विदेशों में भगवान बुद्ध के मंदिर में रामजी की विविध लीलाओं का बेहद सुंदर चित्रण देखकर मुझे प्रेरणा मिली कि हमारे देश में भी ऐसा ही होना चाहिए और इसके लिए हमें कुछ करना चाहिए। राम के प्रति जो लोगों की आस्था है, विश्वास है, राम का जो चरित्र है, गाथा है, वह हमारे अन्दर पहुंचे और उसके अनुरूप हम सभी का जीवन हो सके। इसी प्रेरणा ने मुझे उद्वेलित किया और मेरे मन में अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन करने का विचार आया।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की महिमा कौन नहीं जानता? भारत में श्रीराम को राष्ट्रपुरुष भी कहा जाता है। भगवान श्रीराम केवल भारत के ही राष्ट्रपुरुष नहीं हैं, बल्कि विश्वपुरुष हैं, जिन्होंने जीव मात्र के कल्याण की कामना की। सम्पूर्ण अखंड भारत श्रीराम से जुड़ा हुआ है। भारत की पहचान राम से है। भारत अकेला देश नहीं है जिसकी पहचान राम से है अपितु दुनिया में अनेक देश है, जहां पर श्रीराम को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है और राजा राम के रूप में उनकी पूजा की जाती है। युग बीत गए लेकिन वर्तमान समय में भी राम की प्रासंगिकता बनी हुई है और आगे भी बनी रहेगी। राम का मर्म दुनिया को बताने, समझाने हेतु मुम्बई में विराट अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मलेन का आयोजन किया गया। यह आयोजन दिनांक 28 नवम्बर से 30 नवम्बर 2019, प्रतिदिन प्रातः 10 से शाम 5.30 बजे तक किया गया। मुंबई विश्वविद्यालय(कलीना) के ग्रीन टेक्नोलोजी सभागार में मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग और श्री भागवत परिवार, मुंबई द्वारा संयुक्त रूप से यह आयोजन किया गया, जिसमें देश-विदेश की गणमान्य हस्तियां, अतिथि एवं वक्ता के रूप में शामिल हुए।

कार्यक्रम की रुपरेखा एवं विशेषताएं

संत तुलसीदास जी के दोहे ‘राम नाम मनिदीप धरु…’ से अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मलेन का उद्घाटन किया गया। तीन दिवसीय सम्मलेन में 6 सत्रों में रामायण कथा चली। इस रामायण सम्मलेन की खास बात यह थी कि यह सामान्य रूप से होने वाली रामायण कथा जैसी नहीं थी, बल्कि वर्तमान समय के अनुकूल रामायण की प्रासंगिकता पर जोर दिया गया। जिससे अधिकाधिक लोगों के साथ ही पूरे विश्व को रामायण के गुण रहस्यों सहित दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हो सके।
श्रीराम कथा का वैश्विक संदेश, राम काव्य के दार्शनिक व शैक्षणिक आयाम, राम काव्य के साहित्यिक आयाम, राम राज्य में कुशल प्रशासन-प्रबंधन की संकल्पना, राम काव्य के सांस्कृतिक आयाम, रामायण के नारी पात्र स्त्री विमर्श का संदर्भ, काव्य गोष्ठी आदि महत्वपूर्ण विषयों पर प्रमुख रूप से प्रकाश डाला जायेगा। सम्मलेन के प्रथम दिन वंदे मातरम् फाउंडेशन की ओर से ‘रामलीला’ का मंचन भी किया जायेगा। समापन सत्र के दौरान सम्मलेन में विभिन्न विषयों पर प्रस्तुत आलेखों एवं वक्तव्यों के आधार पर 21 सूत्री मार्गदर्शी संकल्प पत्र की घोषणा भी की जाएगी। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मलेन को अविस्मरणीय बनाने हेतु ‘एक शाम राम के नाम’ पर भव्य सार्वजनिक समारोह का आयोजन मालाड पश्चिम लिंक रोड स्थित गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब के प्रांगण में किया जाएगा। इस दौरान गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब की प्रस्तुति में ‘श्रीरामलीला’ का मंचन किया जायेगा।

इस सम्मलेन को सफल बनाने के लिए कार्यक्रम सहभागी के रूप में गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब, संस्कृति संवर्धन प्रतिष्ठान एवं महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी शामिल है। इसके साथ ही देश-विदेश से सम्मलेन में शामिल होने के लिए आने वाले लोगों की सुविधा हेतु यात्रा सहभागी के रूप में एअर इंडिया भी शामिल है।

आमंत्रित वक्तागणों में विदेशी विद्वान् डॉ. तोमोको किकुचि (जापान), डॉ. रामेश्वर सिंह (मास्को), स्वामी सुर्यप्रभा, सौ. सारिका गुप्ता (लन्दन), श्री राजेंद्र अरुण एवं डॉ. वीनू अरुण (मोरिशस), सौ. श्वेता दीप्ती (नेपाल), डॉ. नाजेज्दा (मास्को) तथा भारतीय विद्वान श्री अश्विनी लोहानी (चेयरमैन – एअर इंडिया), प्रोफेसर जे.एस.राजपूत(यूनेस्को में भारतीय प्रतिनिधि), डॉ.रजनीश शुक्ल(कुलपति – म.गां.अं.हिं.वि.वि.,वर्धा), डॉ.जयंत कुमार बांठिया(आई.ए.एस.-पूर्व मुख्य सचिव, महाराष्ट्र), श्री मनोज श्रीवास्तव(आई.ए.एस.-सचिव मध्य प्रदेश, सरकार), डॉ. रमेशचंद्र शाह (प्रख्यात साहित्यकार), डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित (प्रख्यात आलोचक), श्री कैलाशचंद पन्त (प्रख्यात चिन्तक व लेखक), श्री विश्वनाथ सचदेव (वरिष्ठ पत्रकार), डॉ. जयप्रकाश शर्मा (प्रोफेसर व प्रख्यात चिन्तक), न्यायमूर्ति श्री श्याम शंकर उपाध्याय, प्रो. देवसिंह पोखरियाल (प्रख्यात चिन्तक), श्री राकेश मिश्र (आई.ए.एस.), डॉ. नंदकिशोर पाण्डेय (निदेशक के.हि.संस्था), श्री अखिलेन्द्र मिश्र (प्रख्यात अभिनेता), डॉ. कुमुद शर्मा (प्रोफेसर दिल्ली वि.वि. हिंदी विभाग), डॉ. श्रीनिवास पाण्डेय (पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग बी.एच.यू.), आदि मान्यवर विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।

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