क्षत्रियों के कुलनाशक नहीं समाज संगठक थे परशुराम

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वैशाख शुक्ल तृतीया अर्थात अक्षय तृतीया सनातन हिंदू समाज की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण तिथि है। यह दिवस केवल हमारे सकल हिंदू समाज के आराध्य भगवान् परशुराम के अवतरण का ही नहीं अपितु इसी दिन परमात्मा के हयग्रीव, नर नारायण और महाविद्या मातंगी अवतार का भी अवतरण दिवस है। वस्तुतः…

विजयनगर साम्राज्य के प्रेरक देवलरानी और खुशरो खान

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मध्यकालीन इतिहास में हिन्दू गौरव के अनेक पृष्ठों को वामपंथी इतिहासकारों ने छिपाने का राष्ट्रीय अपराध किया है। ऐसा ही एक प्रसंग गुजरात की राजनकुमारी देवलरानी और खुशरो खान का है। अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत में नरसंहार कर अपार धनराशि लूटी  तथा वहां हिन्दू कला व संस्कृति को भी…

भारतीय राष्ट्रभाव का मूल आधार हिन्दू संस्कृति है

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भारतीय राष्ट्रभाव अतिप्राचीन है। इसका मूल आधार हिन्दू संस्कृति है। सम्प्रति हिन्दू राष्ट्र पर विमर्श है। हिन्दू संस्कृति के कारण यह हिन्दू राष्ट्र है। कुछ लोग भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं। उनका मंतव्य स्पष्ट नहीं है। राष्ट्र राजनैतिक इकाई नहीं है। यह सांस्कृतिक अनुभूति…

हिन्दू नववर्ष : सृष्टि चक्र का शाश्वत सनातन प्रवाह

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चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि भारतीय संस्कृति में अपना विशिष्ट महत्व रखती है। यह तिथि नवसम्वत्सर - हिन्दू नववर्ष के उत्साह पर्व की तिथि है। यह तिथि भारतीय मेधा के शाश्वत वैज्ञानिकीय चिंतन - मंथन के साथ - साथ लोकपर्व के रङ्ग में जीवन के सर्वोच्च आदर्शों से एकात्मकता…

अद्भुत है भारतीय नववर्ष की संकल्पना

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विश्व भर में भले नववर्ष मनाए जाते हों पर भारतीय नववर्ष का स्वागत प्रकृति भी करती हुई प्रतीत होती है, परंतु विडम्बना यह है कि वर्तमान पीढ़ी 31 जनवरी की रात की मदिरा एवं नृत्य संस्कृति को सर्वोपरि मानती है। भारतीय संस्कृति के बढ़ाव के लिए उनके बीच हमारे नववर्ष…

भारत में उत्साहपूर्वक मनाएं नवसंवत्सर

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भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति के अनुसार फागुन और चैत्र माह वसंत ऋतु में उत्सव के महीने माने जाते हैं। चैत्र माह के मध्य में प्रकृति अपने श्रृंगार एवं सृजन की प्रक्रिया में लीन रहती है और पेड़ों पर नए नए पत्ते आने के साथ ही सफेद, लाल, गुलाबी, पीले, नारंगी,…

योगी सरकार का एक निर्णय और छद्म धर्मनिरपेक्ष बैचेन

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के एक निर्णय से छद्म धर्मनिरपेक्ष दल बहुत बैचेन और व्यग्र हैं। चिंता में हैं कि अब उनकी तुष्टिकरण की राजनीति का क्या होगा ? प्रदेश की राजनीति में अभी तक कहा जाता रहा है कि दिवंगत सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव…

बिंदी सामाजिक बंधन या सशक्त अभिव्यक्ति?

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एक तरफ बुरके जैसे रूढ़िवादी परिधान को बचाए रखने के लिए देशभर में आंदोलन हो रहे हैं, वहीं वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित कुंकू और बिंदी को लेकर अफवाहें फैलाई जाती हैं। बुरके में ढंकी महिला यदि महिला अधिकारों की बात करती भी है तो वह कितना हास्यास्पद लगेगा, जबकि माथे…

वैदिक साहित्य में सामाजिक समरसता

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भारतीय साहित्य का जहाँ से उद्गम हुआ, वह स्रोत निर्विवाद रूप से वेद है। वेद आर्ष काव्य की श्रेणी में आते हैं। हमारे प्राचीन ऋषि मनुष्य थे, समाज के साथ थे। वे आपसी प्रेम और सद्भाव को सबसे अधिक मूल्यवान समझते थे। इसीलिए मनुष्य की जिजीविषा, उसके सामाजिक सरोकार और…

परम कल्याणकारी – भगवान शिव

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महाशिवरात्रि का पावन पर्व फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। ईशान संहिता के अनुसार ज्योर्तिलिंग का प्रादुर्भाव होने से यह पर्व महाशिवरात्रि के नाम से लोकप्रिय हुआ। यह शिव और पार्वती के विवाह के रूप में हर घर में मनाया जाता है। इस पवित्र दिन पूरा…

गूढ़ार्थ के पर्यायवाची – भगवान शिवशंकर !

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सृष्टि में असीम आनंद का वातावरण हैं. वसंत की उत्फुल्लता चहुं ओर दृष्टिगोचर हो रही हैं. ऋतुओं के संधिकाल का यह महापर्व अपने पूरे यौवन पर हैं. वातावरण में बाबा भोलेनाथ के जयकारों की गूंज हैं. ‘कंकर – कंकर में शंकर’ की उक्ति पर दृढ़ श्रध्दा रखनेवाला हिन्दू समाज, उत्सव…

भारतीय चिंतन में सूर्य ब्रह्माण्ड की आत्मा हैं

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सूर्य सभी राशियों पर संचरण करते प्रतीत होते हैं। वस्तुतः पृथ्वी ही सूर्य की परिक्रमा करती है। आर्य भट्ट ने आर्यभट्टीयम में लिखा है, ‘‘जिस तरह नाव में बैठा व्यक्ति नदी को चलता हुआ अनुभव करता है, उसी प्रकार पृथ्वी से सूर्य गतिशील दिखाई पड़ता है।" सूर्य धनु राशि के…

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