सहसा एक दिन

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पहले-पहल बच्चों के मज़े लग गए। उन्हें पढ़ाई-लिखाई से ़फुर्सत मिल गई। उन्हें लगा जैसे वे सारा नज़ारा हरे रंग का चश्मा लगा कर देख रहे हों। मांएं बच्चों को हरे रंग का दूध पिला रही थीं। चॉकलेट का रंग केवल हरा नज़र आ रहा था। हरे रंग में रंगे कौवे, नीचे उड़ती हरे रंग की चीलों को सता रहे थे। हरे रंग की कोयल जैसे हरियाली के पक्ष में गीत गा रही थी।

ईमानदारी की प्रेरणामूर्ति

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मधुभाई भट्ट गुजरात के मेहसाणा के निवासी थे। यह घटना आजादी से पूर्व की है जब घरों में नल, गुसल तथा शौचालयों का इतना प्रचलन नहीं था। गांवों में लोग लोटे में पानी भरकर बस्ती से दूर शौच के लिए जाते थे। नहाने हेतु गांव में स्थित रहट की बाड़ियां थी।

कैसे बढ़ाएं परिवारों में आपसी मेल मिलाप

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परिवारों के बीच प्रेम बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि हम एक दूसरे के सुख-दुःख में भागीदार बनें। बिना किसी अपेक्षा के एक दूसरे की सहायता करें। अपने ही अपनों के काम आते हैं। पर यदि अपने अपनों के काम नहीं आते तो वे गैर बन जाते हैं। दूरी बनाने से रिश्तों में कटुता स्वाभाविक रूप से आ जाती है। यह कटुता फिर मिटाए नहीं मिटती।

सर्दियों में रहे स्वस्थ व सुन्दर

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ऐसे कई लोग हैं जो जवान होते हैं लेकिन उनका चेहरा चमकदार नहीं दिखता है और बहुत कम उम्र में ही उनके चेहरे पर फिकापन साफ दिखाई देने लगता हैं। कई लोग सर्दियों में त्वचा के सूखने की शुरुआत का सामना करते हैं। इसलिए सर्दियों में आपको अपने आहार में कुछ फलों और खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए -

…और मौत का भी गला भर आया

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मुख्यमंत्री बनने के बाद भी ‘ड्रेस एवं एड्रेस’ न बदलने वाले मनोहर जी ने ‘मानवता’ नहीं छोड़ी। यह लिखने में जितना सरल लगता है, जीवन में उतारने में उतना ही कठिन है। परंतु मा. पर्रिकर जी ने ऐसा कर दिखाया।

एक अधूरी कहानी…

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मनोहर पर्रिकर जी को हम सभी सादगीपूर्ण परंतु तेजतर्रार और हमेशा कार्यमग्न व्यक्ति के रूप में जानते हैं। उनका यह स्वभाव कैसे बना ये उन्होने ही अपने एक आलेख के माध्यम से प्रस्तुत किया था।

‘मनोहर’ही थे… उनके जैसा कोई नहीं हो सकता — सुभाष वेलिंगेकर

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प्राचार्य सुभाष वेलिंगेकर जी को मनोहर पर्रिकर अपना राजनीतिक गुरू मानते थे। कुछ राजनीतिक मतभेदों के कारण दोनों में दुरिया आ गयी थी, जिसका मलाल दोनों को था। पर्रिकर जी की मृत्यू के पश्चात कोंकणी भाषा में लिए गए साक्षात्कार का हिंदी अनुवाद पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं ।

संवेदनशील मन

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स्पष्ट बोलना वैसे बड़ा कठिन होता है परंतु ऐसे निर्णय लेने में पर्रिकर जी कभी पीछे नहीं रहते थे। जिस से गलती हुई है उसे उसकी गलती उसके सामने बताना इतनी स्पष्टता उनमें थी। इसके कारण अनेक लोग उनसे घबराते भी थे।

शून्य से शिखर तक

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अपनी कंपनी को दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी बनाने का सपना संजोनेवाले अरुण कुमार जी ने फिनिक्स पक्षी के उदाहरण को जिवंत कर दिया हैं । हमेशा सर्वोत्तम करने का जज्बा मन में लेकर चलनेवाले अरुण जी से उनके व्यवसाय और संघर्ष के बारे में हुई बातचीत के कुछ अंश -

कॉरिडोर की आड़ में…

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पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने, आशंका व्यक्त की है कि पाकिस्तान द्वारा, भारत में खालिस्तान आंदोलन को फिर शुरु करने के लिए इस करतारपुर कॉरिडोर के प्रयोग की प्रबल संभावना है। करतारपुर कॉरिडोर की आड़ में, पाकिस्तान को भारत में अशांति एवं अस्थिरता उत्पन्न करने का अवसर मिल जाएगा और इस तरह वह खालिस्तानी आतंकवाद को पुनर्जीवित करने का प्रयास करेगा।

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विदेशों में भगवान बुद्ध के मंदिर में रामजी की विविध लीलाओं का बेहद सुंदर चित्रण देखकर मुझे प्रेरणा मिली कि हमारे देश में भी ऐसा ही होना चाहिए और इसके लिए हमें कुछ करना चाहिए। राम के प्रति जो लोगों की आस्था है, विश्वास है, राम का जो चरित्र है, गाथा है, वह हमारे अन्दर पहुंचे और उसके अनुरूप हम सभी का जीवन हो सके। इसी प्रेरणा ने मुझे उद्वेलित किया और मेरे मन में अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन करने का विचार आया।

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे वामपंथी

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भगवा जलेगा लिखने वाले वामपंथियों के जवाब में एक फेसबुक यूजर ने लिखा है, अबे जल तो तुम रहे हो जेएनयू के नक्सली आतंकियों, जब 370 हटा तब तुम जले, जब रामलला के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तब तुम जले, जब गरीबों के घर गैस सिलेंडर पहुंचा तब तुम जले, जब ट्रिपल तलाक हटा तब तुम जले... लिस्ट लंबी है। जिसमें तुम तिल - तिल कर जल रहे हो और आगे भी जलते रहोगे, तुम्हारी औकात नहीं भगवा जलाने की।

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