार में मंत्री रहे। मूलतः वे न्यू राइट पार्टी में हैं। जिस यामिना पार्टी का वे प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वह भी गठबंधन है, जिसका जन्म 2019 में हुआ था। इस साल जिस श्रृंखला में चौथा चुनाव हुआ है, उसका पहला चुनाव अप्रैल 2019 में ही हुआ था, जिसमें बेनेट आवश्यक 3.25 प्रतिशत वोट हासिल नहीं कर पाए और संसद की सदस्यता से वंचित हो गए।

विरोधी नेताओं की उम्मीदों के पीछे एक और वजह है। वह यह कि नेतन्याहू के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप हैं। विरोधी दल इस बात के प्रयास कर रहे हैं कि संसद से ऐसा कानून पास कराया जाए, जिसके तहत यदि किसी नेता पर आपराधिक मुकदमा चले तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाए। बहरहाल, अभी वह स्थिति कुछ दूर है। फिलहाल देखना होगा कि यह गठबंधन कितनी दूर तक चलेगा।

Leave a Reply